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Shivkumar
हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं । मुहब्बत को बस एक भरम जानते हैं । मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ , थकान मेरी , मेरे क़दम जानते हैं । हमें भूल जाने की आदत है लेकिन, तुम्हे , हम , तुम्हारी क़सम जानते हैं । ये छुपना कहाँ और ये बहना कहाँ है, ये आंसू सब अपना धरम जानते हैं । आशु छलकती है क्यों आँख से हमको पता है , कहाँ सब लोग यु बिछड़ने का ग़म जानते हैं । दिया तो है मजबूर कैसे बताये उजालों की तकलीफ तो हम जानते हैं है जो भी कुछ हमें इस जहाँ में हम उसको खुदा का करम जानते हैं। ©Shivkumar #relaxation #हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं । #मोहब्बत को बस एक भरम जानते हैं । मैं क्या इसके बारे में #मंज़िल से पूछूँ , #थकान मेरी , मेरे #क़दम जानते हैं ।
पाण्डेय ख़ुशबू
दूर तक पसरा सन्नाटा था और वो क़दम तन्हाई के थे जो और तेज़ी से मेरी ओर बढ़ रहे थे!! ©पाण्डेय ख़ुशबू #क़दम #आहट #तन्हाई #Khush0124 #khush_khwahish #khushboopandey #kavyaudgaar #Nojoto #nojotoshayari #Poetry
DR. SANJU TRIPATHI
इस जिंदगी में उलझनें है बहुत, हम खुद ही सुलझा लिया करते हैं। अपनी उलझनों से ही हम मुश्किलों के हल निकाल किया करते हैं। जिंदगी की कुछ उलझनों को तो हम वक्त पर छोड़ दिया करते हैं। उलझनें सुलझाने में हम अपना कभी भी वक्त जाया नहीं करते हैं। गमों को छुपाकर हम अपने माथे की शिकन को हटा लिया करते हैं। अपने माथे की सिकन से हम अपने गमों की नुमाइश नहीं करते हैं। चलते वक्त के साथ-साथ हम भी चलने की कोशिश किया करते हैं वक्त को रोक कर हम उसे कभी समेटने की कोशिश नहीं करते हैं। खुली हवाओं में खुलकर साँस लेने को हम अपने हाथ फैला लेते हैं। अंदर ही अंदर घुटकर हम अपनी जिंदगी को गमगीन नहीं करते हैं। क़दम-क़दम पर इम्तिहान है घबराते नहीं, हम हंसकर सामना करते हैं। जिंदगी जिंदादिली से जीते हैं ज्यादा पाने की ख्वाहिश नहीं करते हैं। -"Ek Soch" #क़दम-क़दमपरइम्तिहान #कोराक़ागज़ #कोराक़ागज़_pst_2 #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकागज #yqbaba #yqdidi
Beauty Kumari
क़दम.. क्यूं लगाते हो इस पैरों में बंदिशें जिससे कदम रुक जाते हैं; हे सज्जन! बढ़ने दे इन कदमों को , चढ़ने दे ऊंचाइयों पर.. काफ़ी संघर्ष करना पड़ता है इन नंगे पावों को, इसे भी जूते/जूतियों की चाहत पूरी करने दे। चढ़ने दे... बढ़ने दे... स्त्रियों और पुरुषों के कदमों में फर्क न कर.. दोनों को क़दम से क़दम मिला के आगे बढ़ने दे। इन कदमों को क्या पता की ये पुरुषों के हैं या स्त्रियों के... इसे तो सिर्फ आगे बढ़ना है, काफी अनुभवों को संजोए हुए। हम इंसानों द्वारा इसे फर्क ना करने दे। इसे आगे बढ़ने दे।। अपने कदमों की नई राह बनाने दे। मंजिल तो मिल ही जायेगी, राहों में मिलने वाली खुशियों को समेटने दे। जिंदगी के साथ कदम से क़दम मिलाने दे। इसे आगे बढ़ने दे। न हो गर पैर तो हिम्मत न हार; हो सब गैर तू हिम्मत न हार; ले मदद काठ पुर्जों की, रगड़ता चल... तू बढ़ता चल, तू चलता चल................_Merilekhni ©Beauty Kumari #hindikavita #hindipoem #क़दम #hindipoerty #youandme
