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कवि अरुण द्विवेदी अनन्त
White मन में भरी बुराई जब तो होती नहीं भलाई है। किस पर आखिर करें भरोसा दुनिया ये हरजाई है। आज नहीं तो हल होगा कल दुविधाओं का ये मंजर, सबके कर्मों का फल किस्मत देती पाई पाई है। @अरुण द्विवेदी "अनन्त" ©कवि अरुण द्विवेदी अनन्त #बुराई #भलाई #भरोसा #हरजाई #पाई
कथायति
पूरी दुनिया में खुद को ढूंढती रही पर खुद से कभी मिल नहीं पाई और अंतर्मन से एक बार तेरा नाम लिया मनमोहन तो खुद से परिचय हो गई #दुनिया में #खुद को #ढूंढती रही पर खुद से #कभी #मिल नहीं #पाई #और #अंतर्मन से #एक #तेरा #नाम #लिया #मनमोहन#परिचय हो #गई#NojotoHindi JS gurjar J P TIWARI
Ashu Jha
कैसे भूलू उसको जिसको प्यार किया था। दिल उसके नाम, धड़कन कुरबान किया था। मोहब्बत समझी ही नहीं पाई वह मेरी। मोहब्बत समझी ही नहीं पाई वह मेरी । इसलिए अपने प्यार को उसने किसी और के नाम कर दिया था। ये उन दिनों की बात है
ये उन दिनों की बात है
read moremmmm
जो बयां ना कर पाई होठों से, तो उसे मेरे लफ़्ज़ों से पढ़ लेना, जो कभी बयां ना कर पाई आँखों, तो उसे मेरे गिरते हुये आँसू से पढ़ लेना । और जो कभी बयां ना कर पाई मेरी खामोशी, तो मेरी बेचैनी से पढ़ लेना, अगर फिर भी ना पढ़ पाये मेरी बैचेनी, तो मेरी मुस्कान के पीछे मेरा दर्द पढ़ लेना । और अगर फिर भी मेरी मोहब्बत समझ ना आये, तो मेरी दिल की धड़कन सुन लेना ,क्योकि ये जब भी धड़कती है तो सिर्फ तेरा और तेरा ही नाम लेती है जो बयां ना कर पाई होठों से तो, उसे मेरे लफ़्ज़ों से पढ़ लेना, जो समझ ना आये मेरी मोहब्बत तो कुछ इस तरह उसे समझ लेना तुम।।।। #NojotoQuote जो कभी समझ न आये हमारी मोहब्बत तो उसे इस तरह समझ लेना।।
जो कभी समझ न आये हमारी मोहब्बत तो उसे इस तरह समझ लेना।।
read moreKamal Kant
बावफ़ा वो है नहीं बेवफ़ा कह नही सकते ख़ास वो बन ना पाई आम कह नही सकते दिल में उतर ना पाई दिल से उतार नही सकते ख़ुदा वो है नही बंदा कह नही सकते मेरा बन ना पाया पराया कर नही सकते याद वो करता नही भूला सकते नही क़ैद है नही आज़ाद हो सकते नही मैं मैं हूं नही हम बन सकते नही अश्क़ है नहीं नीर को रोक सकते नही तुम्हारें बन ना पाये अपने बन सकते नही #poetry #feelings #writing #writer #poet #hindiwriter #hindipoet #feelings #love #alone #tum #zazbaat #baat #alfaz #poetrywriter #poetryworld #hindipoetry
Shilpa
अफ़सोस की सबकी होते होते कभी खुद की ना हो पाई अश्कों के सैलाब दबाके सिने में न चैन से जी पाई न मर पाई 2019#shilpapandya
अफ़सोस की सबकी होते होते कभी खुद की ना हो पाई अश्कों के सैलाब दबाके सिने में न चैन से जी पाई न मर पाई 2019shilpapandya
read moreप्रतिहार
ये क्या दे रहे हो भाई, मुझे रास नहीं आई! 73सालो कि आजादी, हमें तो नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? बांधा गया है देखो ना हमें सवर्ण के बेड़ियों में! खाना शेरों का छिन छिन, बांटा जाता है भेड़ियो में! ये हांथों की बेड़ियाँ मेरी आज भी ना खुल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? तु खुश रह कि तुझे आजादी मिली आज थी, गोरो से! कैसी आजादी? गदहे भी जब जीत रहे हैं घोड़ो से! तुझसे ज्यादा काबिल होकर नौकरी नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? मुगलों से हम हि उलझे, अरबों को हमने मारा था! विर शिवाजी हम ही थे, राणा प्रताप हमारा था! सबसे पहले, हमने हि,आजादी कि बिगुल बजाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? पहला शहिद मंगल पांडे, या वृद्ध कुंवर कि बात करो! आजाद हिंद तक पैसो को, किसने पहुंचाया याद करो! हमने जन्मा वीरांगना, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? छोड़ो खुशियों के दिन में अपने, दर्द को कितना खुर्दु मैं! हम ना होते भाई साब! पढते लिखते तुम उर्दू में! घुमो, नाचो, गाओ बोलो वन्दे मातरम् भाई! हां मगर, आजादी की बधाई हमें रास न आई!! लेखक-- पवन प्रतिहार आजादी की बधाई
आजादी की बधाई
read moreRajat Kumar
मेरा अधूरा प्यार रह गया मेरा प्यार अधूरा जैसे बारिश की कोई आखिरी बूँद जमीं पे ना उतर पाई हो रह गया मेरा हर ख्वाब अधूरा जैसे काेई आखिरी धड़कन आखिरी बार ना धड़क पाई हो रह गयी मेरी हर बातें अधूरी जैसे कोई मरने वाला आखिरी बार कुछ ना बोल पाया हो रह गयी मेरी हर मुलाकातें अधूरी जैसे काेई हवा ऊपर बादलों तक ना पहुँच पाई हो। #NojotoHindi #RajatKumar #AdhuraPyaar
Hindi #Rajatkumar #adhurapyaar
read moreKranti Thakur
#OpenPoetry धड़कनों जैसे ही कुछ मंद से पड़ते हुए बोझिल साँसों सा मेरे जिस्म के चलते हुए वो जो ज़ज़्बातों से काफ़ी हद तक लबरेज़ थे अल्फ़ाज़ों से कहीँ ज्यादा एहसासों के जिसमे तेज़ थे काश के जलाने से पहले एक दफ़ा पढ़ लेते गर दूरियाँ थी पसँद तुम्हे तो इत्तला पहले से हि कर देते जिन कागज़ों को तुमने आखिर ख़त समझा वो महज़ ख़त हि तो नहीं थे वो मुहब्बत में ज़िन्दगी भर की कमाई थी जिसे सहजने में खर्च की हमने उम्मीदों की पाई-पाई थी उसके जलने से जले थे कुछ ख़्वाब मेरी आँखों के दफ़न हो गयी थी कुछ सिसकियाँ कुछ चीखें मेरी आहों के उसके जलने में अरमानों का जलन था जिस्म सर्द था मगर जलता हुआ सा मन था - क्रांति #आखिरी #ख़त