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kumaarkikalamse
शहर का ये सन्नाटा जाने कब तक रहेगा, दंगों का दौर है, खून जाने कब तक बहेगा!! आजादी के मायने बदलने लगे है अब लोगो के, एक पल की खुशी के लिए दर्द कब तक सहेगा!! ईर्ष्या , मोह, छल, कपट, वासना से दूर कोई नहीं, कंस से दुराचारी को डर से कृष्ण कब तक कहेगा!! मातम होता है मुल्कों में, जब हमले होते है बेवजह, इंसानियत का ये चोला, जाने यूँही कब तक ढ़हेगा!! This post is again an inspiration for me which I got from my loving bro Siddharth (मानस). Today he posted a sher which was posted as a poem later on. I just tried to present his thoughts in my she'r. Thanks for your encouragement Siddharth Dadhich..
_जागृति@**शर्मा..."अजनबी"
क्यों हर पल बस ये सोचना, कि जमाना क्या कहेगा! ये ज़िंदगी है जनाब,यहाँ हँसना रोना तो लगा रहेगा! जागृति@**शर्मा.."अजनबी"✍ ©jagriti sharma` #अजनबी_जागृति #जमाना#क्या#कहेगा #Music
Neeraj Bhatt
क्यों इस भीड़ का बनूं में एक हिस्सा, बनाना है मुझको तो अपना एक किस्सा। लोग कहते हैं चार लोग क्या कहेंगे, लोग कहते हैं यह समाज क्या कहेगा अरे मेरी बात मानो कोई कुछ ना कहेगा, यह दुनिया यह लोग यह बेमतलब के किस्से बन जाएंगे एक दिन इतिहास के हिस्से। Pratibha Tiwari(smile)🙂 Sanjay Sanju Panwar Dinesh Mahata Akshita Jangid(poetess) Kalpana Kumari
Rohit Thapliyal (Badhai Ho Chutti Ki प्यारी मुक्की 👊😇की 🙏)
मेरे नसीब में ऐ छुट्टी(खुदा), क्या छुट्टी का घँटा🔔🤛 ही बजाना लिखा है? या तूने कुछ और भी सोचा है?🤔 छुट्टी- "अबे यार मेरे प्यारे बच्चे, अब मैं क्या सोचूँ तेरे बारे में!🤔 क्योंकि मैं तो हूँ तेरे ही भरोसे में! तूने तो मेरे ही गले में छुट्टी का घँटा🔔🤛 बाँध दिया है! और मुझे भी छुट्टी बना दिया है! मुझे तो तेरा छुट्टी की बधाई देने वाला आईडिया बड़ा ही जँच👌 रहा है! तू बेफ़िक्र होके आगे-2 चल, तेरा ये छुट्टी पिता भी, अब तेरा साया बनकर तेरे पीछे छुट्टी की बधाई देने निकल रहा है! तू जब भी छुट्टी कहेगा, छुट्टी का घँटा🔔🤛 साथ होगा! और तू क्या, अब जो भी छुट्टी कहेगा, उसे ड्यूटी में भी अहसास-ऐ छुट्टी(ख़ुशी) होगा!" @बधाई हो छुट्टी की प्यारी मुक्की🤛🔔😁🤣👊😇🔔 की🙏 #naseeb #BadhaiHoChuttiKi ऐ छुट्टी(खुदा), मेरे नसीब में क्या छुट्टी का घँटा🔔🤛 ही बजाना लिखा है? या तूने कुछ और भी सोचा है?🤔 छुट्टी- "अबे यार मेरे प्यारे बच्चे, अब मैं क्या सोचूँ तेरे बारे में!🤔 क्योंकि मैं तो हूँ तेरे ही भरोसे में!
Anil Siwach
Abhimanyu Kamlesh Rana
भाई घर की है लड़ाई कभी और कर लेंगे आज घर बचा लेते हैं कभी और मर लेंगे सोचता हूं तेरा खून कैसे बहेगा कैसे तू मुझे काफिर कहेगा जिस तरह जहर फैल रहा आबोहवा में ना मैं ना तू रहेगा भतीजा अब्दुल बेटा कमल भूख-प्यास सहेगा जब सांस ना ले पाएगा हमारा खून अपने दादू को जा़लिम कहेगा याद रख, दुनिया की बर्बादी का इल्जा़म हमारे सर रहेगा आज घर बचा लेते हैं सतत विकास(sustainable development) अपना लेते हैं वरना मैं जय श्री राम तू अल्लाह हू अकबर,कैसे कहेगा? लड़ेगा कहां मुझसे? जब जंग का मैदान ही ना रहेगा।।। -अभिमन्यु "कमलेश" राणा । आज घर बचा लेते हैं"..We have to protect mother earth.Its high time.Sustainable development is the key.Take out time everyday from your busy schedules as we all have equal responsibility towards environment.Lets keep irrelevant issues aside.Fighting in the name of religion,caste,race all these are wastage of time.We have to save our environment and humanity before it gets too late.We Indians should contribute now and lead the world with an example.यहां सबसे आगे रहेंगे तब सही मायने में developed क
Ashish Kumar Satyarthi
टूटी हुई खटिया को सिंघासन कौन कहेगा? लूट-कूट कर खाने वाले को प्रशासन कौन कहेगा? जिस शासन में फैला हो अंधियारा, वैसे शासन को सुशासन कौन कहेगा? टूटी हुई खटिया को सिंघासन कौन कहेगा? * आशीष कुमार सत्यार्थी #कटाक्ष
munchkinpoet
#OpenPoetry कौन कहेगा मुझे कहाँ है चलना, सफ़र बड़ी है, मुझे नहीं थेहरना, मौसम बदलेगा, मुझे नहीं डरना, फिज़ाओं से मुझे, बातें बहुत करना। ** आते जाते लोगों के, आँखों में है तकना, पलकें झुक रही, शर्म क्यूँ करना, एक ही है जिंदगी, पूरी तरह जीना, खुली किताब हूँ मैं, सभी को पढ़ना। ** बादल फटेगा तो, पेहली बूँद मुझपे ही गिरना, पंछीया उड़ रही, घर तुम अब निकलना, सफ़र कठिन होनी है, पर मुझे नहीं रुकना, गरजते बादल से मुझे है भिड़ना । ** जाने वाले चले गए, अब खुद के लिए जीना, साँसे जितनी चलेगी, उससे ज्यादा है जीना, पूरी वफ़ा के साथ, ज़िन्दगी है जीना, मेरे संग चलो तुमभी, अब क्या है डरना। कौन कहेगा मुझे कहाँ है चलना..... #OpenPoetry Kaun kahega mujhe kahan hai chalna - #munchkinpoet
shuny manthan
The mountain, इस जगत में प्रत्येक वस्तु स्वयं है। हम कहते हैं मेरा खेत, मेरा बगीचा। जिस तरह मुरली को लेकर घमसान मचा है, आज नहीं कल, चांद और सूरज पर दावा खड़ा होगा। अमरीका कहेगा मेरा या रूस कहेगा मेरा। कल तक वो किसी का भी न था। बस चांद था। चांद का ही था। लेकिन अब कोई न कोई दावा होगा। और आज नहीं कल, संघर्ष खड़ा होगा। आदमी जहां भी पैर रखता है वहीं अपने मैं की छाप लगा देता है। यही खतरनाक है इसी को समझना है। #mountainclimbing