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Harshita Dawar
Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# Kya janegi mehfil jab mil bhatega yaaro ke yaar ...shayri ki fuvar क्या जमेगी महफ़िल जब मिल भेठेगे यारो के यार ।।।शायरी की फुवर #yaari #dostiyaari #yqdidi #yqbaba Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# Kya janegi mehfil jab mil bhatega yaaro ke yaar ...shayri ki f
Anjali Srivastav
मिलेंगे सनम ढ़ेरो बातें होंगी मोहब्बत की प्यारी मुलाकातें होंगी।। होंगी खुशियां दामन में मेरे जब जब सुहानी जज्बातें होंगी। चांद सितारों की महफ़िल जमेगी जब वो प्यारी सी रातें होंगी।। डूबेंगे दोनों एक दूसरे में बयाँ आँखों से कुछ बातें होंगी।। नही होगी कोई फिर तमन्ना मुहब्बत की जब जब सौगाते होंगी।। अंजली श्रीवास्तव ©Anjali Srivastav मिलेंगे सनम ढ़ेरो बातें होंगी मोहब्बत की प्यारी मुलाकातें होंगी।। होंगी खुशियां दामन में मेरे जब जब सुहानी जज्बातें होंगी। चांद सितारों की
Amit Mishra
ये हिज़्र की रात है लंबी चलेगी टीस है दिल में बहुत ही खलेगी जमाने से नज़रें मिलायें भी कैसे मेरी इन आँखों में नमी सी रहेगी चलेंगी हवायें तो पहले के जैसी मगर इनमे उसकी महक ना रहेगी चिराग़ों का क्या है ये जलते रहेंगे मगर इस लौ में रौशनी ना रहेगी चमन में सितारे भी बिखरे हुये हैं मगर इनमे उसकी कमी सी रहेगी अंधेरों में खुद को कैद तो कर लूँ यादों की खिड़की खुली ही रहेगी 'मौन' हैं ग़ज़लें लफ्जों की कमी है अब उसके बिना महफ़िल ना जमेगी ये हिज़्र की रात है लंबी चलेगी टीस है दिल में बहुत ही खलेगी जमाने से नज़रें मिलायें भी कैसे मेरी इन आँखों में नमी सी रहेगी चलेंगी हवाये
Vandana
धुंध सरेआम बिखरी हुई थी ओंस की बूंद बूंद टपक रही थी हवाओं का कहर इस तरह हावी था कि कोहरे की चादर उसके शहर से मेरे शहर तक फैली हुई थी तलाश करती उस चेहरे को बिखरी धुंध में मगर कुछ नजर नहीं आता बेरहम मौसम को इश्क ए जुनून में सब्र नहीं आता सर्दी की कंपकपाहट में पशमीना शॉल ओढ़े भीगे रास्तों की हरी घास में टहलते कदमों से निकलती वो घर से मिलने की आस में आकर्षित होकर जब डुब जाओगे इश्क के सुरूर में तब नजर आएगी धुंध ही धुंध,,, खूबसूरती रूप की हो या गुणों की छू देगी तुम्हें बूंद बूंद,,, एहसास
S. Bhaskar
खो जाने से पहले चल फिर से एक ख्वाब संजो ले, हम तुम मिल कर खुशियों के बीज बो लें, जल्दी हकीकत होने की है सो जाने से पहले, आओ मिल ले हम खो जाने से पहले। मेरे बाहों के दरमियान धन का अंबार हो, जो कभी खत्म ना हो ऐसा अपना प्यार हो, महकेंगी फिजाएं फूलों के मुरझा जाने से पहले, हम एक हो जाए एक दूजे में खो जाने से पहले। हिस्सों में बांटी गई जो ज़िन्दगी तो खाली ही सही, तुमने खुद को सौंपा है मुझे तो हक मेरा