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बेजुबान शायर shivkumar
उस किसान को मैं योद्धा मानता हूँ जो मुसीबत में भी मुस्कुराता है l जो भूख-गरीबी से लड़कर जो अपने खेतों में अनाज उगाता है ।। ©Shivkumar #wholegrain #Nojoto उस #किसान को मैं #योद्धा मानता हूँ जो #मुसीबत में भी #मुस्कुराता है l जो #भूख -गरीबी से #लड़कर जो अपने #खेतों में #अनाज उगाता है ।।
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read moreMr RN SINGH
#खेतों का काम करते हुए हम #Kheti #dhaan#Dhaani #MrRNSINGH #nojotohindi Ek Lamba safer with Adarsh upadhyay Aklesh Yadav GRHC~TECH~TRICKS Santosh Kumar Brajraj Singh
read moreRV Chittrangad Mishra
तलवारों पे सर वार दिए अंगारों में जिस्म जलाया है तब जाके कहीं हमने सर पे ये केसरी रंग सजाया है ए मेरी ज़मीं अफसोस नहीं जो तेरे लिए सौ दर्द सहे महफूज रहे तेरी आन सदा चाहे जान ये मेरी रहे न रहे ऐ मेरी ज़मीं महबूब मेरी मेरी नस नस में तेरा इश्क बहे पीका ना पड़े कभी रंग तेरा जिस्म से निकल के खून कहे तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी नदियों में बह जावां तेरे खेतों में लहरावां इतनी सी है दिल की आरजू वो ओ.. सरसों से भरे खलिहान मेरे जहाँ झूम के भांगड़ा पा न सका आबाद रहे वो गाँव मेरा जहाँ लौट के बापस जा न सका ओ वतना वे मेरे वतना वे तेरा मेरा प्यार निराला था कुर्बान हुआ तेरी अस्मत पे मैं कितना नसीबों वाला था तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी नदियों में बह जावां तेरे खेतों में लहरावां इतनी सी है दिल की आरजू ओ हीर मेरी तू हंसती रहे तेरी आँख घड़ी भर नम ना हो मैं मरता था जिस मुखड़े पे कभी उसका उजाला कम ना हो ओ माई मेरे क्या फिकर तुझे क्यूँ आँख से दरिया बहता है तू कहती थी तेरा चाँद हूँ मैं और चाँद हमेशा रहता है तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी नदियों में बह जावां तेरे फसलों में लहरावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी मिट्टी में मिल जावां
तेरी मिट्टी में मिल जावां
read moreShayar Abhiraaj Kashyap
ईमान बेचते है.. इंसान बेचते है ये देश के नेता है..हिंदुस्तान बेचते है😔.. सत्ता पाने को अपनी हस्ती बढ़ाने को ये गरीबों की झुग्गी झोपडी और माकन बेचते है ये देश के नेता है😔😔😔.... बोटो की ख़ातिर ये झगडे, दंगे कराते है , 🕉मदिंर-मस्जिद☪ का मुद्दा उठाते है..... ये देश के नेता है😔 झूठे बादे हजार करते हैं.. झूठी आस दिखा कर किसान को लोन देते है, लोन ना भरने पर लोन उनकी जमीन नीलाम करते है...😔😔 ये देश के नेता हैं..ईमान बेचते हैं😥😥😥 शरहद पर खड़ा जवान खेतों में पड़ा किसान इनसे भी झूठे बादे हजार करते है ये देश के नेता हैं..... बढ़ता भाव खाद-बीज का, किसानो की फसलों पर ये टैक्स लेते है.. ये देश के नेता हैं.....गरीबों की जान बेचते हैं😔😥..... शरहद पर मरता जवान, खेतों में झूलते किसान ये इन् बातों पर भी राजनीति किया करते है ये देश के नेता हैं...हिन्दुस्तान बेचते हैं..... सत्ता पाने की खातिर शरहद से सैनिको और खेतों से उनके किसान छीनते है ये देश के नेता हैं....... ये देश के नेता हैं हिंदुस्तान बेचते है....😔😢😔😢😔 लिखित:-अभिषेक कश्यप द्वारा नयनसी परमार Havaruni Dueby Devashish Pushkar Farooque Ansari Anselm Salil Barwa Renuka Singh
नयनसी परमार Havaruni Dueby Devashish Pushkar Farooque Ansari Anselm Salil Barwa Renuka Singh
read morePranav Singh Baghel
