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SONGWRITER DURGA KRISHNA
अंग्रेजी शासन में भारत देश में बड़े बड़े रियासतों के राजा रहा करते थे, उन्हीं में से एक थे गंगा सिंह। वैसे तो गंगा सिंह, दिल के भी बेहद खूबसूरत नेकदिल इंसान थे उन्होंने कभी सपने में भी किसी का बुरा नहीं चाहा, हमेशा अपनी प्रजा की हर जरूरत पूरी करने को आतुर रहा करते थे। उनकी एक ही रानी थी, वो भी अदूतीय सुंदर और चरित्रवान स्त्री थीं। दोनों की ईश्वर में भक्ति होने के साथ उनके विधान के अनुसार चलने की नियति भी थी। ©SONGWRITER DURGA KRISHNA रियासत
words of my poetry
Mukesh yadav "गोरखपुरी "
Piyush
Anil Ray
कà¤à¥€-कà¤à¥€ मन में ख्याल आता है हम पिंजरबद्ध पक्षी है पूर्णतः मानसिक गुलाम बिल्कुल परतंत्र...... असुर का अर्थ है जो सत्ता से सुर न मिलायें जनता सुशुप्त है मौलिक जरूरतों में व्यस्त अब अच्छे दिन के लिए स्वप्न भी नही चाहिए लोगों का ध्यान नही रहे वें भगवान को लाये। चहुंओर अशांति, अपशब्द, दयनीय आँखे मातृशक्ति के अपमान का जैसे स्वर्णकाल है पर जनशक्ति विद्रोह नही करती आजकल क्यों कि लोकतंत्र में अब जनता ही असुर है। राजा भी समय-समय पर अध्यादेश द्वारा आदेश देता भक्तों सुर में सुर मिलाते रहो। सत्य कहना अब राज्य धर्म के खिलाफ है राजखजाने पर एकाधिकार भी अब.... चोर, लुटेरों, एवं भगोड़ा का ही रहा है। यह भी सामंती जीवन का आनंद लें रहे राजा-मंत्री अपनी विलासिता में मस्त हैं लेकिन महारानी के साथ नही कोई अब सब के सब पर रानी के बांहों में बंधे है। आखिर जिंदगी भी तो इसी का नाम है। हम मूर्खो के भाग्य में यह सब सुख नही भगवान ने लिखा नही और राजा भगवान ऐसा ही हमारे धर्मग्रंथ कहते हैं खामोश! बस चुपचाप देखते और सहते रहो तुम। पाषाणयुग व्यतीत हो चुका है परन्तु... आदमी पत्थर है लहू देखकर रोता नही हँसकर विडियो बनाता है, असुर है। वह जानता है सुर में सुर मिलाते चलों.. जब जब धर्मे पर संकट-बादल गहरायेगा भगवान खुद जन्म लेंगे अधर्मी को मिटाने यह सही है तो फिर भक्त क्यों चिल्लाते हैं धर्म ख़तरे में है इस भगवान पर भरोसा नही या भगवान की परिकल्पना सिर्फ मिथ्या है। हे भगवान मेरे सुर बिगड़े पर मैं असुर नही.. क्षमाप्रार्थी! क्षमाप्रार्थी!! क्षमाप्रार्थी!!! ©Anil Ray 🍉🍉🍉⚔️🗡️मतीरे की राड़🗡️⚔️🍉🍉🍉 आजकल यह एक मुहावरा है , लेकिन आप जानकार हैरान होंगे कि राजस्थान में इस मुहावरे का खूब प्रयोग होता है, जिसका अर्
Naveen
ना मैं किसी की जंग हूँ , और ना ही किसी की रियासत ! ना मैं किसी का मोहरा हूँ , और ना ही किसी की फ़तेह ! ना मैं किसी का धर्म हूँ , और ना ही किसी की ईजाद ! क्योकि मैं तो हूँ बेखौफ़ चिल्लाता सा बर्फीली पहाड़ो की वादियों सा क्योकि मैं तो कश्मीर हू हां मैं ही कश्मीर हूँ ©Naveen Diariess ना मैं किसी की जंग हूँ , और ना ही किसी की रियासत ! ना मैं किसी का मोहरा हूँ , और ना ही किसी की फ़तेह ! ना मैं किसी का धर्म हूँ , और ना ही कि
Saheb