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RICKY Mishra
भागती हुई जिंदगी, दौड़ते हुए हम सब रेस वही हारा है जिसने मौत को समझा ही नही ... @TASVEER_LAFZON_MEIN ©RICKY Mishra भागती हुई जिंदगी, दौड़ते हुए हम सब रेस वही हारा है जिसने मौत को समझा ही नही ... @TASVEER_LAFZON_MEIN
Anwar Hussain Anu Bhagalpuri
Run for country.. आओ चलो दौड़ते हैं, दौड़कर कुछ संदेश देते हैं ! बताएं लोगों को कि हम , अब भी संग चलते हैं , आओ चलो दौड़ते हैं ..! दौड़ते हुए कुछ संदेश पढ़ते हैं , कि हम अब भी संग चलते हैं ! ना कोई खाई ,ना कोई भेदभाव है, हम युवा हैं, हम ही कल हम आज हैं ! हम ही दिशा है ,हम ही निर्देशक , हम ही हैं क्रांति ,हम ही आग है..! आओ चलो दौड़ते हैं , आओ चलो y दौड़ते हुए यही संदेश देते हैं, आओ चलो दौड़ते हैं , आओ चलो दौड़ते हैं ..! अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #RunForCountry#Anwar आओ चलो दौड़ते हैं, दौड़कर कुछ संदेश देते हैं ! बताएं लोगों को कि हम , अब भी संग चलते हैं , आओ चलो दौड़ते हैं ..!
suman mishra (immature.writer__)
.......................... नेहा के नज़र गाड़ी से उतरते हुए डायरेक्ट विला पर जाती है चारों तरफ घना अंधेरा छाया हैं उसके बीच में व्हाइट कलर के विले से निकलती हुई रंग बिर
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} जय माँ अम्बे, जय माँ जगदम्बे:- जब सती के भयंकर रूप से डर कर भागना पड़ा भगवान शिव को देवी सती दक्ष प्रजापति की पुत्री थी और भगवान शिव की पहली पत्नी। देवी सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में कूदकर अपने प्राणों का त्याग कर दिया था, ये बातें तो सभी जानते हैं लेकिन देवी पुराण में इस प्रसंग के बारे में और भी रोचक बातें बताई गई हैं। देवी पुराण के अनुसार जब सती के पिता दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें अपनी पुत्री सती और दामाद भगवान शिव को निमंत्रित नहीं किया। यज्ञ के बारे में जान कर सती बिना निमंत्रण ही पिता के यज्ञ में जाने की जिद करने लगी। तब भगवान महादेव ने सती से कहा कि- किसी भी शुभ कार्य में बिना बुलाए जाना और मृत्यु- ये दोनों ही एक समान है। मेरा अपमान करने की इच्छा से ही तुम्हारे पिता ये महायज्ञ कर रहे हैं। यदि ससुराल में अपमान होता है तो वहां जाना मृत्यु से भी बढ़कर होता है। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव की ये बात सुनकर देवी सती बोलीं- महादेव। आप वहां जाएं या नहीं। लेकिन मैं वहां अवश्य जाऊंगी। पिता के घर में महायज्ञ के महोत्सव का समाचार सुनकर कोई कन्या धैर्य रखकर अपने घर में कैसे रह सकती है। देवी सती के ऐसा कहने पर शिवजी ने कहा- मेरे रोकने पर भी तुम मेरी बात नहीं सुन रही हो। दुर्बुद्धि व्यक्ति स्वयं गलत कार्य कर दूसरे पर दोष लगाता है। अब मैंने जान लिया है कि तुम मेरे कहने में नहीं रह गई हो। अत: अपनी रूचि के अनुसार तुम कुछ भी करो, मेरी आज्ञा की प्रतीक्षा क्यों कर रही हो। जब महादेव ने यह बात कही तो सती क्षणभर के लिए सोचने लगीं कि इन शंकर ने पहले तो मुझे पत्नी रूप में प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की थी और अब ये मेरा अपमान कर रहे हैं, इसलिए अब मैं इन्हें अपना प्रभाव दिखाती हूं। यह सोचकर देवी सती ने अपना रौद्र रूप धारण कर लिया। क्रोध से फड़कते हुए ओठों वाली तथा कालाग्नि के समान नेत्रों वाली उन भगवती सती को देखकर महादेव ने अपने नेत्र बंद कर लिए। भयानक दाढ़ों से युक्त मुखवाली भगवती ने अचानक उस समय अट्टाहस किया, जिसे सुनकर महादेव भयभीत हो गए। बड़ी कठिनाई से आंखों को खोलकर उन्होंने भगवती के इस