#kisan_diwas क्यों क्षुधाहर्ता की क्षुधा हरता नहीं कोई, धमनी में धरा की धारणा धरता नहीं कोई। कृषकों के प्रति संवेदना तो व्यक्त करते हैं, आकर किन्तु खेतों में स्वयं तरता नहीं कोई।। FULL POEM IN CAPTION #NojotoQuote फंदा #kisan_diwas #kshudha #fanda #farmer #nojotohindi #hindi #nojotopoem #hindipoem कोई अन्नदाता कहता है, कोई कहे शान हैं, देश का पेट भरते हैं, भूमिपुत्र किसान हैं। सबकी भूख मिटाते हैं, अदना हो या आली हो, देश भूखा ना सोए भले उदर अपना खाली हो।
फंदा #kisan_diwas #kshudha #fanda #farmer #nojotohindi #Hindi #nojotopoem #HindiPoem कोई अन्नदाता कहता है, कोई कहे शान हैं, देश का पेट भरते हैं, भूमिपुत्र किसान हैं। सबकी भूख मिटाते हैं, अदना हो या आली हो, देश भूखा ना सोए भले उदर अपना खाली हो।
read moreAjay Amitabh Suman
हिप हिप हुर्रे पिछले एक घंटे से उसके हाथ मोबाइल पर जमे हुए थे। पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगा। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। आखिकार लेबल 30 पार कर हीं लिया। डेढ़ घंटे की जद्दोजहद के बाद उसने पबजी गेम का 30 वां लेबल पार कर लिया था। उसी जीत का जश्न मना रहा था। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। कड़ी मेहनत के बाद फ्लैट की बॉलकोनी में जाकर आती जाती कारों को निहारने लगा। एक कार, फिर दूसरी, फिर त
हिप हिप हुर्रे पिछले एक घंटे से उसके हाथ मोबाइल पर जमे हुए थे। पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगा। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। आखिकार लेबल 30 पार कर हीं लिया। डेढ़ घंटे की जद्दोजहद के बाद उसने पबजी गेम का 30 वां लेबल पार कर लिया था। उसी जीत का जश्न मना रहा था। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। कड़ी मेहनत के बाद फ्लैट की बॉलकोनी में जाकर आती जाती कारों को निहारने लगा। एक कार, फिर दूसरी, फिर त
read moreparijat
लगता है कि कुछ तलाश रहा हूं मैं, उन गलियों, खेतों और, नदी की आवाज में, जिन्हें बहुत पहले छोड़ आया था, शहर जाने की होड़ में, बिखर गया जब, सब कुछ, तो शायद , समेटने आया हूं मैं, सन्नाटा पसरा है उन खेतों में, जो बचपन में मैदान हुआ करते थे, सन्नाटा है उस नदी की आवाज में भी, जिसकी आवाज़ से बचपन मे, अक्सर नींद आया करती थी, क्यूं सब बदल गया, और अजनबी हो गए सब रास्ते, जिनके हर पत्थर की अलग पहचान हुआ करती थी, एक अरसा.... #nojoto#love#poems#of#life#true#incident
Rajni Bala Singh (muskuharat)
गांव की सुन्दरता कभी मैं उन हरे भरे खेतों को देखूं कभी उस पगडंडी पर चलती गांव की अप्सरा को देखूं ऐसा प्रतीत होता है कोई पुष्प खिल रहा है अपनी सुंदरता से खेतों को भी लज्जा रही है अल्हड़ जवानी में कूदते फांदते गुनगुनाती अपनी ही धुन में चली जा रही है बादलों को भी घुमड़- घुमड़ कर आने को उकसा रही है जैसे ही उसके मधुर गीत का राग तेज हो गया बादलों का दिल भी जोर-जोर से बरसने लगा वर्षा में भीगती वह नहाती दिल में घर कर गई मेरे दिल में तो मानो हमेशा के लिए बस गई अब उसके दीदार को रोज खेतों में आता हूं कनखियों से देख कर मन ही मन मुस्कुराता हूं। ©_muskurahat_ गांव की सुन्दरता कभी मैं उन हरे भरे खेतों को देखूं कभी उस पगडंडी पर चलती गांव की अप्सरा को देखूं ऐसा प्रतीत होता है कोई पुष्प खिल रहा है अपनी सुंदरता से खेतों को भी लज्जा रही है अल्हड़ जवानी में कूदते फांदते गुनगुनाती अपनी ही धुन में चली जा रही है बादलों को भी घुमड़- घुमड़ कर आने को उकसा रही है
गांव की सुन्दरता कभी मैं उन हरे भरे खेतों को देखूं कभी उस पगडंडी पर चलती गांव की अप्सरा को देखूं ऐसा प्रतीत होता है कोई पुष्प खिल रहा है अपनी सुंदरता से खेतों को भी लज्जा रही है अल्हड़ जवानी में कूदते फांदते गुनगुनाती अपनी ही धुन में चली जा रही है बादलों को भी घुमड़- घुमड़ कर आने को उकसा रही है
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