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अदनासा-
RJ SHALINI SINGH
Rahul Sharma
----------आलोचकों की दुनिया------------- नृत्य प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आए हुए सभी प्रतिभागी एक दूसरे की सुंदरता देखकर मन ही मन एक दूसरे से ईर्ष्या का भाव रखने लगे| एक से एक प्रतिभागी नवीन वस्त्रों को दिखा कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था|वहीं पास में ही एक छोटे से गरीब परिवार की लड़की जिसके पास ना तो महंगे वस्त्र और ना ही महंगे आभूषण थे| वह इस कार्यक्रम की रंगारंग चमक देख कर चकित थी | उसके वस्त्रों को देखकर कई प्रतिभागियों ने उसे कहा कि यह मंच उस जैसे लोगों के लिए नहीं है परंतु चुपचाप वह अपनी तैयारी में लगी रही|जब उसके नृत्य को देखा सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए और अन्य अभिमानी प्रतिभागी निशब्द| प्रतियोगिता जीतने पर आयोजकों ने उस लड़की को दो शब्द बोलने को कहा तो वह सब का धन्यवाद करती हुई बोली की इच्छा शक्ति और प्रतिभा वस्त्रों की मोहताज नहीं होती| तालियों की आवाज से पंडाल गूंज उठा और उसके आलोचक अब भी निशब्द खड़े थे | #सुंदरता #निशब्द #yqdidi #yqbaba #yqbhaijan #कथा #लघुकथा #storyteller
Dr. Vishal Singh Vatslya
लाकङाउन की मुलाकात ●●●●●●●●●●●●● { Read in Caption } Dr.Vishal Singh #yostowrimomay #बालकनीकहानी #लघुकथा तुम बस यहीं लेटे रहा करों... तुम्हारे आराम के लियें ही यें लाकडाउन हुआ है ना..... क्या हुआ मां आप क्या बुदबुदा रहें हो... बताइये ना... मैने मां से पूछा तो वह और भड़क गयी मैंने फिर पूछा कुछ बताने का कष्ट करेंगी आप... हा हा ... अब तो मुस्कराहट आ गयी उनके चेहरे पर... क्यों नहीं ध्यान रखते हो अपना दिन भर बस आराम और मोबाइल..... शुगर फिर बढ़ गयी हैं ना... लोगडाउन है ना जाने कैसी बीमारी आ गयी है कब पीछा छूटेगा इससे.. बाहर नहीं जा सकते घूमने ऊपर छत पर ही टहल आया करो
CM Chaitanyaa
" बिजली नहीं आई " सुबह से रात हो चुकी थी, दिन तो जैसे तैसे बीता मगर ये रात कैसे निकालें, भोजन का समय भी हुआ जा रहा था, बच्चे चिल्ला रहे थे, "मम्मी-मम्मी भूख लगी है "। मोमबत्ती भी जल-जलकर पिघल चुकी थी। गर्मी के दिन थे, सरिता हाथ से पंखा झल रही थी, और करती भी क्या बेचारी। सबका हाल बेहाल सा हो रहा था, मानो सुख-चैन सब खो गया हो, तब अम्मा बोलीं, " हे भगवान अब क्या यही दिन देखना बाकी रहा गया था इस बुढ़ापे में ।" सब लोग बड़े परेशान जान पड़ते थे, सरिता ने तुरंत ही बिजली घर का नंबर घुमाया और अपनी शिकायत दर्ज की। शिकायत स
Krish Vj
लघु कथा :_ ईश्वर और मनुष्य ईश्वरदास जिसे प्यार से उसकी माँ इशु बुलाती थी, एक 8 वर्ष का बालक जिसके सिर पर पिता का साया ना था। माँ मेहनत मजदूरी करके उसका भरण पोषण करती थी। माँ ने उसका दाखिला सरकारी विद्यालय में करा दिया। वहां कुछ बच्चे उसे चिढ़ाते थे कि उसके पिता नहीं है वो बिना पिता का है। मेधावी छात्र ईश्वरदास यह समझ नहीं पाया कि पिता का साया होना जरूरी है ? माँ पिता नहीं बन सकती है? क्या माँ पिता और माँ दोनों का प्रेम और जिम्मेदारी नहीं निभा सकती? सोचता सोचता विद्यालय से घर क्यों निकला रास्ते में उस