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Dil galti kr baitha h
बनकर खुशबू हम तेरी यादों में रहेंगे बनकर लहू तेरी हर नस में बहेंगे चाहे जितने भी दूर हम क्यों ना रहे हर सुबह सबसे पहली हम गुड मॉर्निंग कहेंगे ©Dil galti kr baitha h बनकर खुशबू हम तेरी यादों में रहेंगे बनकर लहू तेरी हर नस में बहेंगे चाहे जितने भी दूर हम क्यों ना रहे हर सुबह सबसे पहली हम गुड मॉर्निंग कहेंग
Dil galti kr baitha h
बनकर खुशबू हम तेरी यादों में रहेंगे बनकर लहू तेरी हर नस में बहेंगे चाहे जितने भी दूर हम क्यों ना रहे हर सुबह सबसे पहली हम गुड मॉर्निंग कहेंगे ©Dil galti kr baitha h बनकर खुशबू हम तेरी यादों में रहेंगे बनकर लहू तेरी हर नस में बहेंगे चाहे जितने भी दूर हम क्यों ना रहे हर सुबह सबसे पहली हम गुड मॉर्निंग कहेंग
Vivek prajapati
एक कविता की शुरुवात.... बहुत ढूढना, बहुत सोचना, पड़ता हैं, कुछ शब्द लिखने के लिए।। हर चीजों से मुंह मोड़ कर, अकेला बैठ कर संत चित मैं, कुछ लाइनों को याद करते हुए।। तब जाकर कुछ शब्द को, एक पेज पर अपने लाइनों को दर्शाते हैं।। ऐसे होता हैं, एक कविता की शुरुवात, जिसमें सारे वक्त एक तरफ होते हैं, और दिल की ख्वाहिशें बहुत बड़ी होती हैं।। ऐसा लगता हैं, कि कविता नस-नस में बसा है, बस शब्दों का धुन बहुत कुछ कह जाता हैं।। कुछ शब्द लिखने के लिए...!! 📖📖📖📖📖 ©Vivek Kumar prajapati #udaasi एक कविता की शुरुवात.... बहुत ढूढना, बहुत सोचना, पड़ता हैं, कुछ शब्द लिखने के लिए।। हर चीजों से मुंह मोड़ कर, अकेला बैठ कर संत चित
Anil Ray
हसीं मोहब्बत के लिए कुछ अरमान थे सोचा इकरार प्यार का आज फूल दूंगा उसको.. देख रूबरू मेरी उस हसीं मोहब्बत को फूल के सामने हसीं फूल अब फूल दूं किसको.. मोहब्बत से खूबसूरत इज्जत व खुशी भूल जिस्म रूह से मिलन अमर कर दूं प्रेम को.. इबादत में जैसे खुदा मिल गया है मुझे झुकाकर सिर अपना रब माना है यारों उसको.. ©Anil Ray 💞🌷जिस्म रूह से मिल गया🌷💞 हँसना-मुस्कुराना लबों का गुनगुनाना बिन मोबाइल ही तुझसे बात करना.. देखकर मुझे दोस्तों! ने पूछ ही लिया अनिल! क्या त
ANOOP PANDEY
विषकन्या पर स्पेशल कविता 💥💥💥💥🔥🔥🔥🔥🔥 -------------------------------- करते हो तुम बात ओ उलझी क्या सच में कोई संकट आया है क्या सच में कोई संकट आया है करते हो तुम अब बात बेहूदी क्या सच में कोई आफत आई है क्या सच में कोई आफत आई है दिया तेरा जब सँग था मैंने बिल्कुल ना तू बदला था.... अजी बिल्कुल ना तू बदला था थी सौम्य सुशील अगुणित सी छवि तब हर इक को तू हीं जँचता था तब हर इक को तू हीं जँचता था जानें फ़िर इक कैसी आई लहर सब कुछ ही यारा खाक हुआ थी सौम्य सुशील अगुणित सी छवि उसमें विषकन्या का वास हुआ उसमें विषकन्या का वास हुआ ना साथ दिया ना वार किया ना हीं कोई मैंने उपचार किया है उसका नतीजा अब है मिला कि तूने मुझ पर ही वार किया जो जहर बसा था नस नस में उसको है मुझी पर उड़ेल दिया उसको हैं मुझी पर उड़ेल दिया ना माफ करूँ ना फिकर करूँ अब क्यों मैं तेरा जिकर करूँ जब नहीं वास्ता कोई तुझसे क्यों फ़िर मैं तुझ पर लफ्ज़ लिखूँ तो क्यों मैं तुझ पर लफ्ज़ लिखूँ ©ANOOP PANDEY पूजा उदेशी pramodini mohapatra J. Chandravanshi Rajat Bhardwaj Anshu priya Kajal Singh [ ज़िंदगी ] @#विषकन्या_स्पेशल करते हो तुम बात ओ उ
Anuj Ray
नस नस मेरी ये दर्द से कातर है, तुझसे मिलने को जिया आतुर है। जुल्मी जालिम पिया में तुझसे, ना मिलती थी तो ही अच्छा था। मैं तो समझी थी तन मन की मेरी, प्यास बुझा देगा तू। ओ बेदरदा, ये तो, उल्टी आग लगा दी दिल में तूने। ©Anuj Ray # नस नस मेरी ये दर्द से कातर है,