भयानक रूप को देखा। देवी भगवती के इस भयंकर रूप को देखकर भगवान शिव भय के मारे इधर-उधर भागने लगे। शिव को दौड़ते हुए देखकर देवी सती ने कहा-डरो मत-डरो मत। इस शब्द को सुनकर शिव अत्यधिक डर के मारे वहां एक क्षण भी नहीं रूके और बहुत तेजी से भागने लगे। इस प्रकार अपने स्वामी को भयभीत देख देवी भगवती अपने दस श्रेष्ठ रूप धारण कर सभी दिशाओं में स्थित हो गईं। महादेव जिस ओर भी भागते उस दिशा में वे भयंकर रूप वाली भगवती को ही देखते थे। तब भगवान शिव ने अपनी आंखें बंद कर ली और वहीं ठहर गए। जब भगवान शिव ने अपनी आंखें खोली तो उन्होंने अपने सामने भगवती काली को देखा। तब उन्होंने कहा- श्यामवर्ण वाली आप कौन हैं और मेरी प्राणप्रिया सती कहां चली गईं। तब देवी काली बोली- क्या अपने सामने स्थित मुझ सती को आप नहीं देख रहे हैं। ये जो अलग-अलग दिशाओं में स्थित हैं ये मेरे ही रूप हैं। इनके नाम काली, तारा, लोकेशी, कमला, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, षोडशी, त्रिपुरसुंदरी, बगलामुखी, धूमावती और मातंगी हैं। देवी सती के ये वचन सुनकर शिवजी बोले- मैं आपको पूर्णा तथा पराप्रकृति के रूप में जान गया हूं। अत: अज्ञानवश आपको न जानते हुए मैंने जो कुछ कहा है, उसे क्षमा करें। ऐसा कहने पर देवी सती का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने महादेव से कहा कि- यदि मेरे पिता दक्ष के यज्ञ में आपका अपमान हुआ तो मैं उस यज्ञ को पूर्ण नहीं होने दूंगी। ऐसा कहकर देवी सती अपने पिता के यज्ञ में चली गईं। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} जय माँ अम्बे, जय माँ जगदम्बे:- जब सती के भयंकर रूप से डर कर भागना पड़ा भगवान शिव को देवी सती दक्ष प्रजापति की पुत्री
Juhi Grover
रक्षाबंधन (कहानी) भाग-१ (अनुशीर्षक में पढ़ें) सुरभि मेज़ के कोने पे लगी कुर्सी पर बैठी कुछ सोच रही थी। अनायास ही उसकी आँखें गीली हो गईं। शादी के बाद से ही उसे मायके
Shivangi
"मुंह बोली बहन" अनुशीर्षक में पढ़ें 👇 इस साल का रक्षाबंधन कुछ खास है। इस बार हमारा रिश्ता बहुत मजबूत हो गया है। भाई बहन के रिश्ते की अहमियत समझ में आ रही है... मैं अनुपम मेरी को
N
प्यार की बारिश 🌷 🌧 🌷 प्यार की बारिश 🌧 बारिश का मौसम था। वर्षा की दादी की आज बरसी थी। वर्षा अपनी दादी से बहुत प्यार करती
Anuradha saxena
full read caption "मैं तुम्हारे साथ हूँ ना" यह सिर्फ कुछ शब्द ही नहीं बल्कि एक एहसास है, जो पराए को भी अपना बना देता है। ग़र कोई दर्द में हो तो बस " मैं तुम्हारे साथ हूँ ना " कह देने से दर्द कम लगने लगता है। यदि आपके भी आस- पास कोई दर्द में है, कोई हताश कोइ निराश है, तो उसका हाथ थाम के कह दो "कुछ नहीं होगा, मैं तुम्हारे साथ हूँ ना" भले ही आप उसे जिंदगी भर का साथ ना दे सको भले ही आप उसका दर्द खत्म ना कर सको, परंतु उस वक़्त उसे एक सहारा तो दे ही सकते हो ना, सांत्वना और अपनापन तो दे ही सकते हो.. _ अनुराधा सक्सेना _ #मैं_तुम्हारे_साथ_हूँ_ना बहुत दिनों से नितिन मुझसे ठीक से बात नहीं कर रहा था। जिस वजह से मैं उससे नाराज़ थी फिर उस पर गुस्सा और दिन-ब-दिन ध
Reeva
"मैं ही जानता हूँ कि मुझ पर क्या बीत रही है ll एक चुप्पी है जो भीतर ही भीतर चीख रही है ll प्रेम की दो डोर, मजबूत भी है मजबूर भी है, एक डोर बांध रही है, एक डोर खींच रही है ll न तुम इस पार आ पाए, न मैं उस पार जा सका, एक बहुत ऊंची दीवार हम दोनों के बीच रही है ll सब सच सच बोलती है इसके बाद भी, मेरी जीभ हमेशा से ही बत्तमीज़ रही है ll जिंदगी दौड़ते दौड़ते गिर रही है, गिरते गिरते दौड़ना सीख रही है ll" ©Reeva Maurya #Childhood जिंदगी दौड़ते दौड़ते गिर रही है,