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Samrat Sarkar
थोड़े गम को #कूटकर बारीक..🌹 हंसी की #चीनी मिला दीजिए.. #उबलने दीजिए ख्वाबों को.. कुछ देर तक.. यह जिंदगी की #चाय है जनाब... इसे तसल्ली के कप में.. #छानकर.. #घूंट घूंट कर मजा लीजिए....!☕👌🌹 ©RAVIRAJ #brothersday Ziddi Boy 267 DOUBLE M SURAJ Biswajit Singha Pankaj Soni india bhart
#brothersday Ziddi Boy 267 DOUBLE M SURAJ Biswajit Singha Pankaj Soni india bhart
read moreRaman
जिंदगी के रूप में दो घूंट मिले, इक तेरे इश्क का पी चुके हैं.. दुसरा तेरी जुदाई का पी रहे हैं !!!! :| #घूंट
गौरव गोरखपुरी
पैसों से ही नहीं होता शहर में सहर, शाम को दर पर दिया भी तो जले मेरे शहर में सिर्फ पैसे से , अब कोई ख़ुश- हाल भी नहीं रहा किसके इज्जत पर आंच आईं , किसके गिरेबान पर डांका पड़ा मेरे शहर में ऐसा पड़ोसी , अब कोई ऐसा कोतवाल भी नहीं रहा देख कर मुंह फेर लेते है , वक़्त से जूझ रहे मेरे रिश्तेदार शहरी मसला अजीब सा है शहर का , यहां गांव सा हालचाल भी नहीं रहा दीवारें ऊंची हो रही हैं, घर के चार - दिवारी की हर रोज बगल में कौन घूंट - घूंट के मर रहा है , मेरे शहर को ये ख्याल भी नहीं रहा उलझे हुए है सब के सब , सोशल साइट्स की जाल में अब चौराहे पर ठहाके सुनाई नहीं देते , अब कोई कोलाहल भी नहीं रहा मुश्किल से देखने को मिलती है , माटी में खेलते बच्चे शहर में बच्चो की कहानियों में , अब विक्रम - बैताल भी नहीं रहा पुराने घर में ही पुराने , मां- बाप को छोड़ आए हैं इस पाप का मेरे शहर को , अब मलाल भी नहीं रहा रिश्ता तोड़ देते है , चंद नोक - झोंक में भावनाएं और वादे इस शहर में , अब कोई सम्हाल भी नहीं रहा निकलते है नाश्ता कर के , खाने के वक़्त पर लौट आते है गर्मी की छुट्टियों वाला , शहर में ननिहाल भी नहीं रहा गांव को देहात कह हसने वाले , क्या यही तरक्की है मेरे शहर की शहर वालो को शहरी कहने का , अब बचा कोई मिसाल भी नहीं रहा पेशा मोहब्बत था, शौक नहीं मेरा , ऐसे पेशवाई से लाचार मेरे सिवा मेरे शहर में, अब कोई बदहाल भी नहीं रहा #poeticPandey #GAURAVpandeyPoet #MeraShehar 2 पैसों से ही नहीं होता शहर में सहर, शाम को दर पर दिया भी तो जले मेरे शहर में सिर्फ पैसे से , अब कोई ख़ुश- हाल नहीं रहा किसके इज्जत पर आंच आईं , किसके गिरेबान पर डांका पड़ा मेरे शहर में ऐसा पड़ोसी , अब कोई ऐसा कोतवाल भी नहीं रहा देख कर मुंह फेर लेते है , वक़्त से जूझ रहे मेरे रिश्तेदार शहरी
#MeraShehar 2 पैसों से ही नहीं होता शहर में सहर, शाम को दर पर दिया भी तो जले मेरे शहर में सिर्फ पैसे से , अब कोई ख़ुश- हाल नहीं रहा किसके इज्जत पर आंच आईं , किसके गिरेबान पर डांका पड़ा मेरे शहर में ऐसा पड़ोसी , अब कोई ऐसा कोतवाल भी नहीं रहा देख कर मुंह फेर लेते है , वक़्त से जूझ रहे मेरे रिश्तेदार शहरी
read moreRajesh Kothari
#OpenPoetry "मैं" नशे का घूंट घूंट पिया हूं आधी जिंदगी पूरी नशे में ही जीया हूं आज मैं यहां खड़ा हूं क्योंकि नशे से अब मैं थोड़ा रिहा हूं गैरों से थोड़ा गम है अपनों से थोड़ी आंखें मेरी नम है क्योंकि आज उनके घर का कलाकार ही दफन है अपने सपनों के कफन तले ताउम्र गुनहगार है सोचता हूं कैसे वो किए होंगे करम मेरे ही अपने मुझ पर करते रहे भ्रम ये सब सोचकर मेरी आंखें भी हुई नम फूट-फूट कर रोया में मेरे आंसू भी सह गये ये सितम अब क्या लिखूं मैं आगे सब तो यहीं पे खतम #मैं #iam #myStory #नशा #nasha #life #Love #like #share #follow_me_on_instagram_
