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गीतेय...
White मात पितु का कुंभ मैं, यही मेरे कुम्हार। असमंजस से जग भरा, दिया मुझे निखार।। गडी–गड़ी गढ़े, घड़ी–घड़ी काटे खोट। एक हाथ कर धरे, एक हाथ से चोट।। सरवन–सरवन श्रवण करूं, मात पिता और कुंभ। तीन कर जो सर रहे, फिर जीत निश्चित स्तंभ।। –गीतेय... ©गीतेय... #GoodMorning #महाकुंभ2025
Aman Soni
"पवित्र नदियों के जल में नहाने से आत्मा की शुद्धि होती है, और जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।" ©Aman Soni #महाकुंभ2025 #sangamprayagraj
Tarun Rastogi kalamkar
मेला लगा प्रयाग में, पहुंँच रहे नर नार। गंगा में डुबकी लगा, मिलती खुशी अपार।। मिलती खुशी अपार, कुंभ की महिमा भाई। करने को कल्याण, यहांँ पर दुनिया आई।। लोग कमाते पुण्य, मुक्ति की पावन बेला। बीते बारह साल, लगे संगम तट मेला।। ©Tarun Rastogi kalamkar #महाकुंभ2025
CHOUDHARY HARDIN KUKNA
शीर्षक- महाकुंभ की महिमा पावन पूर्ण कुंभ की बेला, बड़े भाग्य से आई। खुशी अनोखी जनमानस के, अंतस में है छाई। महाकुंभ पावन प्रयाग में, दिव्य छटा लाया है। द्वादश पूर्ण कुंभ जब बीते, तब अवसर पाया है। बारह पूर्ण कुंभ होने पर, महाकुंभ आता है। यह केवल प्रयाग में आता, जन-जन हर्षाता है। गंगा जमुना सरस्वती का, संगम तीर्थ कहाता। मिट जाते सब पाप मनुज के, जो जन यहाँ नहाता। धन्य धरा पावन प्रयाग की, लगा कुंभ का मेला। महाकुंभ की छटा निराली, यहाँ मनुज का रेला। सभी तीर्थ आते प्रयाग में, धन्य भाग्य भारत के। पाप ताप संताप मिटाते, दीन दुखी औरत के। जिनके दर्शन सुलभ नहीं वे, साधु संत आए हैं। जिनकी प्रभु में परम आस्था, भक्त स्वयं आए हैं। गंगा तट की शोभा सुषमा, मुख से कहीं न जाती। लख सौंदर्य प्रयागराज का, इंद्रपुरी शरमाती। दान पुण्य स्नान करें हम, संगम तट पर जाएं। कूड़ा कचरा नाम मात्र भी, कहीं नहीं फैलाएं। रखें स्वच्छता हम घाटों पर, सबको यही सिखाएं। गंगा में स्नान बनाकर, कोटि यज्ञ फल पाएं। चौधरी हरदीन कूकना मकराना, राजस्थान ©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #महाकुंभ2025 #महाकुंभ #Nojoto #nojotohindi Hinduism हर हर महादेव
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read moreRamji Tiwari
White *प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं* भक्तिभाव से हृदय भरे अनमोल सीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं सत्य धर्म का प्रचार है सनातन का विस्तार है समस्त सृष्टि की चेतना मनुज जीवन आधार है जम्बूद्वीप से दिव्य न अन्य महाद्वीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप है पावन नदियों का संगम महाकुंभ दृश्य विहंगम सजे अखाड़े अति सुन्दर यहां मिटे सबका हर गम त्रिवेणी के तट पर झुकते सभी महीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं यह सनातन का अभिमान है हम सभी की पहचान है अमृत बूँद यहीं पर गिरी भगवान का वरदान है ज्ञान पुंज के समान आए बहु प्रदीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं त्रिवेणी में करने स्नान आते सभी संत महान त्रिवेणी में डुबकी लगा मोक्ष का पाते वरदान शिविर संतों के लगे कगार के समीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #Devotional #poem✍🧡🧡💛 #महाकुंभ2025 #प्रयागराज #भक्तिगीत
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read moreTarun Rastogi kalamkar
White महादेव जयघोष के खूब लगे जयकारे। हाथ जोड़ कर भक्त सभी भोले तुम्हें पुकारें। महाकुंभ में लगा हुआ शिव भक्तो का मेला, दर्शन की अभिलाषा लेकर लाखों भक्त पधारे।। ©Tarun Rastogi kalamkar #महाकुंभ2025
Tarun Rastogi kalamkar
New Year 2024-25 चलो चले,हम कुंभ नहाने जीवन सफल बना ले। बड़े दिनों, में मौका आया आओ कुंभ नहा ले।। गंगा तट, पर लगा हुआ है भक्तों का अब मेला, किए पाप,जो अब तक हमने कुछ तो पुण्य कमा ले।। ©Tarun Rastogi kalamkar #महाकुंभ2025
Tarun Rastogi kalamkar
New Year 2025 घूम रहा, मैं गंगा तट पर देख रहा था मेला। बड़ी भीड़ ,है महाकुंभ में होती रेलमपेला। संतो के, दर्शन पाने को भीड़ हो रही आतुर, भारत मां,की पावन भू पर मौसम है अलबेला।। ©Tarun Rastogi kalamkar #महाकुंभ2025
Tarun Rastogi kalamkar
New Year 2025 आस और विश्वास का, बड़ा अनूठा मेल। महाकुंभ पर आस्था, भर भर पहुंँची रेल।। ©Tarun Rastogi kalamkar #महाकुंभ2025