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Mohammad Atif
Parastish
शराब जैसी हैं उसकी आँखें, है उसका चेहरा किताब जैसा बहार उस की हसीं तबस्सुम, वो इक शगुफ़्ता गुलाब जैसा वो ज़ौक़-ए-पिन्हाँ, वो सबसे वाहिद, वो एक इज़्ज़त-मआब जैसा वो रंग-ए-महफ़िल, वो नौ बहाराँ, वो नख़-ब-नख़ है नवाब जैसा उदास दिल की है सरख़ुशी वो, वो ज़िन्दगी के सवाब जैसा वो मेरी बंजर सी दिल ज़मीं पर, बरसता है कुछ सहाब जैसा कभी लगे माहताब मुझ को, कभी लगे आफ़ताब जैसा हक़ीक़तों की तो बात छोड़ो, वो ख़्वाब में भी है ख़्वाब जैसा न वो शफ़क़ सा, न बर्ग-ए-गुल सा, न रंग वो लाल-ए-नाब जैसा जुदा जहां का वो रंग सबसे, है उसके लब का शहाब जैसा उसी से शेर-ओ-सुख़न हैं मेरे, उसी से तख़्लीक़ मेरी सारी वो अक्स-ए-रू है मेरी ग़ज़ल का, मेरे तसव्वुर के बाब जैसा ©Parastish शगुफ़्ता - cheerful ज़ौक़-ए-पिन्हाँ - hidden desire वाहिद - unique इज़्ज़त-मआब- most esteemed; respected नख़-ब-नख़ - row by row, line by line सरख़ुशी - happiness सवाब - reward सहाब - a cloud
Parastish
ताश के खेल- सा इश्क़ अपना दिल मिरा है मगर हुक्म उनका ©Parastish #sher #Shayari #Quotes #parastish #taash #Dil #ishq
Parastish
जहाँ की भीड़ में यकता दिखाई देता है वो एक शख़्स जो प्यारा दिखाई देता है कभी वो चाँद जमीं का मुझे है आता नज़र कभी वो आईना रब का दिखाई देता है वो ख़ामुशी भी है सुनता मिरी सदा की तरह वो रूह तक से शनासा दिखाई देता है उसी के प्यार में है दिल की धड़कनें रेहन फ़सील-ए-दिल पे जो बैठा दिखाई देता है वो साज़-ए-हस्ती की छिड़ती हुई कोई सरगम लब- ए- हयात का बोसा दिखाई देता है ©Parastish यकता - अनुपम, अनोखा सदा - आवाज़ शनासा- परिचित रेहन - क़ब्ज़े में होना फ़सील-ए-दिल - दिल की मुंडेर साज़-ए-हस्ती - ज़िन्दगी का संगीत हयात - ज़िन्दगी, बोसा - चुंबन
Parastish
गर साल तरह ही जो अहवाल बदल जाते तो ज़ीस्त के भी अपने अश्काल बदल जाते अफ़सुर्द मिरे दिल को जो मिलता तिरा दामन तक़दीर बदल जाती, तिमसाल बदल जाते शतरंज सा होता कुछ ये खेल मुहब्बत का गर मिलती सिपर हमको हम चाल बदल जाते इन सर्द- सी रातों में हो तन्हा बसर कैसे उफ़ हिज्र के ये मौसम फ़िलहाल बदल जाते ये दौर-ए-गम-ए-दिल का बस ख़त्म नहीं होता इक बार तो क़ुदरत के अफआ'ल बदल जाते ©Parastish अहवाल - हालात अश्काल - सूरतें तिमसाल - तस्वीर अफआ'ल - काम/ actions #Ghazal #Quotes #parastish #sher #Shayari #Poetry #NewYearQuotes
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ख़्वाब इक उनके ही आँखों में बसा करते हैं रत-जगे हों भी तो बस वो ही दिखा करते हैं ये शब-ओ-रोज़ नहीं यूँ ही चराग़ाँ है सनम शम्अ बन कर तिरी यादों में जला करते हैं रूठा रूठा सा है अब चाँद फ़लक का हमसे क्यूँ कि हम चाँद जमीं पर है, कहा करते हैं प्यार में जिस्म से आती है गुलों-सी खुशबू लोग लम्हों के ख़याबाँ में रहा करते हैं हम को मालूम न मस्कन या ठिकाना अपना हम तो बस इश्क़ में गुम-गश्ता फिरा करते हैं ©Parastish शब-ओ-रोज़= रात और दिन ख़याबाँ= बाग़ मस्कन= घर गुम-गश्ता= गुम-शुदा, खोया हुआ #ghazal #sher #Shayari #parastish #Quotes #Poetry