Rajesh Kothari
#OpenPoetry "मैं" नशे का घूंट घूंट पिया हूं आधी जिंदगी पूरी नशे में ही जीया हूं आज मैं यहां खड़ा हूं क्योंकि नशे से अब मैं थोड़ा रिहा हूं गैरों से थोड़ा गम है अपनों से थोड़ी आंखें मेरी नम है क्योंकि आज उनके घर का कलाकार ही दफन है अपने सपनों के कफन तले ताउम्र गुनहगार है सोचता हूं कैसे वो किए होंगे करम मेरे ही अपने मुझ पर करते रहे भ्रम ये सब सोचकर मेरी आंखें भी हुई नम फूट-फूट कर रोया में मेरे आंसू भी सह गये ये सितम अब क्या लिखूं मैं आगे सब तो यहीं पे खतम #मैं #iam #myStory #नशा #nasha #life #Love #like #share #follow_me_on_instagram_
Rajesh Kothari
#OpenPoetry "मैं" नशे का घूंट घूंट पिया हूं आधी जिंदगी पूरी नशे में ही जीया हूं आज मैं यहां खड़ा हूं क्योंकि नशे से अब मैं थोड़ा रिहा हूं गैरों से थोड़ा गम है अपनों से थोड़ी आंखें मेरी नम है क्योंकि आज उनके घर का कलाकार ही दफन है अपने सपनों के कफन तले ताउम्र गुनहगार है सोचता हूं कैसे वो किए होंगे करम मेरे ही अपने मुझ पर करते रहे भ्रम ये सब सोचकर मेरी आंखें भी हुई नम फूट-फूट कर रोया में मेरे आंसू भी सह गये ये सितम अब क्या लिखूं मैं आगे सब तो यहीं पे खतम #मैं #iam #myStory #नशा #nasha #life #Love #like #share #follow_me_on_instagram_
Rajesh Kothari
#OpenPoetry "मैं" नशे का घूंट घूंट पिया हूं आधी जिंदगी पूरी नशे में ही जीया हूं आज मैं यहां खड़ा हूं क्योंकि नशे से अब मैं थोड़ा रिहा हूं गैरों से थोड़ा गम है अपनों से थोड़ी आंखें मेरी नम है क्योंकि आज उनके घर का कलाकार ही दफन है अपने सपनों के कफन तले ताउम्र गुनहगार है सोचता हूं कैसे वो किए होंगे करम मेरे ही अपने मुझ पर करते रहे भ्रम ये सब सोचकर मेरी आंखें भी हुई नम फूट-फूट कर रोया में मेरे आंसू भी सह गये ये सितम अब क्या लिखूं मैं आगे सब तो यहीं पे खतम #मैं #iam #myStory #नशा #nasha #life #Love #like #share #follow_me_on_instagram_
Internet Jockey
#OpenPoetry तुम चाय का आख़िरी घूंट क्यों छोड़ देते हो ? वो कहता है: उस आख़िरी घूंट पे किसी और का हक़ है एक दिन न चाय अधूरी रहेगी, न हम -Internet Jockey तुम चाय का आख़िरी घूंट क्यों छोड़ देते हो ? वो कहता है: उस आख़िरी घूंट पे किसी और का हक़ है एक दिन न चाय अधूरी रहेगी, न हम
तुम चाय का आख़िरी घूंट क्यों छोड़ देते हो ? वो कहता है: उस आख़िरी घूंट पे किसी और का हक़ है एक दिन न चाय अधूरी रहेगी, न हम
read moreRajesh Raana
बीते सारे मंज़र याद आएंगे , चाकू छुरे खंज़र याद आएंगे । दुनिया झोली में लेकर चलने वाले , पीर फ़क़ीर कलंदर याद आएंगे। हम तो ठहरे बेघर मुहाज़िर लोग , हमको भी अपने घर याद आएंगे। एक घूंट में दरिया को पीने वाले , प्यासे को समंदर याद आएंगे । जीत लो दुनिया तुम सारी पर तय है , हारने वालें सिकन्दर याद आएंगे। - राणा © बीते सारे #मंज़र याद आएंगे , #चाकू #छुरे #खंज़र याद आएंगे । #दुनिया #झोली में लेकर चलने वाले , #पीर #फ़क़ीर #कलंदर #याद आएंगे। हम तो #ठहरे #बेघर #मुहाज़िर लोग , हमको भी अपने #घर याद आएंगे।
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