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Best वैसी Shayari, Status, Quotes, Stories

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Nurul Shabd

#मैं #जैसी #हूँ #वैसी #हीं बेमिसाल हूँ #motivatation Extraterrestrial life

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Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]

fouji "Hindustani"

attitude😎

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#जैसा तुम सोचते हो

                  #वैसी मै हु नहीं 

#और जैसी मै हु
              
                   ना,,,, #वैसे तुम

#सोच भी नही सकते….😏

sanam jee #attitude😎

Akash

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इतनी तो ना उलझी थी जिंदगी अपनी
जितनी सुलझाने में गठान आ गयीं

बहुत भर भर के लीं थीं साँसें मैंने
ना जाने किस किस के काम आ गयीं

मोहब्बत की तासीर सबो के लिए अलग है 
जिसकी जैसी थीं तवियत, वैसी ताबीज आ गयीं
 
मिला के देख कभी मिट्टी में क़भी लहू अपना
जैसी बोई थी नियत ,वैसी फसल आ गयीं

वो आते ही नही कभी मेरे अंजुमन की तरफ
ये सुबह कैसी है,शाम को ही मेरे घर आ गयी


गिनती में तो सब एक से बढ़ कर एक निकले
हम हिसाब में कच्चे थे वो खेल खराब कर गयी

NISHI

चाँद हो तुम  क्यूकी जाऊ कही भी,,तूम और तुम्हारी यादे 
वैसी की वैसी,मेरे साथ चलती ही जाती है,, #सच #openpoetry #nojoto #चांद_हो_तूम

Saransh Natani

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नही वाकिफ़ मेरी नज्में उसके हालातों से,नहीं जानता कि अब वो कैसी है

मेरे जीवन में अब उपस्थिति उसकी,किसी कहानीं की परियों के जैसी है

एक बड़े अरसे के बाद कल मैंने,देखी है बस एक झलक उसकी

यकीनन सब कुछ बदल चुका है अब उसमें,बस आँखें वैसी की वैसी है






                                   
                                              सारांश...जिंदगी का

Ajay Amitabh Suman

नमक बेईमानी का अरोड़ा साहब का कपड़ों के इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का दिल्ली में बहुत बड़ा कारोबार था। अक्सर वो चीन के व्यापारियों से संपर्क करके उनसे कपड़ों के एक्सपोर्ट का आर्डर लेते, फिर अपनी फैक्ट्री में कपड़ों को बनवा कर चीन भेज देते। इस काम में अरोड़ा साहब को बहुत मुनाफा होता था। उनकी इंपोर्ट और एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट में बहुत बड़ी पहुंच थी। अरोड़ा साहब इस बात का बराबर ख्याल रखते कि दिवाली या नए वर्ष के समय एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट के सरकारी कर्मचारियों के पास बख्शीश समय पर पहुंच जाए। ये अरोड़ा साहब

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 नमक बेईमानी का


अरोड़ा साहब का कपड़ों के इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का दिल्ली में बहुत बड़ा कारोबार था। अक्सर वो चीन के व्यापारियों से संपर्क करके उनसे कपड़ों के एक्सपोर्ट का आर्डर लेते, फिर अपनी फैक्ट्री में कपड़ों को बनवा कर चीन भेज देते। इस काम में अरोड़ा साहब को बहुत मुनाफा होता था। उनकी इंपोर्ट और एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट में बहुत बड़ी पहुंच थी। अरोड़ा साहब इस बात का बराबर ख्याल रखते कि दिवाली या नए वर्ष के समय एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट के सरकारी कर्मचारियों के पास बख्शीश समय पर पहुंच जाए। ये अरोड़ा साहब