अनुराग चन्द्र मिश्रा
Alone 'वक़्त के हाशिए' वक़्त की अजीब फितरत है, पल पल की ख़बर पलभर में बदल जाते हैं किसी मोड़ ये राहें किस ओर मुड़ जाती हैं कभी-कभी राहें कब समझ आती हैं, इंसान भटकता है क़दम भी बहक जाते हैं, बहके बहके क़दम कभी कभी कहाँ सम्भल पाते हैं, गुनाह भी करते हैं प्रायश्चित भी करते हैं, सब समझते हैं सब नजरअंदाज कर जाते हैं, ए ज़िंदगी कभी कर बयां, वक़्त के हाशिए क्या चाहते हैं| ©अनुराग चन्द्र मिश्रा 'वक़्त के हाशिए' वक़्त की अजीब फितरत है, पल पल की ख़बर पलभर में बदल जाते हैं किसी मोड़ ये राहें किस ओर मुड़ जाती हैं कभी-कभी राहें कब समझ आती हैं, इंसान भटकता है क़दम भी बहक जाते हैं, बहके बहके क़दम कभी कभी कहाँ सम्भल पाते हैं, गुनाह भी करते हैं प्रायश्चित भी करते हैं,
p@anchi
"हर छोटा बदलाव बड़ी कामयाबी का हिस्सा होता है"। @pnwr& #क़दम#books#nojotolove
Nidhi
ज़रूरी तो नहीं हर क़दम पर! किसी अपने का साथ हो!! मंजिलों तक पहुंचने के लिए! अकेले ही चलना पड़ता हैं!! @निधि #क़दम ✍️🔥
Prabhakar Tiwari✌
मोहरे" हैं हम यहाँ दोस्तो ये ज़िंदगी इक "बिसात" है, इक क़दम पे "शह" है इक क़दम पे "मात" है।
Bhardwaj Only Budana
क़दम क़दम पे बड़ी तन्हाई देखी है मेरे पाँव भी डगमगाने लगे थे l तेरी मंज़िल बड़ी दूर है रुक जा रास्ते भी मुझे यूँ समझाने लगे थे l कभी हार कर नही डरा मेरा वजूद मैं ख़ुद ही हैरान हूँ मेरे हौसलों से जिन्दगी में कामयाबी के मिटे हुए निशान भी दिखने लगे थे l Bhardwaj Only Budana
Varuna Saini
इश्क़ कि राह शहर में एक नयी राह बनी थी 'इश्क़ की राह', जहां पर सबको चलता देख मुझे अच्छा लग रहा था, क्योंकि सभी खुश नज़र आ रहे थे उस राह पर चलते। तो एक दिन मैं भी 'इश्क़ की राह' का राही बनकर निकली, जहां पर एक राही अकेला था और टूटा हुआ सा था, जिसको आगे का सफ़र तय करने के लिए, एक साथी कि ज़रुरत थी तो उसने मेरा हाथ थामा, और कहने लगा, कि आगे का सफ़र मुझे तुम्हारे साथ तय करना है, अब मैं थी इस राह कि नयी मुसाफिर, जिसने दिल से सोचकर आगे का सफ़र, उसके साथ करने के लिए राज़ी हो गई। एक दिन अचानक वो राही मुझे अपने इश्क़ में डाल कर, जो राह थी हम दोनों की उस मंजिल तक पहुंचने की, जहां हम होते और हमारी निशानियां होती, बीच राह पर ही उसके कदम थक जाते हैं, और इश्क़ कि राह से मुड़ जाना ही उसने ठीक समझा,। और छोड़ जाता है बीच राह पर मुझे तन्हा। जहां आगे का रास्ता तय करने वाले तो बहुत थे, मगर उसकी राह बदलते ही, मेरे भी क़दम उस राह पर आगे नहीं बढ़े, और उसी बीच राह से मैंने भी 'इश्क़ की राह से। और इस तरह दोनों ही, इश्क़ पर राह पर नहीं चल एक के, राह बदलते ही दोनों की राहें बदल गयी। इश्क़ कि राह शहर में एक नयी राह बनी थी 'इश्क़ की राह', जहां पर सबको चलता देख मुझे अच्छा लग रहा था, क्योंकि सभी खुश नज़र आ रहे थे उस राह पर चलते। तो एक दिन मैं भी 'इश्क़ की राह' का राही बनकर निकली, जहां पर एक राही अकेला था और टूटा हुआ सा था, जिसको आगे का सफ़र तय करने के लिए,