ही सही, तुम चुपके से मेरी बाहों में आना अंधेरा हो जाने से पहले, फिर हमे कोई ना जुदा कर पाए खो जाने से पहले। ये चंद महीने बचे हैं इंतज़ार के खुश हो लो, मायके के बाद दिन ससुराल के मुक्त हो लो, मेरे फेरे लगाने होंगे सात फेरे हो जाने से पहले, फिर तो जोड़ी जमेगी खुद में खो जाने से पहले। खो जाने से पहले चल फिर से एक ख्वाब संजो ले, हम तुम मिल कर खुशियों के बीज बो लें, जल्दी हकीकत होने की है सो जाने से पहले, आओ मिल ले हम खो जा
Vijay Tyagi
"कब जाओगी मायके.. 🤔 🙄🙄🙄 "साड़ी,👑 गहने लायके💄👠 चाट-पकौड़ी ख़िलायके डरते डरते पूछ रहा हूँ.. जानू... कब जाओगी मायके...??? देखो देखो...ना खोओ आपा 🤷🙆 बुलाए तुम्हार
Bharat Bhushan pathak
यथार्थ का परिचय कराने का प्रयत्न करती मेरी यह कविता मेरी और उन सभी साहित्यकारों की आवाज है जो संभवतः सम्पूर्ण संसार से यही कहना चाहते होंगे... *त़हरीर मेरी भी* विधा-अतुकांत आज मुफ़लिसी में यहाँ जीता हूँ मैं, कल त़हरीर मेरी भी लिखी जाएगी। कहेंगे लोग उस वक्त ये ज़रूर मगर, हाँ !वाह क्या बहुत खूब लिखते थे वो, उम्र का तकाज़ा है ये जनाब मुझको, पूछते हैं लोग खाक हो जाने के बाद... जब आज हम हैं तो कोई चर्चा नहीं... पर कल यहाँ याद आएंगे बहुत , बस उस आखिरी पर्चा भर जाने के बाद... जन्म दिवस,मरण दिवस भी मनाएंगे वो, समोसे और मिठाइयाँ खिलाएंगे वो.. पहनाएंगे माला पुतले को मेरे.... यहाँ खूब जिन्दाबाद के नारे होंगे, कभी झाँके तक नहीं थे घर में मेरे जो, कल बाईट में घर केवल हमारे दिखाए जाएंगे। जब-जब तीथि यहाँ पर आएगी मेरी.. वो खूब मोमबत्तियाँ जलाएंगे। साल दो साल ,महीने दर महीने , खूब धूल भी यहाँ जमेगी मुझपर.. और तीथियों पर खूब नहलाए जाएंगे हम। कभी नेता,अभिनेता कभी आकर मेरे पुतले के पास.. यहाँ अपनी नायिका,पार्टी सदस्यों के साथ लंबे भाषण भी दे जाएंगे। और उस शून्य में बैठ हम यह सोचते रह जाएंगे, ओह !यहाँ कोई तो आया मेरे खा़क हो जाने के बाद ही सही... ©Bharat Bhushan pathak यथार्थ का परिचय कराने का प्रयत्न करती मेरी यह कविता मेरी और उन सभी साहित्यकारों की आवाज है जो संभवतः सम्पूर्ण संसार से यही कहना चाहते होंगे.
Anekanth Bahubali
The Kannadigas Clause मदन और मालविका की आज सगाई है, दोनों की आँखें आज कुछ ऐसे चमक रही हैं कि लगता है शायद किसी अनोखे सपने से सीधा जागकर इस मंडप में आए हों। मैं हा
Anekanth B
The Kannadigas Clause मदन और मालविका की आज सगाई है, दोनों की आँखें आज कुछ ऐसे चमक रही हैं कि लगता है शायद किसी अनोखे सपने से सीधा जागकर इस मंडप में आए हों। मैं हा
lalitha sai
एक पत्र...... उनके और मेरे उलझनों के साथ.... मेरे प्रिय, मैं जानती हूँ जीवन के किसी उलझनों में हो आप भी, मगर ये जीवन है सब तरह के अनुभव को अनुभव करना पड़ता है है ना?? तो किस बात की तनाव