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Vishal Kushwaha
Vishal Kushwaha
Vishal Kushwaha
Vishal Kushwaha
Neeraj dangwal
हां बेरोजगार हूं मैं, लोगों के नजरों में गुनहगारों हूं मैं।। पढ़ने का तो शौकीन हूं मैं, लेकिन सरकारी ऑफीसर न बनने से परेशान हूं मैं !! सपने तो हजार बोए है मन में, उन्हें साकार करने के भी काबिल हूं मैं, लेकिन इस व्यंग भरी दुनिया के सामने, झुकने के लिए तैयार हूं मैं।। हां क्योंकि बेरोजगार हूं मैं, लोगों के नजरों में गुनहगारों हूं मैं ।। रोता हूं मन में न दिखाकर न हॅंसकर, पूछता हूं खुद से व्यंग पर या जंग पर, कसते हैं जो ताने आंखें दिखाकर , शर्मसार करते हैं जो बैठकर बिठाकर, इस कारण बंद कमरे का एक कैदी हूं मैं, हां क्योंकि बेरोजगार हूं मैं, लोगों के नजरों में गुनहगारों हूं मैं।। लड़ता रहूंगा क्यों हार माननी जिंदगी से, सुन भी लूंगा क्यों डरना व्यंग्यों से, सपने संजोकर रखे हैं जो मन में , उन्हें पूरा करने के लिए अग्रसर हूं मैं, हां क्योंकि बेरोजगार हू मैं, लोगों की नजरों में गुनहगारों हूं मैं ।। चुप्पी साध कर दुनिया के सामने, सबको एक दिन आईना दिखाऊंगा मैं , खैर जाने दो क्या कहूं उन सबसे मैं, क्योंकि उन्हीं सब का कर्जदार हूं मैं, हां क्योंकि बेरोजगार हू मैं, लोगों की नजरों में गुनहगारों हूं मैं।। ©Neeraj dangwal #relaxation #berojgari #poem #poem✍🧡🧡💛 #poeatry #today हां बेरोजगार हूं मैं। दुनिया के नज़र में गुनहगार हूं मैं।।
Kuldeep KumarAUE
Shree Ram कभी-कभी, मैं इन गरीबों को देखकर सोचता हूं कि महंगाई बस थोड़ी सी और हो जाए अभी ये गरीब दो वक्त का खाना खाते हैं वह भी ना खा पाए, सब मर जाए ताकि मेरे देश के नेताओं का सपना, मेरा और आपका सपना पूरा हो सके गरीबी मुक्त भारत ©Kuldeep KumarAUE #shreeram कभी-कभी, मैं इन गरीबों को देखकर सोचता हूं कि महंगाई बस थोड़ी सी और हो जाए अभी ये गरीब दो वक्त का खाना खाते हैं वह भी ना खा पाए, सब मर जाए ताकि मेरे देश के नेताओं का सपना, मेरा और आपका सपना पूरा हो सके गरीबी मुक्त भारत #kuldeepkumaraue #hungaryman #money #India #berojgari #Earth
ग़म-ए-इज़हार
SHIVA KANT(Shayar)
बेरोजगारी दुनियादारी,कभी ख़्यालों में बैकुण्ठ कैलाश..! समझदारी कभी लाचारी,करता अपने अस्तित्व की तलाश..! दौलत शौहरत वाले,सभी दिल के मैले काले..! उड़ाते हमारे जीवन का,अहँकार में यूँ ही उपहास..! हारती हिम्मत उठाती ज़हमत,ठहराव का अभाव रोकता विकास..! पैरों तले खिसकती जमीं,धुँधला नज़र आता ख़्वाबों का आकाश..! गिरेंगे उठेंगे थकेंगे क़दम पर,करते रहेंगे यूँ ही प्रयास..! वो बैठे हैं ख़ुद को मसीहा मान कर,हमारी हार के लगा रहे है क़यास..! हौसलों का हिमालय ढहने न देंगे,होंगे कभी भी न जीवन से निराश..! चमकेंगे हीरे की भाँति हम भी,ख़त्म होगा पिछड़ेपन का वनवास..! ©SHIVA KANT(Shayar) #raindrops #berojgari