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Anwar Hussain Anu Bhagalpuri

#टोकरी में चांद

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रब की मेहरबानी देखो हम टोकरी में चांद लिए फिरते हैं,
रोशनी कौन पूछता है ,हम कदमों में आसमान लिए फिरते हैं !

--- अनवर हुसैन अणु भागलपुरी

©Anwar Hussain Anu Bhagalpuri #टोकरी में चांद

संजय श्रीवास्तव

मौसम

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बारिश का मौसम ही था
भर दिया था ताल पोखरा
तृप्त हो गयी थी प्यासी धरा
रात के निस्तब्धता को भंग करती
मैढक की टर॔ टर॔ 
और झींगुर की आवाज
कानों में गूंज रही थी
अचानक ही तुम आई थी
बारिश से सराबोर 
बदन से चिपके कपडे
गैसुओं से टपककर पलको पर गिरती बूंदे
हाथों में टोकरी लिए
भर दिये थे आमो से जो
अभी अभी पेडों से टपके थे
मै पढ रहा था नयनो की भाषा
जो मेरी ओर तक रही थी
तुम चली गई थी टोकरी छोडकर
पर मुझे दे गई वो परिभाषा
जो आज तक नही भूल पाया ।
संजय मौसम

Pooja Bist

ले चलु मैं मन के रंगो की टोकरी उस पार, 
जिस पार मेरा ही ख्वाब और ख्याल हो। #टोकरी

संजय श्रीवास्तव

मासूम मुहब्बत #कविता

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Natural Morning बारिश का मौसम ही था
भर दिया था ताल पोखरा
तृप्त हो गयी थी प्यासी धरा
रात के निस्तब्धता को भंग करती
मैढक की टर॔ टर॔ 
और झींगुर की आवाज
कानों में गूंज रही थी
अचानक ही तुम आई थी
बारिश से सराबोर 
बदन से चिपके कपडे
गैसुओं से टपककर पलको पर गिरती बूंदे
हाथों में टोकरी लिए
भर दिये थे आमो से जो
अभी अभी पेडों से टपके थे
मै पढ रहा था नयनो की भाषा
जो मेरी ओर तक रही थी
तुम चली गई थी टोकरी छोडकर
पर मुझे दे गई वो परिभाषा
जो आज तक नही भूल पाया ।
संजय मासूम मुहब्बत

Pravesh Khare Akash

फादर्स डे

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फादर्स डे (लघुकथा)
💐💐💐💐पी.एस.खरे "आकाश"

आज सुबह से ही शर्मा जी तैयार होकर बैठे हुए थे।बार-बार दरवाजे की तरफ देखते कभी दीवार घड़ी की तरफ बेचैनी से देखते,चश्मा साफ करके चेहरे पर हाथ फेरते..ऐसा करते काफी देर हो गई तो रामजी ने पूछा.."अरे शर्मा जी क्या बात है, आज बड़ी बेचैनी दिख रही है चेहरे पे..किसका इंतजार है?"
शर्मा जी ने हल्के से मुस्कुरा कर कहा.."आज बेटा आने वाला है न..वही तो अकेला सहारा है मेरा..आज के दिन जरूर आता है मुझसे मिलने..."।
रामजी ने आश्चर्य से कहा..."आज उसका जन्मदिन है क्या या आपका?"
"नहीं.. नहीं, जन्मदिन नहीं.. आज फादर्स डे है न तो विश करने हर साल आता है और देखना" ...बात हलक में रह गयी और शर्मा जी तेजी से आगे बढ़े। मेन गेट पर एक बड़ी सी कार रूकी और एक युवा के साथ फलों की टोकरी लिए हुए दो लोग उतरे।शर्मा जी ने युवक का कंधा थपथपाया और आँखें साफ करके कुशल क्षेम पूछी।
फलों की टोकरी प्रबंधक को देकर युवक बोला..."मैनेजर साहब, कई सोशल एक्टिविटी में बिजी रहने के कारण आज के दिन यहाँ आ पाना काफी मुश्किल हो जाता है,इसलिए पिताजी को इंटरनेट कनेक्शन के साथ ये लैपटॉप दे जा रहा हूँ जिससे आगे से वीडियो चैट के थ्रू बात करता रहूँगा और इस वृद्धाश्रम के लिए दान सामग्री मेरे सहयोगी दे जाया करेंगे।"
मैनेजर के कमरे से बाहर निकल कर वह शर्मा जी के पास गया,गले मिला और हैप्पी फादर्स डे पापा बोलकर गाड़ी से धूल उड़ाता चला गया। फादर्स डे

