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Pramod Kumar
Anamika
फटी पुरानी तस्वीर देखी ऐसे मेरी मधुमेह की खुरचन हो जैसे। #खुरचन #मधुमेह #तस्वीर #यादें_पुरानी_बातें #योरकोटऔरमैं #तूलिका
Mo k sh K an
चल सूरज की बाँह पकड़ कर आसमान तक जाते हैं नूर भारी एक बड़ी पिटारी खुरचन कर के लाते हैं रख देंगे फिर नूर की खुरचन, सायों की कड़ी जुबान पर कब तक ताले डालेंगे वो, जुर्रत की मुस्कान पर किरणों के शहतीरे हमने, ऐसे ही नहीं काते हैं चल सूरज की बाँह पकड़ कर आसमान तक जाते हैं स्याह रंग को रौशन कर के, अंधेरों को पाटेंगे थोड़ी थोड़ी नूर की खुरचन, मिलकर सब में बंटेगे देखें काले बदल कब तक, हाथ हथेली छाते हैं चल सूरज की बाँह पकड़ कर आसमान तक जाते हैं वो किरणों से लिखी इबारत 3. नूर की खुरचन #kavishala #hindinama #tassavuf #skand #love #mikyupikyu #kiranTh #wokirnoselikhiibarat #wo_kirano_
Akshit Royi
अपने दुख-दर्द का अफ़्साना बना लाया हूँ एक इक ज़ख़्म को चेहरे पे सजा लाया हूँ देख चेहरे की इबारत को खुरचने के लिए अपने नाख़ुन ज़रा कुछ और बढ़ा लाया हूँ बेवफ़ा लौट के आ देख मिरा जज़्बा-ए-इश्क़ आँसुओं से तिरी तस्वीर बना लाया हूँ अपने दुख-दर्द का अफ़्साना बना लाया हूँ एक इक ज़ख़्म को चेहरे पे सजा लाया हूँ देख चेहरे की इबारत को खुरचने के लिए अपने नाख़ुन ज़रा कुछ
सुसि ग़ाफ़िल
खुरचनों के कंकाल पर कपाल रख कर बैठा हूं सुबह सवेरे रौंदे गए अधिकार लेकर बैठा हूं आई है हिस्से में सूखे के पतों की नस मरहम के लिए हाथ में कपास के फोहे लिए बैठा हूं जड़ से आया है दर्द फुटकर बहार और मैं सीने पर गुलाब लिए बैठा हूं रहम कर भी लोग खुदा ना जाने में क्या क्या हिसाब लिए बैठा हूं // खुरचनों के कंकाल पर कपाल रख कर बैठा हूं सुबह सवेरे रौंदे गए अधिकार लेकर बैठा हूं आई है हिस्से में सूखे के पतों की नस
Shree
सुनो, तन्हाइयों में तेरी याद बड़ा परेशान करती है... बीती बातों की बारात बिन बुलाए बेवक्त ले आती है, सांसें तेज, आंखें नम, होंठ सिले... दिल धड़कता है, मासूम आदतन पुराने ज़ख्मों के नासूर ठंडे करता है, फिर, खुरचने बैठ जाता, उम्मीद के झालर सजाता है ना हिचक, ना हितार्थ थोड़ा... ना थोड़ी रहम खाता है, कौन सी रिहाई... रिवायत खुद को देता, हैरान होता है, दूर जाना है मुझे, अनगिनत आधे किस्से ना दोहराना है! सुनो, तन्हाइयों में तेरी याद बड़ा परेशान करती है... बीती बातों की बारात बिन बुलाए बेवक्त ले आती है, सांसें तेज, आंखें नम, होंठ सिले... दिल ध
Rooh
Read full poem in the caption शापित प्रेम Rest Zone सुना है.. एक लड़की ने आत्महत्या कर ली देह और आत्मा को अलग कर दिया उसके नाखूनों मे थे सूखे खुरचन
Sarita Shreyasi
चलो खुश हो लो तुम, नहीं दूँगी मैं उलाहना कोई, न पूछुंगी कोई प्रश्न कि क्यूँ मन की बात बतायी नहीं। न आज,याद दिलाऊंगी कि अंतिम बार कब थी रोयी, न कहूँगी तुम्हें ढूंढ लाने को,मानवता की मुस्कान खोयी। मैं नहीं समझ पाती जटिल विचारों में उलझी विद्वता, और गूढ दर्शन, इतना ही जान पाती हूँ कि ये ख्यालों की खुरचन है, बिना समझे जीवन के साथ मुस्कुराने में अड़चन है। मुस्कान मानव की जरूरत नहीं, सरल मन में खिली इंसानियत है, जबतक इसे जरूरत और चाहत बना कर रखेंगे, पाने की जद्दोजहद में, खुद से ही लड़ते रहेंगे। इसलिए मुझे कहीं दूर नहीं जाना, बस बंद आँखों के पीछे से गहरी खामोशी में उतर जाना है, अपनी रोशनी में देखें तो खुद के अंदर ही ये खजाना है। चलो खुश हो लो तुम, नहीं दूँगी मैं उलाहना कोई, न पूछुंगी कोई प्रश्न कि क्यूँ मन की बात बतायी नहीं। न आज,याद दिलाऊंगी कि अंतिम बार कब थी रोयी