Parastish
किताब-ए-ज़ीस्त में मुझे कोई निसाब ना मिला बहुत सवाल थे जिन्हें कभी जवाब ना मिला मिले बहुत मुझे, मगर कोई सवाब ना मिला मिरे हिसाब का कोई भी इंतिख़ाब ना मिला गुज़र गई ये उम्र बस, चराग़-ए-ग़म के साए में जो रौशनी करे मुझे, वो आफ़ताब न मिला बड़ी थी आरज़ू मिरी, हक़ीक़तें सँवार लूँ नसीब ख़ार ही हुए, कोई गुलाब ना मिला झुलस गए बुरी तरह से हम तो दश्त-ए-इश्क़ में कि आब, अब्र छोड़िए, हमें सराब न मिला किसी हसीन याद का चलो ये फ़ायदा हुआ कटी है उम्र हिज्र में, मगर अज़ाब ना मिला तलाशती रही सदा, वो जिस में अक्स पा सकूँ पर आईने-सा, कोई शख़्स, बे-नक़ाब ना मिला ©Parastish किताब-ए-ज़ीस्त= ज़िन्दगी की किताब निसाब= मूल,आधार, सरमाया सवाब= सही, ठीक इंतिख़ाब= चयन, चुनाव, चुना जाने वाला ख़ार= काँटे दश्त-ए-इश्क़= इश्क का रेगिस्तान आब= पानी, अब्र=बादल, घटा सराब= मरीचिका, वो रेत जो दूर से पानी की तरह दिखाई देती है
Parastish
किसने दर पर ये आहटें कर दीं! तेज़ दिल की ये धड़कनें कर दीं! दश्ते दिल सब्ज़ हो उठा फिर से, आपने कुछ यूँ बारिशें कर दीं! थी उदासी फ़क़त मिरे घर में, आप आए तो रौनकें कर दीं! उन की नज़रों ने यूँ तराशा मुझे, जों ख़ुदा ने इनायतें कर दीं! उसकी चाहत में, मैं हूँ वारफ़्ता, लो बयाँ मैंने, हसरतें कर दीं! ©Parastish दश्त-ए-दिल = दिल का रेगिस्तान/जंगल सब्ज़ = हरा वारफ़्ता = बेसुध, बेखु़द #गजल #sher #Shayari #ghazal #Poetry #parastish #lovepoetry
Parastish
किसने मुझको किया ग़म-ख़्वार न पूछो मुझसे था वो दुश्मन या मेरा यार न पूछो मुझसे धुँधला - धुँधला है मेरा अक्स मेरे ज़ेहन में आईना देखा था किस बार न पूछो मुझसे मुझ को मुझ- सा नहीं बेज़ार कोई आता नज़र किस क़दर हो गई मिस्मार न पूछो मुझसे इश्क़ के नाम से भी ख़ौफ़ज़दा हूँ अब तो कौन था शख़्स मिरा प्यार न पूछो मुझसे ऐसा टूटा है कि हँसना भी ये दिल भूल गया था मिरा कौन ख़ता-वार न पूछो मुझसे ©Parastish बेज़ार= निराश, नाख़ुश मिस्मार= बर्बाद , तबाह #ghazal #sher #Shayari #Poetry #parastish
Parastish
कैसे बिगड़े मिरे हालात न मालूम मुझे वक़्त ने क्या किए ज़ुल्मात न मालूम मुझे बिखरे रिश्ते मिरे क्यूँ काँच के पैकर जैसे दरमियाँ क्या हुए ख़दशात न मालूम मुझे मैं हूँ खोई हुई माज़ी की किन्हीं यादों में क्या अभी गुज़रे हैं लम्हात न मालूम मुझे साथ तन्हाई है औ' ग़म की फ़रावानी है कैसे कटते हैं ये दिन-रात न मालूम मुझे उसको चाहा ही नहीं,मैंने परस्तिश'की है वस्ल की होती है क्या रात न मालूम मुझे ©Parastish पैकर= आकृति/body, figure ख़दशात= शंकाएं/ doubts माज़ी= अतीत/past फ़रावानी= अधिकता/abundance,plenty परस्तिश= इबादत,पूजा/worship #ghazal #sher #Shayari #Poetry #parastish