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Shubham Bhardwaj
White जिंदगी की राहों में,तेरा इंतज़ार किया है। एक परदेशी को हमने, बेशुमार प्यार किया है।। ©Shubham Bhardwaj #love_shayari #जिंदगी #की #राह #मेंं #इंतजार #किये #प्यार
Shubham Bhardwaj
White गुनाह किया है,सजा कबूल करते हैं। मेरे गुनाह में तू नही शामिल, इतना बता मुझे।। ©Shubham Bhardwaj #sad_shayari #गुनाह #कबूल #किये #तू #भी #नही
Shubham Bhardwaj
तेरे आने का हम इंतज़ार किये जाते हैं। हर लम्हा जिंदगी का बेकार किये जाते हैं।। गुजरे लम्हों की एक याद बन गया है तू। याद करते हैं तुझे और प्यार किये जाते हैं।। ©Shubham Bhardwaj #kinaara #तेरे #आने #का #हम #इंतजार #किये #जाते #हैं #प्यार
Shubham Bhardwaj
दर्द में भी उसका,इंतज़ार रहता है। हर लम्हा दिल में उसका प्यार रहता है।। वादों पर उसके एतबार किया है। इसी लिए हर रात श्रंगार किया है।। ©Shubham Bhardwaj #umeedein #दर्द #में #भी #इंतजार #रहता #है #प्यार #किये
Shubham Bhardwaj
गुनाह किया है तो सजा के तलबगार बनो। जो भी बनो कुदरत के इंसाफ के पेरोकार बनो।। ©Shubham Bhardwaj #WoRasta #गुनाह #किये #है #तो #सजा #के #तलबगार #बनो
Shubham Bhardwaj
क्यों हर खुशी में,गम का सामान लिए फिरते हो। जो मिला है क्या कम है,क्यों खुदको अंजान किये फिरते हो।। इश्क़, मोहब्बत, आरजू में,उलझकर रह जाओगे एक दिन। जिस मकसद से आये हो,क्यों उस हद को गुमनाम किये फिरते हो।। ©Shubham Bhardwaj #feelings #क्यों #मोहब्बत #को #बदनाम #किये #फिरते #होगा
Shubham Bhardwaj
तन्हा-तन्हा बैठे हैं, कुछ याद किया और रो लेते हैं। जीवन की आपाधापी में, अपना सबकुछ खो देते हैं।। ©Shubham Bhardwaj #तन्हा #बैठे #कुछ #याद #किये #रो #लेते #जीवन
Narendra kumar
वो छोड़ के चले गये जो साथ निभाने का वादा किये थे। हम उसी जगह खड़े रह गये खामोश जो हाथ न छोड़ने का वादा किये थे। #me
Rajurahi ( Umesh Parmar)
ज़मीन पर बिछा के चादर मैली रातों में जाग जाग कर रफ़ू हर ख़्वाब किये थे, जीतने की खुशबू तो एक दिन आनी थी बदन से मेरे जिस्म से कपड़े भी तो अलग मैंने पसीने के बाद किये थे ।। #mehnat #rahi #success
Rooh_Lost_Soul
प्रिये दादा जी वो आपके साथ हर शाम नई कहानी सुनते-सुनते ना जाने कब सो जाते थे, और आप धीरे से अपनी गोद मे उठाकर हमें घर के आंगन में बिछी चारपाई पर मच्छरदानी के भीतर सुला आते थे । भोर की पहली किरण पर हम फिर चहकने लगते थे और बिना देर किये सबसे बड़ा पीतल का ग्लास थामे वहां पहुँच जाते थे जहाँ आप भैसों का दूध खुद दुहा करते है। हमे देख कर आप मुस्कुराते हुए पहले हमारे ग्लासों को ताज़े दूध से भर देते थे, और हम झट से बिना गर्म किये, फौरन वो दूध गटक जाते थे ।। कभी पतली तो कभी मोटी सी बन गई मूछों को देख आप जोर से खिलखिलाते थे । दादा जी, आप आज भी हमे बहुत याद आते है ।। वो दादा नाना के घर जाना, वो दादी के हाथ से बना माखन तो नानी के हाथ की खीर खाना, वो बागों में सारी दुपहरी बिताना तो नानी यहां ढेरो कॉमिक्स किराये पर लाना । वो बचपन था इतना सुहाना, ना कोई पराया था, ना कोई बेगाना ।। ना अब वो दिन रहे , और ना वैसा बचपन रहा, बस हर तरफ हर कोई अपने मे ही है उलझा हुआ। काश वो दिन पुराने फिर लौट आते, कुछ उन्हें सुनते, तो कुछ अपनी सुनाते ।। जब भी मिलते कही उनसे , बिना बुढ़ापे की फिक्र किये बस उनके गले से चिपक जाते ।। काश वो दिन फिर से कुछ पल ही सही, मगर फिर से जी पाते ।। #Ol
वो दादा नाना के घर जाना, वो दादी के हाथ से बना माखन तो नानी के हाथ की खीर खाना, वो बागों में सारी दुपहरी बिताना तो नानी यहां ढेरो कॉमिक्स किराये पर लाना । वो बचपन था इतना सुहाना, ना कोई पराया था, ना कोई बेगाना ।। ना अब वो दिन रहे , और ना वैसा बचपन रहा, बस हर तरफ हर कोई अपने मे ही है उलझा हुआ। काश वो दिन पुराने फिर लौट आते, कुछ उन्हें सुनते, तो कुछ अपनी सुनाते ।। जब भी मिलते कही उनसे , बिना बुढ़ापे की फिक्र किये बस उनके गले से चिपक जाते ।। काश वो दिन फिर से कुछ पल ही सही, मगर फिर से जी पाते ।। Ol
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