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Deepak Ghazipuri
पत्रकारिता सिसक रही है, अंधियारा मुंह खोल रहा है, सच अब गूंगा बन बैठा है, झूठ मंच पर बोल रहा है। वो जिसके ईमान की सबको कसमें खिला रही थी दुनिया, उसको देखा नोटों की गड्डी से ख़ुद को तौल रहा है। ©Deepak Ghazipuri #पत्रकारिता #मुक्तक #रुबाई #True_line #todayquotes
Rabindra Kumar Ram
" चलो कुछ बात महसूस कि जाये , शरबते शाम की नुमाइंदगी की जाये , मेरे जस तु रहे इस तरह कि कोई जुस्तजू , मेरे हसरतों को कोई तेरी रुबाई न मिले तेरे बिना ." --- रबिन्द्र राम " चलो कुछ बात महसूस कि जाये , शरबते शाम की नुमाइंदगी की जाये , मेरे जस तु रहे इस तरह कि कोई जुस्तजू , मेरे हसरतों को कोई तेरी रुबाई न मिले तेरे बिना ." --- रबिन्द्र राम #महसूस
Rabindra Kumar Ram
" कुछ मेहरबान हो चला हूं , दिल के हाथों ये हसरतें ले चले हैं , कोई बात आये कोई बात छेड़ु , गुमनाम की रुसवाई हैं इस खामोशी में , उसे देख के दिल भर जाता ऐसे रुबाई में , मस्लन उसने कुछ बात छुपाई हैं बातों-बातों में. " --- रबिन्द्र राम " कुछ मेहरबान हो चला हूं , दिल के हाथों ये हसरतें ले चले हैं , कोई बात आये कोई बात छेड़ु , गुमनाम की रुसवाई हैं इस खामोशी में , उसे देख के दिल भर जाता ऐसे रुबाई में , मस्लन उसने कुछ बात छुपाई हैं बातों-बातों में. " --- रबिन्द्र राम
Rabindra Kumar Ram
*** कविता *** *** ख्याल *** " तु मिलता भी नहीं अब , मैं ख्याल तेरा लिये बैठा , तुम समझ तो बता देना , मेरे हसरतें को काफिर किये है , जो दिल न लगे तो क्या करोगे , मुझे महफ़िल में शामिल कैसे करोगे , रुबाई भी रुसवाई भी है ऐसे में , मुझसे तेरा ये हाल किस-किस से बताते फिरोगे ." --- रबिन्द्र राम *** कविता *** *** ख्याल *** " तु मिलता भी नहीं अब , मैं ख्याल तेरा लिये बैठा , तुम समझ तो बता देना , मेरे हसरतें को काफिर किये है , जो दिल न लगे तो क्या करोगे ,
VATSA
हवाओं में घोल मिश्री फिर मनाया कर मेरे हम नफस ये रूबाई गुनगुनाया कर मै जानता हूं जो हर बात तेरे दिल की बैठ कर रोज़ वही बात दोहराया कर मेरे हम नफस ये रूबाई गुनगुनाया कर #रुबाई #वत्स #dsvatsa #vatsa #illiteratepoet #vatsapoet #hindvi #yqhindi
Rabindra Kumar Ram
*** कविता *** *** ख्याल *** " तु मिलता भी नहीं अब , मैं ख्याल तेरा लिये बैठा , तुम समझ तो बता देना , मेरे हसरतें को काफिर किये है , जो दिल न लगे तो क्या करोगे , मुझे महफ़िल में शामिल कैसे करोगे , रुबाई भी रुसवाई भी है ऐसे में , मुझसे तेरा ये हाल किस-किस से बताते फिरोगे ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " तु मिलता भी नहीं अब , मैं ख्याल तेरा लिये बैठा , तुम समझ तो बता देना , मेरे हसरतें को काफिर किये है , जो दिल न लगे तो क्या करोगे , मुझे महफ़िल में शामिल कैसे करोगे , रुबाई भी रुसवाई भी है ऐसे में , मुझसे तेरा ये हाल किस-किस से बताते फिरोगे ."
sanjeev jha
Neeraj Bakle (neer✍🏻) Mukesh Patel Ek deewana meet Girish Harsh Dubey #ग़ज़ल #रुबाई
Manjeet Sharma 'Meera'
रुबाई ही रहने दें दर्द-ए-जिगर को गलत फ़हमियों से हिकायत न करिए। #रुबाई ही रहने दें😍
$ubha$"शुभ"
मोहब्बत में हर किसी को जुदाई नहीं मिलती। वो किस्मत वाले हैं जिन्हें रिहाई नहीं मिलती। शब भर रौशन होता है नूर चांदनी के मानिंद, जिन्हें सनम की बाहों से रिहाई नहीं मिलती। डूबे रहते हैं तर-ब-तर मोहब्बत के समंदर में, मोहब्बत के सिवा जिंदगी की रुबाई नहीं मिलती। आंसुओं को ओस का कतरा समझते हैं जो लोग, उन प्यासों को मोहब्बत की दरियाई नहीं मिलती। हमें क्या हम तो तन्हा सफर करने वालों में से हैं, जाओ उनसे पूछो जिन्हें बेवफ़ाई नहीं मिलती। #मोहब्बत में हर किसी को #जुदाई नहीं मिलती। वो #किस्मत वाले हैं जिन्हें #रिहाई नहीं मिलती। #शब भर #रौशन होता है #नूर #चांदनी के मानिंद, जिन्हें #सनम की #बाहों से रिहाई नहीं मिलती। डूबे रहते हैं #तर-ब-तर #मोहब्बत के #समंदर में, मोहब्बत के सिवा #जिंदगी की #रुबाई नहीं मिलती।