Find the Best उलझ Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutउलझ का अर्थ, जिंदगी उलझ सी गई है, उलझ गई,
Rabindra Kumar Ram
" वो हैं ही नहीं ख्यालत लेकर बैठ गये , खुद से उलझ पड़े हैं सवालात लेकर बैठ गये , ये कौन हैं जो जिसकी आरज़ू जुस्तजू किये जा रहे हैं , उसकी मौजूदगी है ही नहीं किसकी तस्वीर बनाते जा रहे हैं . " --- रबिन्द्र राम वो हैं ही नहीं ख्यालत लेकर बैठ गये , खुद से उलझ पड़े हैं सवालात लेकर बैठ गये , ये कौन हैं जो जिसकी आरज़ू जुस्तजू किये जा रहे हैं , उसकी मौजूदगी है ही नहीं किसकी तस्वीर बनाते जा रहे हैं . " --- रबिन्द्र राम #ख्यालत #उलझ #सवालात #आरज़ू #जुस्तजू #मौजूदगी #तस्वीर
Hiren. B. Brahmbhatt
वहीं हम फिर से उलझ जाते हैं, सुना देने से किसी को , कितने सवाल सुलझ जाते हैं, सिर्फ़ सुन लेने से .. #उलझ #सुलझ
Neetu Sharma
क्यों करते हो उस चाहने वाले कि फिक्र उलझ ही गया है। उलझ जाने दो। जिस दिन सुलझेगा । उस दिन शायद गुलाब बनकर महकेगा।। अभी शमा उसकी महोब्बत कि धागें बुन रहा है।। हलचल तो थोङी-थोङी दिल भी कर रहा है। अरे जनाब वो अभी उलझने से नहीं डर रहा है। अभी नयाँ - नयाँ सा है ईश्क उसका। वो ईश्कियाँ कर रहा है।💕 (@@;)Neetu SharmA✍ अभि नयाँ - नयाँ सा है ईश्क उसका। अभि वो ईश्कियाँ कर रहा है।💕.....#nojotoapp#nojotogazal#nojotoinsta#love❤#MeraShehar
अभि नयाँ - नयाँ सा है ईश्क उसका। अभि वो ईश्कियाँ कर रहा है।💕.....#nojotoapp#nojotogazal#nojotoinstalove❤#MeraShehar
read moreRam N Mandal
बचपन के सवालों से निकल कर, कब तेरे ख़्यालों के सवाल में उलझ गया ! सुलझाने का हौसला तो है मुझमे, न जाने क्यों दिल उलझ कर जीना चाहा ! - Ram N Mandal Bachapan ke sawalon se nikal kar, Kab tere khyalon ke sawal me ulajh gaya ! Suljhane ka hausala to hai mujhame, N jane kyon dil ulajh kar jeena chaha ! #ख़्याल #Khyaal
बद्रीनाथ✍️
३ शायद ही मिले तुमसा कोई किसी और को क्योंकि मैंने देखा है लाखों प्रेमियों को अपने मंजिल से बिल्कुल अनजान कैसे राहों में ही भटक जाते हैं जैसे मानो एक दूसरे को ही समझा रहे हो मैं ही तो हु तुम्हारी मंजिल इधर-उधर क्यों जा रहे हो और एक दूसरे में ही ,ऐसे उलझ जाते है मानो एक दूसरे को ही सीखा रहे हो मुझे छोड़ कहा जाओगे जहाँ जाओगे पछताओगे और बीच राहों में ही ,ऐसे उलझ जाते है ना खुद सुलझ पाते हैं ना दूसरे को सुलझने देते है और अन्त में एक दूसरे को गहराई तक मापते है फिर मूल रूप से खुद को नष्ट कर देते हैं । एक वक़्त था जब मै भी उलझ गया था बीच राह में मुझे भी दूसरों की तरह तुम्हारे सिवा कुछ भी नज़र नही आता था याद है वो पल मुझे आज भी कैसे तुमने मेरे हाथों को थाम बीच राह में भटकने से रोका था मैं बार-बार भटकता ,और तुम बार -बार मेरा हाथ थाम मुझे मेरी मंजिल के राहो में मेरा धयान केंद्रित कराती और तुम हार तब तक नही मानी जब तक मुझे , मेरा मंज़िल नही मिली और तुम आज भी मुझे इतने में नही देखना चाहती मुझे आज से , कल और बेहतर देखना चाहती हो और मै तुम्हारे सारे सपने को पूरा करूँगा तुम मुझे जहा देखना चाहती हो , वहा जरूर जाऊंगा तुम्हरा साथ रहे बस, ये दुनिया को जीत जाऊंगा और आज मेरे पास सबकुछ है शायद ये सब तुम्हारे बिना मुमकिन नहीं था तुम थी तभी मंज़िल तक पहुँच पाया वरना में भी ,बीच राह में उलझ कर खुद को नष्ट कर देता । ,✍️ बद्रीनाथ #yourlove #mrbnp#कविता ३ शायद ही मिले तुमसा कोई किसी और को क्योंकि
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
शिकवे शिकायत में उलझ कर रह गई मोहब्बत अपनी, समझ नहीं आता इश्क किया था या कोई मुकदमा लङ रहे थे, _______________________________ मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, #शिकवे शिकायत में #उलझ कर रह गई #मोहब्बत अपनी, . #समझ नहीं आता #इश्क किया था या #कोई मुकदमा लङ रहे थे.!!!!! मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा
Mahir sayar
काश मेरी यादो मे तु ऐसे उलझ जाए मैं यहां तेरे बारे मे सोचूँ और वहा तू समझ जाए #उलझ जाओ न
#उलझ जाओ न
read moreगौरव गोरखपुरी
जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में गांव तक वह रोशनी आएगी कितने साल में - अदम गोंडवी उलझ कर रह गए थे ,पिछली सरकारों के जंजाल में रोशनी हर गांव तक आई, आईं नई सरकार जिस साल में - गौरव पांडेय जवाब
जवाब
read moreVibhooti Gondavi.
बेहिसाब सवालों में उलझ कर रह गई जिंदगी, अपनों के बुने जाल में उलझ कर रह गई जिंदगी, आज भी जवाब ढूंढता हूं कि मैं कौन हूं, इन्ही सवालों में एक सवाल बनकर रह गई जिंदगी... उलझ कर रह गई जिंदगी #nojoto #nojotohindi #nojotoshayri #nojotourdu #जिंदगी #उलझन
उलझ कर रह गई जिंदगी nojoto #nojotohindi #nojotoshayri #nojotourdu #जिंदगी #उलझन
read moreDeepak Vishal
अपनी हीं विरासत के पन्नो में उलझ जाता है इंसान। कुछ ना कह कर भी बहुत कुछ कह जाता है इंसान।। माया की इस नगरी में, रिश्तों का जाल बिछा है। लाख कोशिशों के बाद भी सिमट जाता इंसान।। सहमा सहमा रहता है, टूटने के डर से... पर एक ना एक दिन बिछड़ जाता है इंसान।। हौसलों की बुनियाद पर चट्टान बनाता है खुद को... फिर टूट कर बिखर जाता है इंसान।। अपनी हीं विरासत के पन्नो में उलझ जाता है इंसान। कुछ ना कह कर भी बहुत कुछ कह जाता है इंसान।। Copyright @ दीपक विशाल इंसान
इंसान
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