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Rakesh frnds4ever
जब मन बैचैन ना हो,,,,,,,,,,,,,,,,तन परेशान ना हो जब आंखो में उदासी ना हो,,,,,,,,,,,,,चेहरे पर मायूसी ना हो होठों पर चुप्पी ना हो,,,,,,,,,,,,,,उलझने जब गुत्थी ना हों जब मस्तक चिंतित ना हो,,,,,,,,,,भौहें विचंभित ना हों जब पलकें भारी ना हो,, खुद के आसुओं से छल जारी ना हो जब शरीर में थकान ना हो,,,,,,, बेवजह/बेफालतू आफत में जान ना हो जब विचारों में स्थिलता हो,,,,,,,,,मस्तिष्क में निश्छलता हो जब आत्मा पवित्र हो,,,,,,,,,,, सादा सदचरित्र हो जब व्यवहार में अपनता हो,,,,,,,,,,,,,,,दिल में दयालुता हो जब मन तन शरीर आत्मा दिल दिमाग सभी में शांति,विश्राम,सकूं,आराम हो ,,,,, ,,, उस पल/क्षण/घड़ी/समय/अवस्था उसका इंतजार है,,,.... ©Rakesh frnds4ever #uskaintezaar जब #मन बैचैन ना हो,, #तन परेशान ना हो जब आंखो में #उदासी ना हो,,,चेहरे पर #मायूसी ना हो होठों पर चुप्पी ना हो,,,उलझने जब गुत्थी ना हों जब मस्तक #चिंतित ना हो,,भौहें विचंभित ना हों जब पलकें भारी ना हो,,खुद के #आसुओं से छल जारी ना हो जब शरीर में थकान ना हो,, बेवजह/बेफालतू आफत में जान ना हो जब विचारों में स्थिलता हो,,मस्तिष्क में निश्छलता हो
#uskaintezaar जब #मन बैचैन ना हो,, #तन परेशान ना हो जब आंखो में #उदासी ना हो,,,चेहरे पर #मायूसी ना हो होठों पर चुप्पी ना हो,,,उलझने जब गुत्थी ना हों जब मस्तक #चिंतित ना हो,,भौहें विचंभित ना हों जब पलकें भारी ना हो,,खुद के #आसुओं से छल जारी ना हो जब शरीर में थकान ना हो,, बेवजह/बेफालतू आफत में जान ना हो जब विचारों में स्थिलता हो,,मस्तिष्क में निश्छलता हो
read moreपूर्वार्थ
चिंताएँ...⊙ संसार में…सभी प्रकार के…भावों का… सम्मान करना ही…प्राणी का…एकमात्र धर्म है… वहीं मनुष्य होने के नाते…हमारा परम धर्म है… इन भावनाओं को…सही मार्गदर्शित किया जाये… जिस माता एक शिशु को…शैशवावस्था में… समझाती है कि…कब क्या करना चाहिए… कब क्या नहीं…कौनसी बात को… कब मनवाना चाहिए…एवं कब नहीं… माता इसी प्रकार से…शिशु को उसके जीवन में… आनेवाली परिस्थितियों के लिए…तत्पर करती हैं… ठीक इसी प्रकार हम…जब बड़े और अनुभवी हो जाते हैं तो… हमें #प्रेम_नाम_के_शब्द और…इसके संसार का… अभिज्ञान प्राप्त होता है…जिस प्रकार हम प्रेम को… सर्वोपरि, सर्वोच्च एवं सर्वश्रेष्ठ…मानने लगते हैं… ठीक उसी प्रकार से…हमें चिंताओं को भी… सम्मानित करना चाहिए…वहीं सम्मान देना चाहिए… उस व्यक्ति को…जो आपकी चिंता करता है… क्यूँकि मेरे अनुसार…इस संसार में… जितना सम्मान प्रेम का है…उससे भी अधिक सम्मान… चिंताओं का होना चाहिए…क्यूँकि #आपकी_चिंता_करने_वाला_भी… किसी-ना-किसी स्थान पर…आपसे प्रेम ही करता है… परन्तु अंतर इतना होता है कि…प्रेम में इंसान सर्वदा… प्रसन्न होने का