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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- नवदुर्गा माता के नव रूप का , दर्शन का सौभाग्य । पाया जो वागीश ये , लिखने बैठा काव्य ।। लिखने बैठा काव्य , जगत जननी की गाथा । देख शारदे मातु , झुका चरणों में माथा ।। माँ अम्बें की आज , आरती जन-जन गाता । होकर खुश वरदान , दिए भक्तों को माता ।। १२/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- नवदुर्गा माता के नव रूप का , दर्शन का सौभाग्य । पाया जो वागीश ये , लिखने बैठा काव्य ।। लिखने बैठा काव्य , जगत जननी की गाथा ।
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} 🎆 पूजा का किसी भी धार्मिक व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपने किसी ईष्ट को, अपने किसी देवता को, किसी गुरु को मानता है, तो वह उनकी कृपा भी चाहता है। वह चाहता है कि उसके ईष्ट, देवता हमेशा उसके साथ रहें, गुरु का उसे मार्गदर्शन मिलता रहे। इसी कृपा प्राप्ति के लिए जो भी साधन या कर्मकांड अथवा क्रियांए की जाती हैं, उन्हें पूजा विधि कहते हैं। धर्मक्षेत्र के अलावा कर्मक्षेत्र में भी पूजा का बहुत महत्व है इसलिये काम को भी लोग पूजा मानते हैं। 🎆 जिस प्रकार हर काम के करने की एक विधि होती है, एक तरीका होता है, उसी प्रकार पूजा की भी विधियां होती हैं, क्योंकि पूजा का क्षेत्र भी धर्म के क्षेत्र जितना ही व्यापक है। हर धर्म, हर क्षेत्र की संस्कृति के अनुसार ही वहां की पूजा विधियां भी होती हैं। मसलन मुस्लिम नमाज अदा करते हैं, तो हिंदू भजन कीर्तन, मंत्रोच्चारण हवन आदि, सिख गुरु ग्रंथ साहब के सामने माथा टेकते हैं, तो ईसाई प्रार्थनाएं करते हैं। इस तरह हर देवी-देवता, तीज-त्यौहार आदि को मनाने के लिए, अपने ईष्ट - देवता को मनाने की, खुश करने की अलग-अलग पद्धतियां हैं, इन्हें ही पूजा-पद्धतियां कहा जाता है। 🎆 जिस प्रकार गलत तरीके से किया गया कोई भी कार्य फलदायी नहीं होता, उसी प्रकार गलत विधि से की गई पूजा भी निष्फल होती है। जिस प्रकार वैज्ञानिक प्रयोगों में रसायनों का उचित मात्रा अथवा उचित मेल न किया जाये, तो वह दुर्घटना का कारण भी बन जाते हैं, उसी प्रकार गलत मंत्रोच्चारण अथवा गलत पूजा-पद्धति के प्रयोग से विपरीत प्रभाव भी पड़ते हैं, विशेषकर तंत्र विद्या में तो गलती की माफी नहीं ही मिलती। ये कर्म काण्ड है, और भगवान श्री कृष्ण की मन से की गई भक्ति सर्वोत्तम और सर्वोपरि तथा सर्वसश्रेष्ठ हैं।। ©N S Yadav GoldMine #bachpan {Bolo Ji Radhey Radhey} 🎆 पूजा का किसी भी धार्मिक व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपने किसी ईष्ट को, अप
BAWA
सहमत होने के लिए दुनिया पड़ी है, तुम मुझसे लड़ना... लड़ना इस बात पर कि तुमने आज मुझे कॉल क्यों नहीं किया, तुम लड़ना ये कहते हुए कि तुम मुझे अब प्यार नहीं करते, तुम लड़ना इस बात पर कि तुम 2 घंटे का बोलकर 1 घंटे 59 मिनट में ही चले गए, तुम लड़ना इस पर कि तुम अब बदल गए हो, तुम लड़ना और कहना कि तुमने मिलते ही मेरा माथा क्यों नहीं चूमा... तुम हर उस बात पर लड़ना जिससे मुझमें यह भावना बनी रहे कि मेरी तुम्हारे प्रति कुछ ज़िम्मेदारियाँ हैं और मैं तुम्हारे प्रेम में हूँ! ©BAWA #raindrops सहमत होने के लिए दुनिया पड़ी है, तुम मुझसे लड़ना... लड़ना इस बात पर कि तुमने आज मुझे कॉल क्यों नहीं किया, तुम लड़ना ये कहते हुए
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम । रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।। कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी । समझोगे कब आप , सताते क्यों बनवारी ।। सुन गोपी आवाज , दौड़ तट यमुना आते । रखो प्रीति की लाज , पुकारूँ तुम आ जाते ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम । रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।। कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी ।
नवीन बहुगुणा(शून्य)
AJAY NAYAK
हां ना हां ना करते-करते , फिर से हो गये हम तैयार उस चितवन सुन्दरी को पाने को जिसका कर रहे थे हम वर्षों से यहां इन्तजार । बढ़ चले यह सोचकर, कि जो होगा वो होगा अभी तो कम से कम उनसे मिलने के लिए तो चलें। प्यार है शायद फिर से कुछ हो जाये.. धड़क उठा दिल कि उनसे मिलकर क्या बोलेंगे, गया माथा ठनक कि अभी तक तैयार ही नही हुए तभी उनसे मिलने से पहले मित्रों की मदत से एक चिट्ठी किए तैयार, उधर मन भी हो गया तैयार कि हर एक वार का उत्तर देंगे, भले ही वो एक बार फिर से क्यों ना हो जाएँ दूर। प्यार के इसी उधेर बुधेर मे रह गये हम और वे कहा से कहा निकल गए, जब आंख खुली तो सामने एक सीसा नजर आया, उसमे जब देखे तो, सिर्फ और सिर्फ ख़ुद को ही पाया, देखकर इतना ही बोले कि हम इतने भी बुरे नही जितना खुद को अबतलक बुरा समझता आया। प्यार है शायद फिर से कुछ हो जाये.... –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ www.nayaksblog.com ©AJAY NAYAK #sadak हां ना हां ना करते-करते , फिर से हो गये हम तैयार उस चितवन सुन्दरी को पाने को जिसका कर रहे थे हम वर्षों से यहां इन्तजार । बढ़ चले य
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- तुम्हारी याद में अब तो सदा ही मुस्कराना है । तुम्हारे ही लिए मुझको यहाँ जी कर दिखाना है ।।१ अदाओं पे फिदा उसकी सुनों सारा ज़माना है । कहो मत बेवफ़ा उसको उसे दिल से लगाना है ।।२ बहुत तुम दूर हो हमसे शिकायत यह नही हमको । रहो तुम खुश जहाँ भी हो दुआ में सिर झुकाना है ।।३ नही अब शौख है मुझको किसी भी चीज का यारो । अगर वह पास है मेरे ,सुनो सारा ख़ज़ाना है ।।४ मिली थी ठोकरें हमको मुहब्बत के चमन में इस । मगर अब प्यार से हमको इसे मिलकर सजाना है ।।५ नही चाहत अधूरी थी हमारी और उनकी भी । मगर यह बदनसीबी है उन्हें दिल से भुलाना है ।।६ अभी अरमान है दिल में मिलन हो इक दफ़ा अपना । कि उनका चूमकर माथा उन्हे दिल से लगाना है ।।७ मिला है प्यार बीवी और बच्चों से मुझे इतना । कि आता याद वह महबूब जो गुजरा जमाना है ।।८ प्रखर की बदनसीबी थी लगन में देर से पहुचा । यही कीमत उसे अब तो सुनो हँसकर चुकाना है ।।९ १६/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- तुम्हारी याद में अब तो सदा ही मुस्कराना है । तुम्हारे ही लिए मुझको यहाँ जी कर दिखाना है ।।१
Rohit Kumar
Rohit Kumargzp1
V_riya Rani