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दर्शन ठाकुर
"दर्शन " इल्म दुनिया का मुझे बस इतना सा ही हुआ । किसी को "मय" ने मारा, तो किसी को "मैं" ने । 🖋दर्शनशास्त्र 🖋 #दर्शनठाकुर
दर्शन ठाकुर
फरेबी इस दुनिया में सच से ज्यादा कहीं झूठ बिकता है। खाकर ठोकरें जिंदगी में इंसान जीने का हुनर सीखता है। किसी को पाने की चाहत में इंसान प्रार्थना इबादत करता है। मगर हम है की जिन्हें अंधेरों में भी तेरा साया अपने साथ दिखता है। #दर्शनठाकुर
दर्शन ठाकुर
वो मांझी ही क्या जो कश्ती को मंझधार से तो निकाले मगर किनारे पर डूबो दे... वो प्यार ही क्या जो अपने महबूब को जिंदगी का किनारा जीने किनारे छोड़ दे... #दर्शनठाकुर
दर्शन ठाकुर
शर्तों की जंजीरों में बांधकर, प्रेम की सीमाओं को निर्धारित नहीं किया जा सकता। #दर्शनठाकुर
दर्शन ठाकुर
ज़रा सा बुलन्दी ने रुख क्या मोड़ा, वो हमसे दूर गये हमको तन्हा छोड़ा । लेकर कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, हमारी भानुमती ने नया कुनबा जोड़ा । #दर्शनठाकुर
दर्शन ठाकुर
मुझे इश्क़ के पाश में बांध सकोगे, यह आपकी बहुत बड़ी भूल है। इश्क़ तो महज लक्ष्य की तरफ, बढ़ते मेरे कदमों से उठने वाली धूल है। #दर्शनठाकुर #spark
दर्शन ठाकुर
हंसना- रुठना मिलना बिछड़ना, तो महज़ एक बहाना है । तू ही रुह तू ही रब, तू ही मेरा ज़माना है। ©दर्शन ठाकुर #दर्शनठाकुर
दर्शन ठाकुर
"तुझसे हूं मैं, तुझमें हूँ मैं" तुम मन्नत मेरी मैं गरूर तुम्हारा , तुम हो जवाब तो मैं सवाल तुम्हारा। तुम अगर बाती तो मैं दीया दीवाली का, तुम होली तो मैं गुलाल तुम्हारा। तुम अगर मैंहदी तो मैं महावर, हो तुम आंख तो मैं काजल तुम्हारा। तुम नींद तो मैं ख्वाब तुम्हारा , तुम अश्क तो मैं रूमाल तुम्हारा। तुम अगर सीप तो मैं समन्दर, तुम हो बारिश तो मैं बादल तुम्हारा। तुम अगर चांद तो मैं चकोर, तुम सोहनी तो मैं महिवाल तुम्हारा। तुम अगर आग तो मैं भस्म , तुम करूणा तो मैं ह्रदय विशाल तुम्हारा।
read moreदर्शन ठाकुर
प्रिये से मिलने की आस लिये, सब छोड़ छाड़ दीवाना अपने घर से निकला। कभी राह दिखाती तो कभी कड़क कड़क कर, प्रियसी का हाल सुनाती चपला। मिलन की खबर फिज़ा में फैली, तो विधान विधि का पलभर में जा बदला। यह प्रेम आलिंगन देख बोले रती से कामदेव, है इक नेहला तो दूजा दहला। प्रिये से मिलने की आस लिये, सब छोड़ छाड़ दीवाना अपने घर से निकला। कभी राह दिखाती तो कभी कड़क कड़क कर, प्रियसी का हाल सुनाती चपला। मिलन की खबर फिज़ा में फैली, तो विधान विधि का पलभर में जा बदला। यह प्रेम आलिंगन देख बोले रती से कामदेव, है इक नेहला तो दूजा दहला।
प्रिये से मिलने की आस लिये, सब छोड़ छाड़ दीवाना अपने घर से निकला। कभी राह दिखाती तो कभी कड़क कड़क कर, प्रियसी का हाल सुनाती चपला। मिलन की खबर फिज़ा में फैली, तो विधान विधि का पलभर में जा बदला। यह प्रेम आलिंगन देख बोले रती से कामदेव, है इक नेहला तो दूजा दहला।
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"एक प्रेम कहानी ऐसी भी " न रहने को मकान शहर अनजान लोग बेगाने, किसी से कुछ पूछो तो कहे भाई हम क्या जाने। घर फोन किया तो पापा पूछे पहुंच गया ठिकाने, अब वहां बसकर के तो दिखा तो तुझे हम माने। चारों तरफ देखा मगर ऐसा कोई न था जो मुझे पहचाने, फिर क्या था लम्बी सी सांस भरी लगा खुद को रिझाने।
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