Find the Best मुसाफ़िर Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutमुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी, मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी, कश्ती के मुसाफ़िर ने, मुसाफ़िर जाने वाले,
aady
orange string love light माना लिखता नहीं तुमको छोड़ा है मैने लिखना पर याद बहुत आते हो काम है तुम्हे याद करना ©aady #lovelight #लव #शायरी #मुसाफ़िर #new #Dil
Rabindra Kumar Ram
" उन ख्यालों की नुमाइश क्या करते, बात इतनी सी थी फिर उस से फिर बात क्या करते , जहाँ मिले हम अजनबी वो भी थी गैर मैं भी ठहरा, हम काफिर थे वो मुसाफ़िर ठहरी ऐसे में कहा तक साथ चलते. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " उन ख्यालों की नुमाइश क्या करते, बात इतनी सी थी फिर उस से फिर बात क्या करते , जहाँ मिले हम अजनबी वो भी थी गैर मैं भी ठहरा, हम काफिर थे वो मुसाफ़िर ठहरी ऐसे में कहा तक साथ चलते. " --- रबिन्द्र राम
" उन ख्यालों की नुमाइश क्या करते, बात इतनी सी थी फिर उस से फिर बात क्या करते , जहाँ मिले हम अजनबी वो भी थी गैर मैं भी ठहरा, हम काफिर थे वो मुसाफ़िर ठहरी ऐसे में कहा तक साथ चलते. " --- रबिन्द्र राम
read moreManish Raaj
मुसाफ़िर ______ गुज़र कर भी जो ना गुज़रे दिल में ऐसे ठहर गया है ख़ुद ना रुके कोई रोक भी ना सके हर ग़म से गुज़र आगे निकल गया है झूठ दिखावे फ़रेब से बचते-बचाते सीरत सादगी के लिबास से संवर गया है फ़र्ज़ कर्ज़ मर्ज़ की क़ैद से उबर वफ़ा दगा नफ़ा के मोह से आगे बढ़ गया है मनीष राज ©Manish Raaj #मुसाफ़िर
Rabindra Kumar Ram
" हसरतें कहीं काफिर ना हो जाये , तेरी जद में रहने दें मुझे अब , मुसाफ़िर हूं तेरे दर का आदततन , कही तुम से दुरियों का बेज़ारी ना हो जाये ." --- रबिन्द्र राम— % & " हसरतें कहीं काफिर ना हो जाये , तेरी जद में रहने दें मुझे अब , मुसाफ़िर हूं तेरे दर का आदततन , कही तुम से दुरियों का बेज़ारी ना हो जाये ." --- रबिन्द्र राम #हसरतें #काफिर #जद
Rabindra Kumar Ram
" चल कुछ फ़ैसला कर लिया जाये , जो मुहब्बत तो वेशक कुछ तो यकीन की जाये , जस में आया मुसाफ़िर हूं मैं तो , तुझे छु के इस हासिले मंजिल का एतबार कर ली जाये ." --- रबिन्द्र राम " चल कुछ फ़ैसला कर लिया जाये , जो मुहब्बत तो वेशक कुछ तो यकीन की जाये , जस में आया मुसाफ़िर हूं मैं तो , तुझे छु के इस हासिले मंजिल का एतबार कर ली जाये ." --- रबिन्द्र राम #फ़ैसला #मुहब्बत
Rabindra Kumar Ram
" इन रास्तों से तेरे घर का पता पुछना चाहता हूं , कहीं ये तेरे घर के दर तक जाते हैं ना यार , अनजान मुसाफ़िर हूं कब कैसे तुझ तक पहुंचू , कुछ वक्त की पनाह चाहिए जाने कौन सी राह किस ओर ले जाये. " --- रबिन्द्र राम Pic : telegram " इन रास्तों से तेरे घर का पता पुछना चाहता हूं , कहीं ये तेरे घर के दर तक जाते हैं ना यार , अनजान मुसाफ़िर हूं कब कैसे तुझ तक पहुंचू , कुछ वक्त की पनाह चाहिए जाने कौन सी राह किस ओर ले जाये. " --- रबिन्द्र राम
Pic : telegram " इन रास्तों से तेरे घर का पता पुछना चाहता हूं , कहीं ये तेरे घर के दर तक जाते हैं ना यार , अनजान मुसाफ़िर हूं कब कैसे तुझ तक पहुंचू , कुछ वक्त की पनाह चाहिए जाने कौन सी राह किस ओर ले जाये. " --- रबिन्द्र राम
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" फकत तुझे कुछ एहसास हो भी तो सही , मैंने खुद की बात तुझसे किस कदर की , ले चल ना सही मुझको तु अब अपने साथ , हमसफ़र अब तेरे साथ होना बात की बात है , अब मैं इन इरादो को तुझपे जाहिर कैसे करु अब भला , मुझे तेरे साथ मुसाफ़िर होना भी जायज लगेगा ." --- रबिन्द्र राम " फकत तुझे कुछ एहसास हो भी तो सही , मैंने खुद की बात तुझसे किस कदर की , ले चल ना सही मुझको तु अब अपने साथ , हमसफ़र अब तेरे साथ होना बात की बात है , अब मैं इन इरादो को तुझपे जाहिर कैसे करु अब भला , मुझे तेरे साथ मुसाफ़िर होना भी जायज लगेगा ." --- रबिन्द्र राम
" फकत तुझे कुछ एहसास हो भी तो सही , मैंने खुद की बात तुझसे किस कदर की , ले चल ना सही मुझको तु अब अपने साथ , हमसफ़र अब तेरे साथ होना बात की बात है , अब मैं इन इरादो को तुझपे जाहिर कैसे करु अब भला , मुझे तेरे साथ मुसाफ़िर होना भी जायज लगेगा ." --- रबिन्द्र राम
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" जिक्र हो की कोई बात काफिर होने भी दिजिये , मैं मुसाफ़िर हूं मुझे तेरा साथी होने भी दिजिये , देखती निगाहें ठहर रही कहीं तेरी बाहों में , अब मुझे तेरे इश्क़े जुर्म का हिस्सा होने दें ." --- रबिन्द्र राम " जिक्र हो की कोई बात काफिर होने भी दिजिये , मैं मुसाफ़िर हूं मुझे तेरा साथी होने भी दिजिये , देखती निगाहें ठहर रही कहीं तेरी बाहों में , अब मुझे तेरे इश्क़े जुर्म का हिस्सा होने दें ." --- रबिन्द्र राम #जिक्र #काफिर #मुसाफ़िर #साथी
Rabindra Kumar Ram
" कुछ जिक्र अभी बाकी सा हैं , तेरी आदतें अभी मुसाफ़िर सा हैं , रोज़ ना रोज हर रोज कोई दस्तक दे जाते हो , मेरी गुमनामी में भी अपनी आदतें मसहूर कर जाते हो ." --- रबिन्द्र राम " कुछ जिक्र अभी बाकी सा हैं , तेरी आदतें अभी मुसाफ़िर सा हैं , रोज़ ना रोज हर रोज कोई दस्तक दे जाते हो , मेरी गुमनामी में भी अपनी आदतें मसहूर कर जाते हो ." --- रबिन्द्र राम #जिक्र #आदतें #मुसाफ़िर #दस्तक