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Nilam Agarwalla
White डूबते को सहारा... दिया कीजिए l यूं मज़ा जिंदगी का लिया कीजिए।। शोहरत ही मिले.....ये जरुरी नहीं, मुफ्त में नेकियां भी किया कीजिए।। राज की बात है... खुल न जाए कहीं, दर्द का जाम छुपकर पिया कीजिए।। छोडिए.. देवता बन के क्या फायदा, आदमी की तरह ही जिया कीजिए।। जब दुआ में कभी.. हाथ दोनों उठें, दुश्मनों के लिऐ..भी दुआ कीजिए।। लक्ष्मी सेंगर "रश्मि" ©Nilam Agarwalla #गजल
Nilam Agarwalla
White दिलों के माबैन शक की दीवार हो रही है तो क्या जुदाई की राह हमवार हो रही है ज़रा सा मुझ को भी तजरबा कम है रास्ते का ज़रा सी तेरी भी तेज़ रफ़्तार हो रही है उधर से भी जो चाहिए था नहीं मिला है इधर हमारी भी उम्र बे-कार हो रही है शदीद गर्मी में कैसे निकले वो फूल-चेहरा सो अपने रस्ते में धूप दीवार हो रही है बस इक तअ'ल्लुक़ ने मेरी नींदें उड़ा रखी हैं बस इक शनासाई जाँ का आज़ार हो रही है यहाँ से क़िस्सा शुरूअ' होता है क़त्ल-ओ-ख़ूँ का यहाँ से ये दास्ताँ मज़ेदार हो रही है ये लोग दुनिया को किस तरफ़ ले के जा रहे हैं ये लोग जिन की ज़बान तलवार हो रही है शकील जमाली ©Nilam Agarwalla #गजल
लेखक ओझा
White उड़ रही है पतंगे खुले आसमान में पता करो ओझा डोर कहां है अभी जहां में।। ©लेखक ओझा #sunset_time पता करो ओझा
#sunset_time पता करो ओझा
read moreS K Sachin उर्फ sachit
मेरी नई पुस्तक ©S K Sachin उर्फ sachit #गजल#पुस्तक#हिन्दी
ऋतु गुलाटी ऋतंभरा
White गजल यूँ वक्त भी हमें क्यो देता भी सिसकियाँ हैं। गम मे कहाँ दिखेंगी फूलों पे शोखियाँ हैं। बच्चो को साथ रखना,गुलशन है आजकल के। वो घर भरा खुशी से जिसमे कहानियाँ हैं। कहते सभी हमे भी रखना ख्याल सबका। आ सीख हम भी ले ले करना न गलतियाँ हैं। क्यो चाँद आज हमको आँखें बड़ी दिखाये। आ जाये जब जमीं पे करता वो मस्तियाँ हैं। फूलों पे अब दिखी हैं कलियाँ भी अब खिली सी। लायी हैं हौसला भी हरहाल बेटियाँ हैं। मरते हैं भूख से सब,फैली बे-रोजगारी। बस भूख से तड़फती बेहाल बस्तियाँ हैं।गिरह स्वरचित..✍️ रीतागुलाटी ऋतंभरा ©ऋतु गुलाटी ऋतंभरा #mango गजल..रीतागुलाटी की चंडीगढ़ से
ऋतु गुलाटी ऋतंभरा
यूँ वक्त भी हमें क्यो देता भी सिसकियाँ हैं। गम मे कहाँ दिखेंगी फूलों पे शोखियाँ हैं। बच्चो को साथ रखना,गुलशन है आजकल के। वो घर भरा खुशी से जिसमे कहानियाँ हैं। कहते सभी हमे भी रखना ख्याल सबका। आ सीख हम भी ले ले करना न गलतियाँ हैं। क्यो चाँद आज हमको आँखें बड़ी दिखाये। आ जाये जब जमीं पे करता वो मस्तियाँ हैं। फूलों पे अब दिखी हैं कलियाँ भी अब खिली सी। लायी हैं हौसला भी हरहाल बेटियाँ हैं। मरते हैं भूख से सब,फैली बे-रोजगारी। बस भूख से तड़फती बेहाल बस्तियाँ हैं।गिरह स्वरचित..✍️ रीतागुलाटी ऋतंभरा ©ऋतु गुलाटी ऋतंभरा #mango गजल पेशखिदमत है रीतागुलाटी की चंडीगढ़ से।
Madhur Nayan Mishra
अब तुम्हारे प्यार के बारे में क्या कहूं? मैं तो तुम्हारे दिए ज़ख्म को भी सीने से लगा कर रखता हूं... ©Madhur Nayan Mishra #MountainPeak #शायरी #गजल
MountainPeak शायरी गजल
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
वही शाम वही रात वही तारे हैं मगर मायूस दिल वही नजारे हैं लगा था कल जंग जीत कर आए आज बैठे हैं जैसे जिंदगी से हारे हैं मेरी जहां से खफा हो चांद गया गम मैं डूबे मिलते नहीं किनारे हैं गुल खिले खुशबू से घुट रहा है दम आज बेखुद हमें तड़पा रही बहारें हैं ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #गजल
Dr. Alpana suhasini
न जाने क्या ज़माना चाहता है, मेरी ख़ुशियां मिटाना चाहता है। मेरी मासूमियत को छीन कर क्यों, मुझे शातिर बनाना चाहता है. अभी कोई कमी बाक़ी है शायद, जो फिर से आज़माना चाहता है। मिटाकर तीरगी अब ज़िन्दगी से, उजाले में वो आना चाहता है। निगाहों से लगे सीधा जिगर पर, वो इक ऐसा निशाना चाहता है । परिंदे की है बस इतनी सी ख़्वाहिश, नशेमन फिर बसाना चाहता है। अल्पना सुहासिनी ©Dr. Alpana suhasini #गजल#गजल_सृजन #
Sunil Kumar Maurya Bekhud
गजल करवट बदल बदल कर क्यूं रात बितातें हैं इक नाम क्यों जमीं पर लिखतें हैं मिटाते हैं मालूम है डगर में लुट जातें हैं मुसाफिर गर लुट गए तो फिर क्यों अब शोर मचाते हैं कट कर पतंग कोई आती न लौट करके धागे में बांध फिर क्यूं खुशियों को उड़ाते हैं ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #गजल