Find the Best ज़श्न_ए_इश्क़ Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about
Divyanshu Pathak
...... #ज़श्न_ए_इश्क़ #collabwithकोराकाग़ज़ #yqdidi #ख़ुदरंगमोहब्बत के साथ #कोराकाग़ज़ 😊🌷🙏 मुनमुन और श्वेत की दोनों बचपन में साथ ही पढ़ते थे ।एक साथ खेलते थे खाते थे । कभी कभी तो नहाने के लिए खेतों पे लगे ट्यूबेल पर भी जाते थे । :
#ज़श्न_ए_इश्क़ #collabwithकोराकाग़ज़ #yqdidi #ख़ुदरंगमोहब्बत के साथ #कोराकाग़ज़ 😊🌷🙏 मुनमुन और श्वेत की दोनों बचपन में साथ ही पढ़ते थे ।एक साथ खेलते थे खाते थे । कभी कभी तो नहाने के लिए खेतों पे लगे ट्यूबेल पर भी जाते थे । :
read moreDivyanshu Pathak
कविता- "फूल जैसी हो तुम" अंकुरित हुआ पौधा कोई, उम्मीदों का आँगन सजाने। शरद की ठिठुरन से बचके, बसंत की मिठुरन लगाने। उपवन में आकर पवन भी, जिसे अपने कंधे पर उठाले। वह ख़ुश्बू का फूल हो तुम, जो खिलता उपवन महकाने। जिसे विकसित हो फल बनके, किसी परिवार की भूख मिटाने। शेष रहना फिर से बीज रूप में, पुनः आँगन में अंकुरित हो पाने। हे नारी! फूल जैसी हो तुम, सूक्ष्म दृष्टि चाहिए यह समझाने। #कोराकाग़ज़ #ज़श्न_ए_इश्क़ #collabwithकोराकाग़ज़ #पाठकपुराण
#कोराकाग़ज़ #ज़श्न_ए_इश्क़ #collabwithकोराकाग़ज़ #पाठकपुराण
read moreDivyanshu Pathak
(चिंतन ) 'बिखराब को रोकना सहज है'। तुम्हारे अपने विचार है मेरा अपना मत है जरूरी नही तुम मेरे विचारों को समझो और मैं भी तुमसे सहमत हो जाऊं। विचारों में टकराव होता है। स्वभाव बदलते है। आदतें बनती बिगड़ती है। कुछ इस बिखराब में खो जाते है तो कुछ ख़ुद को सम्हाल पाते है। मातृ-पितृ ऋण, पारिवारिक सामाजिक कर्तव्य निभाओ जैसे भी ठीक से रह पाओ रहो अपना और अपनों का खयाल रखो यह विचार तुम्हें सदैव दुःख और निराशा से दूर रखेगा। प्रेम....... सतयुग में हरिश्चन्द्र का बच्चे और पत्नी सहित बिक जाना । पता है प्रेम क्या है ? प्रेम था इसलिए न पत्नी ने सवाल किए न बच्चे ने ।
प्रेम....... सतयुग में हरिश्चन्द्र का बच्चे और पत्नी सहित बिक जाना । पता है प्रेम क्या है ? प्रेम था इसलिए न पत्नी ने सवाल किए न बच्चे ने ।
read moreDivyanshu Pathak
ग़ज़ल - कल-आजकल गुज़रे लम्हों की बात किए जाते हैं। बीते हुए को हम भूल नहीं पाते हैं। ज़िक्र तो करते हैं राधा-कृष्ण का! हक़ीक़त में तो कंस नज़र आते हैं। कभी तो पर्दानशीं इश्क़ होता था ! अब सरेराह आशिक़ मिल जाते हैं। जब बन आती है कोई बात ख़ुद पे! इक पल में 'डिस्पोजल' हो जाते हैं। क़िस्से तो कहते हैं लैला-मजनूं के! ख़ुद मौहब्बत में सैय्याद हो जाते हैं। दो तरह के लोग द्विअर्थी बात करते! 'पंछी' कौन सही है समझ न आते हैं। #कोराकाग़ज़ #ज़श्न_ए_इश्क़ #collabwithकोराकाग़ज़ #पाठकपुराण : ग़ज़ल - कल-आजकल गुज़रे लम्हों की बात किए जाते हैं। बीते हुए को हम भूल नहीं पाते हैं। ज़िक्र तो करते हैं राधा-कृष्ण का!
#कोराकाग़ज़ #ज़श्न_ए_इश्क़ #collabwithकोराकाग़ज़ #पाठकपुराण : ग़ज़ल - कल-आजकल गुज़रे लम्हों की बात किए जाते हैं। बीते हुए को हम भूल नहीं पाते हैं। ज़िक्र तो करते हैं राधा-कृष्ण का!
read more
About Nojoto | Team Nojoto | Contact Us
Creator Monetization | Creator Academy | Get Famous & Awards | Leaderboard
Terms & Conditions | Privacy Policy | Purchase & Payment Policy Guidelines | DMCA Policy | Directory | Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited