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Shivkumar

#lakeview #झील #नदियाँ #nojotohindi मेरा दिल तेरी ये '' #झील '' सी '' #आँखों '' में डूब जाने को चाहता है ! तेरी मेरा दिल तेरी #इश्क #शायरी #बर्बाद #कदम

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Shivkumar

#lakeview #झील #नदियाँ #nojotohindi #आँखों में कोई #ख़्वाब सुनहरा नहीं आता इस झील पे अब कोई परिन्दा नहीं आता हालात ने चेहरे क #कविता #चमक #महोब्बत #तक़दीर

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Internet Jockey

तारा टूट भी जाए तो नीचे नहीं गिरता, गिरती हैं नदियाँ सागर में, पर सागर कभी दरिया में नहीं गिरता #Quotes

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तारा टूट भी जाए तो नीचे नहीं गिरता, 
गिरती हैं नदियाँ सागर में, पर
सागर कभी दरिया में नहीं गिरता

©Internet Jockey तारा टूट भी जाए तो नीचे नहीं गिरता, 
गिरती हैं नदियाँ सागर में, पर
सागर कभी दरिया में नहीं गिरता

Sethi Ji

♥️🌸 मोहब्बत की कहानी , दिल की जुबानी 🌸♥️ मेरी आँखों में समुंदर नहीं इश्क़ की नदियाँ बहती हैं ।। मेरे आंसू की एक एक बूँद तेरी मेरी प्रेम की #Zindagi #Trending #ishq #कविता #nojotowriters #nojotoshayari #uskebina #Sethiji #30Sept

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Bharat Bhushan pathak

ढहेगी पाप की नगरी,हुआ अवतार ईश्वर का। दुखों के टूटते साँकल,यही तो चिह्न नश्वर का।। टिकेगी ना,अभी बाधा,मिटाने आ,रहे लाला। बहेगी अब,सुधा नदिया #Poetry

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ढहेगी पाप की नगरी,हुआ अवतार ईश्वर का।
दुखों के टूटते साँकल,यही तो चिह्न नश्वर का।।
टिकेगी ना,अभी बाधा,मिटाने आ,रहे लाला।
बहेगी अब,सुधा नदियाँ,चलो पकड़ो,सभी प्याला।।
जगे तब भाग्य यमुना के,चरण रज जो,गिरा देंगे।
गले कोई,लगाये ना,गले उसको,लगा लेंगे।।
मुदित गोकुल,मथुरा है,पधारे जो,जगत पाले।
कहे यह कूक कर कोयल,सँभल लें पाप मतवाले।।

©Bharat Bhushan pathak ढहेगी पाप की नगरी,हुआ अवतार ईश्वर का।
दुखों के टूटते साँकल,यही तो चिह्न नश्वर का।।
टिकेगी ना,अभी बाधा,मिटाने आ,रहे लाला।
बहेगी अब,सुधा नदिया

Ravi Shankar Kumar Akela

#adventureयह हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे समाज, वास्तव में हमारे अस्तित्व को रेखांकित करता है । हमारे जंगल, नदियाँ, महासागर और मिट्टी हमें वह भ #पौराणिककथा

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विषय :- आजाद भारत विधा :- सार छन्द ,१६,१२पर यति आजाद भारत की लिखें हम , मिलकर नई कहानी । आओ आज बताएँ सबको , हम सब हिन्दुस्तानी ।। आजाद #कविता

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विषय  :- आजाद भारत 
विधा :-   सार छन्द ,१६,१२पर यति

आजाद भारत की लिखें हम , मिलकर नई कहानी ।
आओ आज बताएँ सबको , हम सब हिन्दुस्तानी ।।
आजाद भारत की लिखें हम....

सबका हक है एक बराबर,  यहाँ सभी है ऊँचा ।
सबकी मंजिल एक यहाँ पर , और एक है कूँचा ।।
कदम मिलाकर नारी चलती , थी पुरुषों ने ठानी ।
उतरी वह विश्वास लिए फिर , करी न आनाकानी ।।
आजाद भारत की लिखें हम....

एक कमाए घर भर खाए , नही चलेगा ऐसे ।
आओ मिलकर काम करे हम , लाए फिर दो पैसे ।
इसी सोंच ले लिख डाली , देखो एक कहानी ।
इक के पीछे एक चला फिर , सबको थी हैरानी ।।
आजाद भारत की लिखें हम....

बच्चों को स्कूल भेजकर हम , शिक्षित उन्हें बनाएं ।
और बाल श्रम पर रोक लगे , आवाज हम उठाए ।।
आने वाले कल को हम दे , सुंदर एक निशानी ।
अलग बने पहचान हमारी , देनी हर कुर्बानी ।
आजाद भारत की लिखें हम....

चाहे जैसा हो कल अपना , साहस बाँधें रहना ।
यही सूत्र था तब जीवन का , हर मुश्किल से लड़ना ।
कितना भी हो वक्त बुरा सुन , होगी फिर आसानी ।
खूब बहेंगी दूध कि नदियाँ , क्यों आखों में पानी ।
आजाद भारत की लिखें हम ...

आजाद भारत की लिखें हम ,मिलकर नई कहानी ।
आओ आज बताएं सबको , हम सब हिन्दस्तानी ।।

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय  :- आजाद भारत 
विधा :-   सार छन्द ,१६,१२पर यति

आजाद भारत की लिखें हम , मिलकर नई कहानी ।
आओ आज बताएँ सबको , हम सब हिन्दुस्तानी ।।
आजाद

खामोशी और दस्तक

#Likho जैसे एक नदी के जीवन का आखिरी पड़ाव होता है समन्दर ,समन्दर मे मिल कर अपना अस्तित्व खोना ही नदी की नियति है किंतु,सभी नदियाँ समुद्र मे #लव

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

तुमसे प्यारे नगर नहीं होते । आप जब भी इधर नहीं होते ।।१ हाँ दिवानों के घर नहीं होते । प्रेम में जो प्रखर नहीं होते ।।२ ज़िन्दगी हर कदम कहाँ #शायरी

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ग़ज़ल :-
तुमसे प्यारे नगर नहीं होते ।
आप जब भी इधर नहीं होते ।।१

हाँ दिवानों के घर नहीं होते ।
प्रेम में जो प्रखर नहीं होते ।।२

ज़िन्दगी हर कदम कहाँ आसाँ ।
हर तरफ तो डगर नहीं होते ।।३

हर तरफ खून की बहीं नदियाँ ।
क्या कहूँ अब बशर नहीं होते ।।४

आज चुप क्यों कलम तुम्हारी है ।
क्या तुम्हें कुछ खबर नहीं होते ५

कुछ न भाता मुझे यहाँ तुम बिन ।
आप जो अब नज़र नहीं होते ।।६

जिनको मिलते नही यहाँ रहबर ।
क्या कहूँ उनके सफ़र नही होते ।।७

मान भी लो कभी हमारी तुम
हर बशर मे बसर नही होते ।।८

वें प्रखर पर किए सितम इतना ।
और कहते  कहर नहीं होते ।।९

२९/०७/२०२३   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तुमसे प्यारे नगर नहीं होते ।
आप जब भी इधर नहीं होते ।।१

हाँ दिवानों के घर नहीं होते ।
प्रेम में जो प्रखर नहीं होते ।।२

ज़िन्दगी हर कदम कहाँ

Sonam kuril

साँझ को जब भी उदास मन नदियों से मिलता हैं,
कुछ पल को विचलित फिर शांत हो जाता हैं,
जैसे-जैसे लहरें बहती जाती हैं नदियों की धारा में,
संग अपने विचलित मन भी ले जाती हैं,
और जो दे जाती हैं, वो हैं बस,
"नयी उमंग और नयी आशाएं" |

©Sonam kuril #SunSet #नदियाँ #river #Lehrein #Khamoshi #नई_उमंग #नयी_आशाएं  #nojotohindi #Nojoto #poetrymonth
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