प्रयास करता है…जबकि चिंताओं में इंसान… अपने प्रिय को…स्वस्थ एवं प्रसन्न देखना चाहता है… कितना सरल सा भाव है यह…जहाँ जिसको ठीक से जाना भी ना जाये… उसके लिए भी…सर्वाधिक #चिंतित हो जाता है मनुष्य… मनुष्य का जन्म होना जितना कठिन है…उससे भी कठिन है… मनुष्य रहकर इन समस्त…चिंताओं का उपचार करना… ऐसा उपचार जिससे कि यह…मुड़कर आपके प्रिय के जीवन में… कदा भी उसके किवाड़ों पर आघात ना करें…क्यूँकि जिस भी समय… आपका प्रिय उदास होगा…ठीक उसी पल से… आपका जीवन भी… आपको एक उदासमय जीवन लगने लगेगा… #अभिशाप_के_भाँति लगने लगेगा ॥ #चिंताएँ ©पूर्वार्थ
Mukesh Poonia
आज के जमाने में शुभचिंतक ऐसे होते जा रहे हैं... जो आपका शुभ होता देख चिंतित हो जाते हैं... . ©Mukesh Poonia #writer आज के #जमाने में #शुभचिंतक ऐसे होते जा रहे हैं... जो आपका #शुभ होता देख #चिंतित हो जाते हैं...
PRIYA SINHA
I kept worrying that 🙇🏻♀😑🙇🏻"चिंतित मित्र "🙇🏻😑🙇🏻♀ मुझे बहुत हीं याद आ रही तुम्हारी ; मुझे बहुत हीं चिंता सता रही तुम्हारी ; कोई ना कोई तो जरूर हीं है वो बात ; छिपा रहे हो जिसे मुझसे तुम दिन-रात ; उफ्फ मुझे ये खामोशी बता रही तुम्हारी ! जाने क्या बात है जो परेशान से रहते हो ; होकर खामोश मुझसे कुछ नहीं कहते हो ; काश के सच्चा दोस्त हीं समझा होता कहीं ; पर तुमने कभी मुझे अपना समझा हीं नहीं ; आह यही तो सबसे बड़ी खता रही तुम्हारी ! क्या पता मैं तुम्हारे किसी काम आ जाती ; तुम्हारी समस्याओं को शायद सुलझा पाती ; पर तुम सोचते होगे कि ये क्या कर पाएगी ; इसे कहाँ मेरी कोई समस्या समझ आएगी ; ओह ऐसा संदेहास्पद सोच जता रही तुम्हारी ! जाने कहाँ खो से गए हो कि मिलते हीं नहीं ; होठों पे तुम्हारे हँसी के फूल खिलते हीं नहीं ; अपने होठों पर अपनी हँसी संभाल कर रखो ; सारी परेशानियों को अपनी खंगाल कर रखो ; क्योंकि दुखों का पता मैं लिए जा रही तुम्हारी ! प्रिया सिन्हा 𝟐𝟐. अप्रैल. 𝟐𝟎𝟐𝟎. (बुधवार) ©PRIYA SINHA #चिंतित #मित्र
PRIYA SINHA
#चिंतित मित्र 🙇🏻♀😑🙇🏻"चिंतित मित्र "🙇🏻😑🙇🏻♀ "मुझे बहुत हीं याद आ रही तुम्हारी; मुझे बहुत हीं चिंता सता रही तुम्हारी; कोई ना कोई तो जरूर हीं है वो बात;
read moreRekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
चिंतित क्यों होना? °°°°°°°°°°☆☆°°°°°°°°°° करते रहो नित कर्म अपना, मुकद्दर जाग जायेगा। तवक्को न करो किसी से,तव्वजो जाग जायेगा। बुरे पल याद करके, बीते कल पर क्या गम में जलना और रोना? आने वाले कल को सोचकर व्यथित-चिंतित ही क्या होना? सोचो तो सुनहरा पल जो भी है,वो पल आज का ही है, हर पल का एहसास जीवन में ख़ास होता है। बस यही जान-मान कर,रहो ख़ुशनुमा हरदम। ख़ुश रहने से भी हर मुश्किल,आसान होता है। - Rekha $harma #Pal #चिंतित क्यों होना?
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