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rolisingh
rolisingh
#26जुलाई #कारगिल #विजय #दिवस विजय दिवस पर कविता************** कारगिल की लड़ाई जवानों की कुर्बानी कैसे भुला पाएंगे, हम सारे हिंदुस्तानी। बूढ़ा हो या बच्चा, या हो महलों की रानी कोई नहीं है वंचित इससे,है याद सभी को जुबानी। कश्मीर हमको दे दो पाकिस्तान ने की मनमानी जिद्द छोड़ो वापस लौटो, अब छोड़ भी दो नादानी। छिड़ा युद्ध परवाह नहीं यह बात सभी ने ठानी बढ़ा कदम हर दम, हर पल,अब रुकना नहीं है जानी। लहर - लहर लहराए तिरंगा हवा चले मस्तानी इसीलिए तो वीरों ने दे दी अपनी कुर्बानी रहे सलामत देश हमारा, जाए सेना सम्मानि निर्भय निसंकोच निश्चल मन, बस युद्ध करे सेनानी। #शहीद #सैनिकों को #कोटिकोटि #नमन👏👏👏 ©Roli rajpoot #26जुलाई #कारगिल #विजय #दिवस #Nojoto #poetry #kaargil #Sawankamahina Rashi Gagan Reuben Kavi Ashok samrat K K Sharma Arun singh
shailesh jha( सांझ_शैलेश)
मर रहा है, खा रहा गोलियां, सरहद पर-सीने पर, अब भी खौले न 'खूं' तुम्हारा, धिक्कार है ऐसे जीने पर... #सैनिक #सैनिकों #सांझ_शैलेश #सरहद
ittu Sa
इत्तु सा_-` मंज़िल का पता नहीं... सफ़र मज़ेदार था, लगा ऐसा की ख़्वाब देख रहा था। जो ब्यान ना कर सका शब्दों से... उसे मैं कैद कर रहा था, फ़ोन में मैं अपनी इत्तु सी दुनियाँ बना रहा था। @j_$tyle read more line's... 👇👇👇 इत्तु सा पैगाम सफ़र के नाम। मंज़िल का पता नहीं... सफ़र मज़ेदार था, लगा ऐसा की ख़्वाब देख रहा था। जो ब्यान ना कर सका शब्दों से... उसे मैं कैद कर रहा था, फ़ोन में मैं अपनी इत्तु सी दुनियाँ बना रहा था। सफ़र में कुछ Bluetooth के पीछे भाग रहे थे, तो कुछ गानों में अपनी कहानी बता रहे थे।। कुछ उनको देख ख़ुश हो रहे थे ,तो कुछ उनकी खुशी में अपनी खुशी बसा रहे थे। कुछ खिड़की से बाहर बारिश की बूंदों से दोस्ती कर रहे थे ,तो कुछ हरियाली को दिल में बसा रहे थे। कुछ sandwich से अपनी भूख मिटा रहे थे मानो sandwich ही
Amit Gupta
*तस्वीर जम्मू कश्मीर की* हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत, मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर, पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत, मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है सैनिकों कि शहादत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? अमित गुप्ता पुलवामा अटैक
Amit Gupta
*तस्वीर जम्मू कश्मीर की* हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत, मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर, पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत, मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है सैनिकों कि शहादत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? अमित गुप्ता पुलवामा अटैक
Poetry with Avdhesh Kanojia
सैनिकों को नमन --------------------- व्यर्थ बातें करने में ही क्यों समय नष्ट सब करते हैं। उनके बारे में भी सोचो जो सीमा पर लड़ते मरते हैं।। शून्य से भी नीची ठंड में करते वे रखवाली हैं। उन्ही के कारण घरों में हमारे होली और दिवाली है।। है कोई अन्य जो ऐसी स्थितियों में टिक पाता? अरे। न होते सैनिक जो हमारे अस्तित्व हमारा मिट जाता।। जिस देश की आन बचाने को भगत सिंह जैसे मरते हैं। उसी देश की रखवाली सीमा पर सैनिक करते हैं।। त्यागे हैं सारे सुख संसाधन परिवार का मोह भी छोड़ा है। अवधेश करे क्या प्रशंसा उनकी जितना भी कहे वह थोड़ा है।। इन वीरों की गाथा का क्षेत्रफल बहुत बहुत ही विशाल है। शत्रु चिता के निर्माता और ये शत्रु के काल हैं।। मानव नहीं हैं देव हैं ये सैनिकों का धरे हैं भेष। इनके चरणों में नतमस्तक है यह भारतवासी अवधेश।। ✍️अवधेश कनौजिया© #NojotoQuote सैनिकों को नमन #शहीदोंकोनमन सैनिकों को नमन --------------------- व्यर्थ बातें करने में ही क्यों समय नष्ट सब करते हैं। उनके बारे में भी सोचो