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विचित्र शायर
मेरी परछाई मेरी तरह ही हसीन है अंदर से गमगीन और बाहर से रंगीन है। ©Vichitra Shayar #मेरी #परछाई मेरी तरह ही #हसीन है अंदर से #गमगीन और बाहर से रंगीन है।" #Shajar #Life #Hindi #Nojoto #nojotohindi #Love
Zohaib Amber (عمبر امروہوی)
जुर्म कितना हसीन__कर बैठा, उनसे उल्फत का सीन_-कर बैठा.. दिल ये पागल था__बे-वफ़ा के ही नाम__अपनी ज़मीन कर बैठा.. उसने ग़मगीन__देखना चाहा, ख़ुद को__ग़म की मशीन कर बैठा.. जान__मेरा यकीन कर लेना, हाय__उसका यकीन कर बैठा.. मैंने ठुकरा दिया था__जो सौदा, वो मिरा__जाँ-नशीन कर बैठा.. जिस में ज़ोहेब__सांप पलते है, ख़ुद को वो__आस्तीन कर बैठा..!! ©Zohaib Amber (عمبر امروہوی) #जुर्म #हसीन #उल्फत #सीन #गमगीन #जान #सांप
Shubham Bhardwaj
तन्हा है जिंदगी, यह कैसी गमगीन शाम है। आकर तो देख जालिम,मेरा लुटता जहान है।। ©Shubham Bhardwaj #तन्हा #जिंदगी #गमगीन #शाम #आकर #मुकाम
Suditi Jha
छोड़कर मेरी जिंदगी गमगीन, कर रहे है वो अपनी जिंदगी रंगीन। #qsstichonpic2049 #जिंदगी #गमगीन #रंगीन #yqrz #restzone #yqbaba #yqdidi
Shayar E Badnaam
राह में ना रुके कभी और ना किसी के घर गए, हम तन्हा ही जिए और तन्हा ही गुजर गए, बेहतरी देखो हमारे सफ़र की, ना कोई गमगीन हुआ हमारी मौत पे, और ना ही हम किसी को तन्हा कर गए..... #सफ़र #घर #तन्हा #मौत #गमगीन
Anand Dadhich
मुरझाये मन देखकर कभी कुछ पढ़ लेता हूँ, खामोशियों को सुनकर मैं कुछ समझ लेता हूँ, माना राह कंटीली है...इस दुनियादारी की; गमगीन बन रहते हो तुम..मैं कुछ हँस लेता हूँ। ©Anand Dadhich #गमगीन #Smile #beHappy #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia #poetsof2022 #eveningthoughts
paras Dlonelystar
कितने चेहरे हैं ,एक चेहरे के ऊपर कुछ हंसते हुए और कुछ गमगीन से बेनक़ाब है यूँ तो चेहरे , बेख़बर भी कुछ मंज़िल तक के हमराही और कुछ पलछिन के चेहरे #पारस #गमगीन #पलछीन #चेहरे
Parul Sharma
मेरे गमों को और गमगीन न कर मीठी यादों को नमकीन न कर न पिघला जख्मों को अपनी गर्मी से पनाह न ल मेरी इन आँखों में अक्स धुँधला जाते है ए अश्क तुझसे खुशी के कई नकाब ओढ़ रखे हैं मैंने, खुदाया निहा-ए-जख्मों की यूँ तहरीर न कर पारुल शर्मा #gif मेरे गमों को और गमगीन न कर मीठी यादों को नमकीन न कर न पिघला जख्मों को अपनी गर्मी से पनाह न ल मेरी इन आँखों में अक्स धुँधला जाते है ए अश्क तुझसे खुशी के कई नकाब ओढ़ रखे हैं मैंने, खुदाया निहा-ए-जख्मों की यूँ तहरीर न कर। पारुल शर्मा
मेरे गमों को और गमगीन न कर मीठी यादों को नमकीन न कर न पिघला जख्मों को अपनी गर्मी से पनाह न ल मेरी इन आँखों में अक्स धुँधला जाते है ए अश्क तुझसे खुशी के कई नकाब ओढ़ रखे हैं मैंने, खुदाया निहा-ए-जख्मों की यूँ तहरीर न कर। पारुल शर्मा
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