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महेश्वर कुमार
जिंदगी जियो सान से, अगर लड़ोगे कोइरान से तो बेटा हाथ धो लोगे जान से (जय मौर्य समाज) ©Munna Bhai जय मौर्य साम्राज्य
Jiyalal Meena ( Official )
Anil Ray
झूठ कहूं तो लफ्जों का दम घुटता है सच कहूं तो अपने रूठ जाते है... किरदार बदलते बदलते देखो अनिल कितने क़ाबिल पात्र छूट जाते है... ©Anil Ray 💞 जीवनसाथी 🤝🏻 पुनः प्रकाशित 💞 अक्सर देखता हूँ मैं पुरुष आधिपत्य साम्राज्य में रिश्ते की डोर में बंधे इंसान निजधरा पर मेरी मानव जाति म
Mili Saha
अब्बास द ग्रेट के नाम से इतिहास में आमतौर पर जाना जाता है शाह अब्बास सफ़विद राजवंश के महानतम शासकों में एक था वो कहता है ये बात ईरानी इतिहास। शाह मोहम्मद खोदबंदा का था वो तीसरा पुत्र और माता थी उसकी खैर अल-निसा बेगम मिला था ये अब्बास नाम उसे अपने दादा से नाम था जिनका तहमासप प्रथम। मात्र अठारह महीने की उम्र में ही अब्बास अपने परिवार से हो गया अलग पन्द्रह वर्षों के पश्चात मिलना हुआ फिर पिता से किंतु माता को कभी न देखा हुआ जो विलग। क़िजिलबाश जो अभिभावक बने अब्बास के उन्हीं से सीखे सैनिक के आवश्यक कौशल शिकार करना पोलो खेलना एक जुनून की तरह कठिन होते थे बड़े प्रशिक्षण के वो पल। किया जाता था अब्बास को प्रशिक्षित अक्सर वहांँ पर घरेलू गुलामों के साथ ही उनके साथ अधिक समय बिताने के कारण बन गए थे वहीं बचपन के कई साथी खास। सफ़वी साम्राज्य के लिए अब्बास बड़े कठिन समय में सिंहासन पर आया अपने राज्य की राजधानी एक महान निर्माता बन वो कज़्वीन से लेकर इस्फ़हान तक ले गया। अपने शासनकाल की उपलब्धियों के लिए प्रशंसित एक मजबूत और निर्णायक शासक था अब्बास किंतु एक अत्याचारी के तौर पर भी है उसकी पहचान बेटे और कई रिश्तेदारों का हत्यारा बना था अब्बास। आश्चर्यजनक सांस्कृतिक विरासत का अधिकांश अंश आधुनिक ईरान में मौजूद दिखाई देता जो आज भी अपने युग के सबसे महान शासकों में से एक यह सांस्कृतिक विरासत थी अब्बास द ग्रेट की। ©Mili Saha अब्बास द ग्रेट के नाम से इतिहास में आमतौर पर जाना जाता है शाह अब्बास सफ़विद राजवंश के महानतम शासकों में
Nisheeth pandey
राम जी का जीवन भी क्या जीवन रहा होगा राजा होकर भी रंक का जीवन जिया होगा राजशाही ठाठ हो कर भी ठाठ न लगी होगी कभी कभी शिक्षा के लिये वन कभी वनवास के लिये वन कभी राज गद्दी पर होकर भी सिया बिन मन रहा वनवास में ... राज धर्म के हेतु त्यागना पड़ा सिया को सारे साम्राज्य की भीड़ में राम मन सिया बिन कितना व्याकुल रहा होगा राम भी तो अकेले में सिया स्वप्न में भटक जाते होंगे ... कल्पना में जब सिया से मिलते होगें सिया से कहते होंगें ...... पीताम्बरी सी तुम , तुमपर कितना चम चम करती है ये - पीली साड़ी ....देह पर तुम्हारी ..... तुम्हारी यौवन देख ! दूर कहीं पीली सरसों खेतों में सारे लहलहा जाएगी ……. जब राम ने सिया को पहनाए होंगे हरी चूड़ियां कलाइयों में..... सजा देख कलाइयां सिया की! राम ने कहा होगा तुम्हारी कलाइयों में हरी चूड़ियाँ देख - सावन दौड़ा आएगा और ...... शर्माकर पेड़ सारे ...... ओढ़ लेंगे हरी चादर ! जब राम ने सिया के माथे की दमकती हुई लाल बिंदिया चूमा होगा ! झूमता हुआ बसंत चला आया होगा और .....चारों ओर फूल रंग-बिरंगे खिल उठे होंगे ..... ! मगर ........ वास्तव में ऐसा कुछ नहीं वंचित रहें प्रेम की मधुरता से राम सिया से सिया राम से सिया और राम के बिछरण से हृदय में गहरा रंज रहा होगा सरसों को ....... फूलों को...... बसंत और सावन को और पेड़ों को भी! और ...... मैं भी उन्हीं की तरह नियति के सिलौटी पर पीस गया हूँ मैं तो तुच्छ मानव हूँ शायद इन सब से कहीं गहरा रंज है मुझे... #निशीथ ©Nisheeth pandey #ramsita राम जी का जीवन भी क्या जीवन रहा होगा राजा होकर भी रंक का जीवन जिया होगा राजशाही ठाठ हो कर भी ठाठ न लगी होगी कभी कभी शिक्षा के
RunstarBy mrityunjay