Pratyush Saxena

Waisi Si Mohabbat #PS #nojotohindi #mohabbat #philosophy

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वैसी सी मोहब्बत।

मुझे तुमसे ये सबके साथ वाला प्यार नहीं चाहिए । मेरे इश्क़ के फ़लसफ़े अलग है । मुझसे वैसी सी मोहब्बत करो , जैसी तुम बारिश से करते हो , जिसका होना तुम्हे उत्साहित करता है , जो तुम्हारे रोम रोम को पुलकित कर देती है , पर तुम उसे कैद नहीं करना चाहते । मुझसे वैसी सी मोहब्बत करो जैसी तुम पहाड़ों पे मिलने वाली हवा से करते हो , जिसे तुम अपनी साँसों में मह्सूस करके छोड़ देते हो ।  वैसी सी मोहब्बत जैसे कोई चित्रकार अपने बनाये तस्वीर को बनाते समय करता है , और बना के प्रदर्शित कर देता है । मुझे ये इश्क़ के नाम से बिकने वाली मोहब्बत नहीं चाहिए , मुझे वो अनुभूति चाहिए , वो मह्सूस होने वाली , जिसके होने का एहसास ही बेशकीमती होता , वैसी सी मोहब्बत ।।  Waisi Si Mohabbat #PS #Nojoto #NojotoHindi #Mohabbat #Philosophy

BRIJESH KUMAR

मेरे बचपन वाला अमीरी न जाने कहां खो गया मेरे बचपन वाला अमीरी न जाने कहां खो गया कबड्डी,खो-खो,अंताक्षरी लूडो गिली-डंडा मोबाइल में बंद हो गया जब एक टेलीफोन था! तो ? सब बारी बारी परिवार में बात करते थे मोबाइल आते ही एक परिवार पता ही नहीं चला कब अपने ही घर में अजनबी हो गया

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मेरे बचपन वाला अमीरी न जाने कहां खो गया 
मेरे बचपन वाला अमीरी न जाने कहां खो गया 
कबड्डी,खो-खो,अंताक्षरी लूडो गिली-डंडा मोबाइल में बंद हो गया 

जब एक टेलीफोन था! तो ? सब 
बारी बारी परिवार में बात करते थे 
मोबाइल आते ही एक परिवार पता ही नहीं चला कब अपने ही घर में अजनबी हो गया 

कभी लौट जाता हूं अपने बचपन में देखता हूं खुद को तो कभी निहारता हूं एक बार इस जमाने को आह भरकर कहता हूं ओह मेरे देश के नौजवानों को ये क्या हो गया

 जहाँ मां पापा के ₹1 वाली अमीरी थी 
वहाँ आज चिलम गुटखा बीड़ी बियर हो गया 
कोई बताए आज के युवाओं को क्या हो गया 
मेरे बचपन वाला अमीरी न जाने कहां खो गया

 संसार की सारी गालियाँ बनी है औरतों पर बेटियों पर मां पर और बहनों पर यह युवा कब से,रिश्तों का जानवर हो गया 
मेरे बचपन वाला अमीरी न जाने कहां खो गया 

डर लगता था कोई ऐसी वैसी बात करने पर हमें ,
डर लगता था ! ऐसी वैसी बात करने पर हमें अपने ही घर में, आज का युवा पीढ़ी पीरियड प्रेगनेंसी तक पहुंच गया 
मेरे बचपन वाला अमीरी न जाने कहां खो गया

देखूँ जो 20 वीं सदी में चारों ओर नजर घुमाकर 
तो लड़की-लड़का और लड़का-लड़की हो गया 
पता ही नहीं लगा सूट सलवार और साड़ी 
कब फटी निकर टॉप और जींस हो गया 
वह बचपन वाला अमीरी न जाने कहां खो गया 

मेरी सादगी वाली कटिंग अन्नास स्टाइल में तब्दील हो गया 
जहां होती थी मुँछे मर्दों की शान वहां दाढ़ी वाला बाबा बियर्ड हो गया 
यह मेरे देश के नौजवानों को क्या हो गया 
मेरे बचपन से बढ़ते हुए युवाओं की अमीरी  ऩ? जाने कहां खो गया

ये मेरे देश के नवयुवाओं को क्या हो गया

ये मेरे देश के नवयुवाओं को क्या हो गया 
   
                       ब्रजेश कुमार मेरे बचपन वाला अमीरी न जाने कहां खो गया 
मेरे बचपन वाला अमीरी न जाने कहां खो गया 
कबड्डी,खो-खो,अंताक्षरी लूडो गिली-डंडा मोबाइल में बंद हो गया 

जब एक टेलीफोन था! तो ? सब 
बारी बारी परिवार में बात करते थे 
मोबाइल आते ही एक परिवार पता ही नहीं चला कब अपने ही घर में अजनबी हो गया

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