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Ashutosh Mishra
White तू और तेरी यादें तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख ये कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। नहीं रही वो पहले सी चहल पहल उदास हो गया है एक के बाद एक ना जाने कितना दर्द सहा है। बड़ी बेरहमी से लूटा है लुटेरों ने इसकी आबरु को दर्द से कराह भी नही सकता,,दहशत में जी रहा है। कभी,,लगता था भाईचारे का मेला जहां इंसानियत वहीं तार तार हो रही है। सभी सामर्थवान सामर्थ की गंगा में हाथ धो रहें है असमर्थवान उनकी बनाई चक्की में पिस रहें है। अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #City तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। #शहर #तू_और_तेरी_यादें #दहशत #बेआबरू Babli BhatiBa
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थी ।।२ हटे कैसे नज़र मेरी हँसी रुख से । जिसे अब देख तर जाने की जल्दी थी ।।३ न था अपना कोई उसका मगर फिर भी । उसे हर रोज घर जाने की जल्दी थी ।।४ सँवरना देखकर तेरा मुझे लगता । तुझे दिल में उतर जाने की जल्दी थी ।।५ बताती हार है अब उन महाशय की । उन्हें भी तो मुकर जाने की जल्दी थी ।।६ नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।।७ सही से खिल नहीं पाये सुमन डाली । जमीं पे जो बिखर जाने की जल्दी थी ।।८ लगाये आज हल्दी चंदन वो बैठे । न जाने क्यों निखर जाने की जल्दी थी ।।९ किये सब धाम के दर्शन प्रखर ऐसे । खब़र किसको निकर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ
Naveen
I_surbhiladha
KUNWA SAY
Men walking on dark street वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे ,,हमारी तन्हाईयों से भी आंख चुराते रहे ,,हमें ही मिल गया ख़िताब-ये-बेवफा ,,क्यूंकि हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे follow kare ©KUNWA SAY #Emotional वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे ,,हमारी तन्हाईयों से भी आंख चुराते रहे ,,हमें ही मिल गया ख़िताब-ये-बेवफा ,,क्यूंकि हम हर द
theunnamedpoet99
मर्द को दर्द नहीं होता। तुम तो मर्द हो, तुम कैसे रो रहे हो। आंसू कमज़ोरों की निशानी होती है। ऐसा कह-कहकर उसे रोने नहीं दिया, उसकी भावनाओं को दफ़्न कर दिया। ©theunnamedpoet99 मर्द को दर्द नहीं होता। तुम तो मर्द हो, तुम कैसे रो रहे हो। आंसू कमज़ोरों की निशानी होती है। ऐसा कह-कहकर उसे रोने नहीं दिया, उसकी भावनाओं क
Sachin Pratap Singh
sachin Pratap singh ©Sachin Pratap Singh सोने री धरती अठे, चांदी रो आसमाण रंग रंगीलों रस भर्यो म्हारो प्यारो राजस्थान... #rajsthan
लेखक ओझा
फफक–फफक कर बरस पड़ी बदरा दामन कालिखो से जब घनघोर हो चला! ©लेखक ओझा #lalishq रो पड़ी बदरा