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Author Munesh sharma 'Nirjhara'

वो कहता मुझे उसकी रहने दो
मैं कहती मुझे मेरी रहने दो
उड़ती जो धूल हवा संग
उसे बारिश की बूँद संग थमने दो
वजह रही हो जो भी कभी
आज पास आने की वजह बनने दो
प्यार में रही सदा तुम्हारे
तुम प्यार में हो मेरे यकीन रहने दो
मत कहना वो कभी मुझसे
जिसे सहने की हिम्मत ना रहने दो
मैं तुम्हारा तुम मेरी हो 'नेहा'
यह स्वर मधुर मेरे कानों को सुनने दो #ग़ज़ल 
#rzhindi #rzकाव्यसम्मेलन
#श्रृंगार #rzहिंदीकाव्यसम्मलेन
#rzरसग़ज़ल

Poonam Suyal

हास्य रस चले थे मोहब्बत करने उनकी झील सी आँखों के हम तो बरबस कायल हो गए जानकर कि उन तिरछी निगाहों का निशाना था कोई और, हम तो घायल हो गए लगा हमें कि अपनी मोहब्बत का इज़हार वो हमसे कर ही देगी #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzhindi #rzरसग़ज़ल #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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चले थे मोहब्बत करने 

(अनुशीर्षक में पढ़ें)




 हास्य रस 

चले थे मोहब्बत करने 

उनकी झील सी आँखों के हम तो बरबस कायल हो गए 
जानकर कि उन तिरछी निगाहों का निशाना था कोई और, हम तो घायल हो गए 

लगा हमें कि अपनी मोहब्बत का इज़हार वो हमसे कर ही देगी

Insprational Qoute

करुण रस (गजल) "माँ भारती की दुर्दशा की पुकार"" --------------------------- अश्रुपूरित नैन व चीख कर कहे हे माँ!भारती तेरे देश हालत क्या हो रही, मानव में न मानवता बची इंसान की इंसानियत भी जार जार अब हो रही, #restzone #करुण_रस #rzरसग़ज़ल #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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करुण रस (ग़ज़ल) 
"माँ भारती की दुर्दशा की पुकार""
*************
अश्रुपूरित नैन व चीख कर कहती हे माँ!भारती तेरे देश हालत क्या हो रही,
मानव में न मानवता बची इंसान की इंसानियत भी जार जार अब हो रही,

जिस्म है पर रूह नही,त्याग चुके यह मन के सद्विचार  व सदवृति को
मादा तन के इन भूखे भेड़ियों की संख्या भी  देखो  असंख्य  हो  रही,

सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏 
करुण रस (गजल)
"माँ भारती की दुर्दशा की पुकार""
---------------------------

अश्रुपूरित नैन व चीख कर कहे हे माँ!भारती तेरे देश हालत क्या हो रही,
मानव में न मानवता बची इंसान की इंसानियत भी जार जार अब हो रही,

तेरे बिन अधूरा सा हूं...!!❤️

उनके इश्क में हम हद से गुजर गए
जो कभी ना कर सकते थे,वो भी हम कर गए।

फिर भी वे कहते हैं क्या किया तुमने मेरे लिए
दिल मेरा अंदर ही अंदर रो पड़ा
और बोला,अभी तक मैं जिंदा था वो किसके लिए।

दिल मेरा आज समझा 
क्या अहमियत है उनके दिल में मेरे लिए।

जिनकी राह में रोज बिछाता था फूल चलने के लिए
भर रखा है ना जाने कितना जहर अपने दिल में,उन्होंने मेरे लिए। रस - श्रृंगार रस

#rzहिंदीकाव्यसम्मेलन
#restzone
#rzरसग़ज़ल

Dr Upama Singh

नई नई शादी हुई पत्नी विदा होकर घर आई पति ने सुबह सुबह पत्नी पर ठंडी पानी उड़ेल आई गुस्से और बौखलाहट पत्नी झट उठ बैठी आँख से घूरते वो बोली कैसी प्रीत तुमने निभाई पति बोला हंँस कर कहा तेरे बाप ने मुझसे बोला है बेटी मेरे जिगर का टुकड़ा मेरे बगिया की फूल है #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #rzhindi #similethoughts #rzरसग़ज़ल #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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रचना नंबर –4 हास्य रस (गज़ल)
अनुशीर्षक में 

नई नई शादी हुई पत्नी विदा होकर घर आई
पति ने सुबह सुबह पत्नी पर ठंडी पानी उड़ेल आई

गुस्से और बौखलाहट पत्नी झट उठ बैठी
आँख से घूरते वो बोली कैसी प्रीत तुमने निभाई

पति बोला हंँस कर कहा तेरे बाप ने मुझसे बोला  है
बेटी मेरे जिगर का टुकड़ा मेरे बगिया की फूल है

दामाद जी बेटी मेरी है नाज़ुक सी फूल की कली
कुम्हलाने मुरझाने मत देना इसलिए मैंने पानी डाली

गलती हो गई जो मैंने तुमसे शादी रचाई
सुधर जाओ आज से ही वरना रोज कराऊंँगी तेरी जग हंँसाई

पति सोचा बेकार में ही कहते हैं लोग पत्नी नहीं मानती कभी भी अपनी गलती
इसने तो आज से शुरू कर दी गलती हो गई मुझसे तुमसे शादी करके कहांँ से ये आफ़त मेरे गले पड़ी


 नई नई शादी हुई पत्नी विदा होकर घर आई
पति ने सुबह सुबह पत्नी पर ठंडी पानी उड़ेल आई

गुस्से और बौखलाहट पत्नी झट उठ बैठी
आँख से घूरते वो बोली कैसी प्रीत तुमने निभाई

पति बोला हंँस कर कहा तेरे बाप ने मुझसे बोला  है
बेटी मेरे जिगर का टुकड़ा मेरे बगिया की फूल है

Rashmi Hule

श्रृंगार रस :-रसग़ज़ल बंद आँखों से होते है जब दिदार महबूब के खुली आँखों के तलबगार क्यु रहे हम हो जाती है जब ख़ामोशियों में बाते तो मिलने-जुलने का इंतज़ार क्यु करे हम #yqbaba #yqdidi #yqtaai #bestyqhindiquotes #restzone #rzहिंदीकाव्यसंमेलन #rzरसग़ज़ल

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रसग़ज़ल :- श्रृंगार रस

बंद आँखों से होते है जब दिदार महबूब के
खुली आँखों के तलबगार क्यु रहे हम

हो जाती है जब ख़ामोशियों में बाते
तो मिलने-जुलने का इंतज़ार क्यु करे हम

मेरे ख़्वाबों में अक़्सर आकर ऐसे छू लेते हो 
कोई मख़मली चुनरिया में लिपटा हो बदन

खिले लबोंपर तेरा ज़िक्र आता है ऐसे 
 कोयल गुनगुना रहीं हो कोई ग़ज़ल

महक उठती हैं तेरी साँसों से रगरग
झूम उठता हैं तन-बदन जैसे गुलशन 

गुज़र जायें अब रातें ख़्वाबों में 
हो जायें युहीं मुलाकातें ख़यालों में  श्रृंगार रस :-रसग़ज़ल

बंद आँखों से होते है जब दिदार महबूब के
खुली आँखों के तलबगार क्यु रहे हम

हो जाती है जब ख़ामोशियों में बाते
तो मिलने-जुलने का इंतज़ार क्यु करे हम


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