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ANUBHAWA KUMAR
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे, फिर भी #मशहूर हैं #शहरों में फ़साने मेरे, #ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे, अब भी बाकी हैं कई #दोस्त पुराने मेरे। ©ANUBHAWA KUMAR #gindgi#
Ayesha Aarya Singh
शहरों के हाल बदलते हैं , लोगों के चाल बदलते हैं , वक्त-वक्त खेल है साहेब, यूँ तो कितने भी अच्छे,सरकार बदलते हैं | ©Ayesha Aarya Singh #City #शहरों के हाल बदलते हैं लोगों के चाल बदलते हैं #वक्त-वक्त खेल है साहेब, यूँ तो कितने भी अच्छे,सरकार बदलते हैं #nojotostreak #Ayesha #shayari #quoites #change R Ojha R K Mishra " सूर्य " pramodini mohapatra #शुन्य राणा Jugal Kisओर B Ravan Sethi Ji Prashant Shakun "कातिब" pooja mourya Lalit Saxena
Faniyal
इक पथिक अकेला फिरता है! हर मौसम में निज डगर पर, वो बेखबर चलता है! हो प्रतिबद्ध फ़र्ज से अपने, वो बेधड़क बढ़ता है!! ©Faniyal #शहरों की चकाचोउंद्ध में....
kavya soni
हर कोई खो गया है ना चैन है ख्वाहिशों के जाल में उलझे सभी सुकून भी ना किसी ने पाया है सच्ची खुशियों की कमी है मुस्कुराते लब आंखो में छुपी नमी है शहरों की चका _चौंद में देखे सितारों भरे आसाम के सपने रिश्ते अंधेरों में गुम हो रहे खो रहे है सच्चे साथी अपने ©kavya soni #शहरों _की _चका _चौंध _ में
Ashutosh Mishra
शहरों की चका-चौंद में... दिलों से अपनापन खोने लगा है, पहले गलियों, चौबारों, नुक्कड़ों पर मिल, हाल-चाल हुआ करता था,,अब तो फोन से बात हो जाया करती है। शहरों की चका-चौंद में... दिलों से अपनापन खोने लगा है। पहले किसी भी उत्सव के निमंत्रण पत्र लोग स्वयं देने जाते थे,,,अब फोन,ई-मेल, फैक्स से काम चला लेते हैं। अब तो मरने पर,,शोक संदेश, और संतावना भी फोन से ही, देने लगे हैं। शहरों की चका चौंद में... दिलों से अपनापन खोने लगा है। पहले मनोरंजन के लिए मैदानों की होती थी तलाश, जनाब,,अब पैदा हुए बच्चे से लेकर किशोर,युवा और वृद्ध भी स्मार्टफोन से मन बहलाने लगे। शहरों की चका-चौंद में... दिलों से अपनापन खोने लगा है। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #शहरों की चका-चौंद में... NojotoHindi NojotoEnglish Nojotothought Nojotopoetry Vandana Mishra ANOOP PANDEY M. Acharya Jagrati Nagle Sujata jha
आलोक जी
प्रकृति का नियम है बदलाव तो इसमें संकोच कैसा!! रुका हुआ जल भी शुद्ध नहीं माना जाता वह सड. जाता है वैसे ही ठहरा हुआ इंसान भी जिंदगी में कुछ नहीं कर पाता, इसलिए जिंदगी का दूसरा नाम बदलाव है| धन्यवाद भगवान मुझे रुकने नहीं देने के लिए और लोगों को मदद के लिए प्रेरणा देने के लिए 🙏🙏 ©RITU VS ALOK #शहरों कि चक्का - चौंढ hari patil हिंदू रंजीत कुमार Bullet Raja Mk Dubey Durgesh nandani Reenu Sharma
Ek villain
कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम के दौरान शहरी विकास का उल्लेख करते हुए कहा था कि अगले 25 वर्ष के वेतन के साथ शहरी विकास के रोडमैप पर कार्य करने की आवश्यकता है वास्तव में बेतरतीब से बसें और बेहिसाब ढंग से फैल रहे हमारे शहर के संदर्भ में उन्होंने टिप्पणियों के गहरे नहीं-नहीं अर्थ भारत की वर्तमान जनसंख्या का लगभग 31% हिस्सा शहर में बसता है देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में उनका करीब 63% योगदान है अनुमान है कि वर्ष 2030 तक शहरी क्षेत्र में भारत की आबादी का 40% हिस्सा बात करेगा और जीडीपी में उसका योगदान 75% तक पहुंच जाएगा इसलिए शहर विकसित के लिए अलग 25 वर्ष का रोडमैप तैयार करना महत्वपूर्ण है लेकिन इस राह में कई चुनौतियां भी हैं देश की आर्थिक गतिविधियों में शहर के योगदान देखते हुए इस कार्य में जितनी देरी होगी उतना ही देश को नुकसान होगा ©Ek villain #शहरों का संग्रह विकास आवश्यक है #alone
@ArYa
शोर हमेशा तो कभी शांति भी होती है़, सूखे सड़को पे कभी बरसातें भी होतीं हैं, ये गलियाँ भी सुनसान, लोग सोते यहाँ भी हैं, चकाचौंध ही सही पर रात यहाँ भी होतीं हैं रात यहाँ भी होतीं हैं॥ #शहरों में रात ©@Rya #City
Ek villain
इस महीने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हैं अगले दौर के चुनाव के बीच कुछ अंतराल है ऐसे में यह सबसे अनुकूल समय है कि गुड गवर्नेंस यानी सुशासन में मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाए तू शासन प्रणाली में भारत के परिजन को आरंभ आज करता है परंतु वास्तव में वह सभी राज्य का विश्वास में संघ राज्यों के संग में केंद्र सरकार राज्य की सरकारों से कहीं अधिक शक्तिशाली है सार्वजनिक प्रशासनिक बिंदुओं से ही यह पोस्ट होता हो तो परंतु जब हम जीवन की गुणवत्ता से जुड़े हुए कई मानकों दृष्टि डालते हैं तो उनमें राज्य सरकार के अधिक प्रभावित दिखाई देते हैं अभी जिन पांच राज्यों में चुनाव हुए हैं वह जनता ने सरकार को इस पर दनादन के साथ सुना है उनके पास एक ऐसा मंच है जहां से वह लंबित समस्याओं का समाधान करें ऐसे तमाम समस्या समर्थन की बाट जोह रहे हैं इसमें से एक समस्या लंबे समय से प्रतीक्षित है जो हमारी शहरी व्यवस्था उसके समग्र ढांचे और नागरिक को तरस किया हुआ है प्रिय परेशानी स्थानीय निकाय प्रशासन से जुड़ी हुई है मार्च में अत्यंत खबर स्थिति हमारे आर्थिक प्रगति को जलाती दिखाती है यह हमारे स्वस्थ जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं के लिए संघर्ष सहित है यहां वह गंदगी और कचरे का ढेर देखना आम है कचरा उठाना उसे विकृति अलग ही करना उसके नियंत्रण का स्तर बहुत लाचार है स्विच ऑन वेन इस सिस्टम बाबा आदम के जमाने के हैं खुले नाले निर्मलता अनमोल जीवन को दिला रहे हैं अतिक्रमण बेलगाम है फुटपाथ गायब हो रहे हैं अक्सर दूसरे मानसून का मुंह नहीं दे पाती ©Ek villain #शहरों की दिशा सुधारने का समय #Hope
shivraj singh7
💫शहरों में समाया गांव 💫 शुद्ध हवा, जल, थल को छोड़, शहरों में समाया गांव। कोई बसने चला शहरों में, तो कोई करने चला पेटो का उपाय। जो कल तक प्यारी लगती, अब उनको लगे है काटो भाय। मै नहीं कहता तुम शहर न जावो, कभी लौट कर वापस तो आवो। गांव के दर्द को तुम क्या जानो, वो रोती, बिलखती रहती है। बच्चों से अलग होकर कोई मा, चैन से कहा वो सोती है। जो कल तक हरी भरी दिखती थी, अब सुखी- सुखी सी रहती है। जो रहती थी हरपल खुशियों से, अब बातो- बातो में रोती है। शहरों में भटकता अपनों को देख, ये दर्द की आहे भर्ती है। गांव की पुलिया, बागीचा अब, सपनो में अपनों के रहती है। जो चले गए शहरों में रहने, उनको याद करके रोती है। इससे पूछो इसके दिल का हाल, ये घुट- घुट कर हरपल जीती है। शिवराज सिंह चकिया (बलिया) #शहरों में समाया गांव#