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BROKENBOY
जब भी मिलता है एक नया अफसाना लिखता है। हर खत में मुझकों वो अपना दीवाना लिखता है। मुझकों ही वो अपनी जागीर समझता है ऐ राज। छोड़कर मुझकों जाना मत ये बन अनजाना लिखता है।। ©BROKENBOY #hillroad जब भी मिलता है एक नया अफसाना लिखता है। हर खत में मुझकों वो अपना दीवाना लिखता है। मुझकों ही वो अपनी जागीर समझता है ऐ राज। छोड़कर मुझ
S.M.Masoom
बूढ़े होते बाप के दिल की आवाज। बदन से अब मेरी जागीरदारी खत्म होती है मेरे बेटे तेरी बूढ़ी सवारी खत्म होती है ©Masoom M Syed #snowmountain बदन से अब मेरी जागीरदारी खत्म होती है मेरे बेटे तेरी बूढ़ी सवारी खत्म होती है
Sethi Ji
♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ ♥️ बचपन का प्यार , इश्क़ का खुमार ♥️ ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ दरवाजे से निकलती हुई रौशनी एक उम्मीद एक तलाश हैं क्या आप भी इश्क़ नामक रोग से बीमार हैं जब बचपन में माँ बाप पूरी करते थे हमारी हर ख्वाहिश बिना कुछ मांगे सच मानो दोस्तों वोही ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत प्यार हैं अब हम जवान हो गए , ज़िम्मेदारियों के आगे लाचार हो गए जब भी देखता हूँ अपने माँ बाप को सुकून के पलों में उनकी आँखों में आज भी दिखता मुझे मेरा संसार हैं सच्ची मोहब्बत इतनी आसानी से कहाँ मिलती दोस्तों आज कल इश्क़ सिर्फ़ एक लंबा इंतज़ार और सिर्फ़ कुछ हसीन पलों का खुमार हैं 💗🌼💗🌼💗🌼💗🌼💗🌼💗🌼💗🌼💗🌼💗🌼💗🌼 ©Sethi Ji 💞🌟 मोहब्बत की जरूरत 🌟💞 💞🌟 किस्मत की हकीक़त 🌟💞 भले ही किसी और की जागीर था वो ।। पर मेरे ख्वाबों की भी तस्वीर था वो ।। मुझे मिलता तो कैसे मि
Shiv
चुन चुन कर मैंने अपनी तामीर बनाई है रेत के किनारों में जागीर बनाई है ©Shiv चुन चुन कर मैंने अपनी तामीर बनाई है रेत के किनारों में जागीर बनाई है #NightRoad
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- वंदन करता मातु को , जो अपनी जागीर । जिनके पुन्य प्रताप से, देखो हुआ अमीर ।। देखो हुआ अमीर , मातु के मैं कदमों से । जागा मेरा भाग्य , आज उनके कर्मो से ।। उठा लिया जो धूल , समझकर मैने चंदन । करता उठकर नित्य , मातु को अपने वंदन ।। १९/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- वंदन करता मातु को , जो अपनी जागीर । जिनके पुन्य प्रताप से, देखो हुआ अमीर ।।
AnuWrites@बेबाकबातें
#सजनवा आज दिखे #गंभीर , लगता है ले लिया उड़ता #तीर । मैंने कितना ही समझाया , #पड़ोसन मतलब से है #हीर । जरा सा हंसकर वो बोली , उठाकर दे दी अपनी #खीर । आज #आलम यह आ पहुंचा , कह रही नाम करो #जागीर..! 😁😁😁 ©AnuWrites@बेबाकबोल #सजनवा आज दिखे #गंभीर , लगता है ले लिया उड़ता #तीर । मैंने कितना ही समझाया , #पड़ोसन मतलब से है #हीर । जरा सा हंसकर वो बोली , उठाकर दे दी अ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :- रक्षाबंधन बहन की आज खुशियों में कमी कोई नही आए । बँधाने प्रेम से राखी चलो भाई सभी जाए । सुनो आवाज देती है हमें प्यारी वही बहना- हमारे देर करने से सुबकने वह न लग जाए ।। बहन ये आज भाई के लिए उपहार लायी है । बँधा लो हाथ पर *राखी* बहन यह प्यार लायी है । हमारे तो लिए भाई तुम्हीं जागीर हो सारी - तुम्हारा मान हो जग में बहन यह हार लायी है ।। हमारा भी अगर होता यहाँ कोई बड़ा भाई । मुसीबत पर हमारी नित खड़ा होता सदा भाई । मगर मंजूर किस्मत को यहाँ कुछ और था शायद- बनाकर वह बड़ी बहना दिया हमें छोटा भाई ।। ३०/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- रक्षाबंधन बहन की आज खुशियों में कमी कोई नही आए । बँधाने प्रेम से राखी चलो भाई सभी जाए । सुनो आवाज देती है हमें प्यारी वही बहना- ह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- अब नही आती शिकायत बर्तनों से । हो गये परिवार छोटे दर्जनों से ।। मौत के जो नाम से डरते नहीं थे । वह लगे डरने यहाँ तो गर्जनों से ।। बाप तक की चीख भी जिसने दबा दी । अब लगाए कान है वो धडकनों से ।। भूखी ही रोती रही माँ आज दिन भर । लौटकर आए न बेटे बंधनों से ।। बेचकर जागीर पुरुखों की सुना है । तुम न पाए क्यों निकल फिर उलझनों से ।। २२/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- अब नही आती शिकायत बर्तनों से । हो गये परिवार छोटे दर्जनों से ।। मौत के जो नाम से डरते नहीं थे । वह लगे डरने यहाँ तो गर्जनों से ।।
Ranjan Lal