Rajesh Raana

सरसों फूली पिली पिली ,
गेहूं की बालियां सपनीली,
पेंच दे रही ज़िन्दगी लेकिन ,
उड़ी अपनी पतंग रंगीली । (१)

आओ मिलकर ख़ाब गिनाए,
किसके ज्यादा किसके कम ।
उम्मीदों की डोरी से बंधकर,
उड़े अपनी पतंग हरदम । (२)

हैं ज़िन्दगी गर पथरीली ,
तो पत्थरचट्टा क्यों न उगाये ।
सबकी ख्वाहिश है फूलों की ,
हम तुम काँटो को रिझाये । (३)

है धुंआ अगर ज़िन्दगी तो ,
इसको छल्लों में उड़ाए ।
है ज़िन्दगी अगर पतंग तो ,
सातवे आसमान पर उड़ाए । (४)

जीवन सुखदुख भरी टोकरी ,
अपनी पसंद की खुशियां छाँटे ।
जिस तक न पहुँची है अब तक ,
उस तक त्योहारों के पल बांटे ,
आओ तिलगुड़ लड्ड़ू , गुझिया बांटे  ।। (५)

(आप सब स्नेहीजन को मकर संक्रांति , 
पोंगल , बिहू , लोहड़ी पर्व की हार्दीक 
हार्दीक शुभ कामनाएं ) मकर संक्रांति
#सरसों फूली पिली पिली ,
#गेहूं की #बालियां #सपनीली,
#पेंच दे रही #ज़िन्दगी लेकिन ,
#उड़ी अपनी #पतंग #रंगीली । (१)

आओ मिलकर #ख़ाब गिनाए,
किसके ज्यादा किसके कम ।

Choubey_Jii


वो गौरैया जो कभी मेरे आंगन में फुदकती थी इधर उधर 
खो सी गई है अब,आंखों से ओझल, हो सी गई है अब
कभी जिसकी चहचहाहट सुन खुद भोर का सूरज उगता था
सुबह के सन्नाटे में वो प्यारी सी गौरैया कहीं सो सी गई है अब

मुझे याद है अब भी कि कैसे तुझसे मुलाकात हुई थी
कैसे सफल तुझे फसाने की मेरी ये वारदात हुई थी
आंगन में चंद दाने चावल के डाल दिए थे लुभाने को 
मुझे याद है कैसे मेरी नादानी से तुझे घबराहट हुई थी

इस मंज़र को याद कर होंठ मुस्कुराए तो बहुत हैं 
पर नज़रों में हल्की सी नमीं आ सी गईं है अब

इक डंडे से टोकरी को हल्का सा सहारा दे दिया था
और डोर बांधकर डंडे से अपना बचकाना जाल तैयार किया था
तू चुनती हुए दानों को टोकरी के नीचे आ गई  
मैंने कैसे झटके से डोरी खींच टोकरी को तुझ पर गिरा दिया था

बड़ा हर्षित हुआ था मैं इस सफल वारदात के बाद
पर तू यकायक इस घटनाक्रम से सहम सी गई थी तब

तब अहसास हुआ था मुझको मेरी उस नादानी का
कैसे अनजाने में तुझे भयभीत कर गया उस बचकानी का
लेकिन छोड़ने से पहले तुझसे पहचान बनाना चाहता था
तुझ पर इक छाप छोड़ना चाहता था अपनी प्रेम की निशानी का

इसीलिए तेरे पंखो को मैंने लाल रंग से रंग डाला था
बस तुझसे नाता जोड़ने की ये तरक़ीब आ सी गई थी तब

तुझे खुले आसमाँ में भेज दिया और दिल से दिल को जोड़ दिया
तू वापस मिलने आएगी इसी आस पर दिल को मोड़ दिया
तू अगले ही दिन वापस आई भोर में मुझको जगाने को
तूने प्रेम की सारी भाषाओं को अहसासों से पीछे छोड़ दिया

प्रेम के इस अप्रतिम वृतांत को शब्दों में पिरोकर
मेरे दिल में ये घटना फिर से जीवंत हो सी गई है अब 

फिर तो ये दिनचर्या मेरी रोज की हो गई थी
उसकी चहचहाहट से उठना मेरी आदत सी हो गई थी
फिर इक दिन वही हुआ जिसका दिल को बहुत ही डर था
मेरी प्यारी सी चिरैया आसमाँ में दूर कहीं  खो गई थी

इक अजीब सा था ये रिश्ता मेरे और तेरे दरमियाँ
                           पहले प्रेम की ये कहानी मेरे दिल में अमर हो सी गई है अब             #चौबेजी


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