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Dhirendra Kumar(7268096198)
टूटकर भी मुस्कुराता हूँ मैं, ग़मों को हँसी से छुपाता हु मैं ज़िन्दगी अधूरी न रह जाए ज़ीने में इसलिए, खुद का कुछ इस तरह मज़ाक़ बनाता हूँ मैं टूटकर भी मुस्कुराता हूँ मैं, ग़मों को हँसी से छुपाता हु मैं शायरियां अधूरी न रह जाए इसलिए, खुद से अल्फाज़ो को ढूंढकर लाता हूँ मैं
||स्वयं लेखन||
जख्मों को कुरेदकर दर्द के मोती ढूंढकर, उनको शायरी के धागों में पिरोता हूं, तब जाके शायर कहलाता हूं जख्मों को कुरेदकर दर्द के मोती ढूंढकर, फ़िर उनको शायरी के धागों में पिरोता हूं, तब जाके शायर कहलाता हूं #शायर #शायरी #ज़ख्म
Rohit Pagal Pal
लाउंगा सतरंग गुलाब, उसके लिए दुनिया भर से ढूंढकर ...! मेरी निगाहे टिक जाती है जिसपे, हर बार सारा जहां घूमकर.....!! करूंगा मुहब्बत का इजहार,
Muskan Singh
तुमने धोखा भी मुझे,धोखे से दिया,, ढूंढकर अच्छा मौका,मौके से दिया!! हमे बेवफा कहते हो,बुरा क्यों माने,, चलो कोई नाम तो, भरोसे से दिया!! बेवफा ही थे हम, मुफ्त में लुट गए,, तुमने तो अपना दिल,पैसों से दिया!! Dimpal🥀 ©Muskan Singh तुमने धोखा भी मुझे,धोखे से दिया,, ढूंढकर अच्छा मौका,मौके से दिया!! हमे बेवफा कहते हो,बुरा क्यों माने,, चलो कोई नाम तो, भरोसे से दिया!!
vibrant.writer
©Vw अब दिन तो ढलता है पर रात नहीं होती, तुझसे वो पहली वाली मुलाकात नहीं होती। तुने मुझे गलतियां ढूंढकर छोड़ जो दिया हैं, तो अब रातों में गहरी मुलाकात नहीं होती। #raat #tum #mulakat अब दिन तो ढलता है पर रात नहीं होती, तुझसे वो पहली वाली मुलाकात नहीं होती। तुने मुझे गलतियां ढूंढकर छोड़ जो दिया हैं,
Ravi Kumar Panchwal
Travel मंज़िल हमें, हम रास्तों को आज़माते हैं, मुसीबतों को ढूंढकर जा टकराते हैं, नासमझ हैं वो काँटे जो हमारी राह में बिछे हैं, उन्हें देख, हम बस मुस्कुराते हैं। सफ़र आसां हो तो ख़ाक मज़ा है यारों, आसां ज़िंदगी तो ख़ता है प्यारो, तो क्या फ़लक तक जो पहुँच वो टूट जाते हैं, आसमां से टूटकर ही सितारें झिलमिलाते हैं। रविकुमार... मंज़िल हमें, हम रास्तों को आज़माते हैं, मुसीबतों को ढूंढकर जा टकराते हैं, नासमझ हैं वो काँटे जो हमारी राह में बिछे हैं, उन्हें देख, हम बस मुस्
अंदाज़ ए बयाँ...
क़िस्मत हमें, हम क़िस्मत को आज़माते हैं, मुसीबतों को ढूंढ ढूंढकर जा टकराते हैं, नासमझ हैं वो काँटे जो हमारी राह में बिछे हैं, उन्हें देख कर हम बस मुस्कुराते हैं। सफ़र ग़र आसां हुआ तो ख़ाक मज़ा है यारों, आसानी से मिली मंज़िल तो ख़ता है प्यारो, तो क्या फ़लक तक जो पहुँच वो टूट जाते हैं, आसमां से टूटकर ही सितारें झिलमिलाते हैं। रविकुमार... क़िस्मत हमें, हम क़िस्मत को आज़माते हैं, मुसीबतों को ढूंढ ढूंढकर जा टकराते हैं, नासमझ हैं वो काँटे जो हमारी राह में बिछे हैं, उन्हें देख कर हम
Vijay Tyagi
= हमारे मतलब.. मेरा बेटा परेशान था... पूछने पर बताया कि उसकी एक बुक "Our Earth" missing थी.. कुछ देर बाद मैंने उसको ढूंढकर दे दी और वो बहुत खुश हुआ, लेकिन