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Kundan Shah
Jai Prakash Verma
बेफिक्री को दोबारा से जीने की WISH (Read in caption) #oncemore #yqfilms #yqbaba #yqdidi #illusion #yqtales #yqquotes #fantasy मिहिर रोज की तरह अपने ऑफिस के काम को निपटाने के बाद जिन्दगी को गरिय
Kamal
जितना विश्वास कच्चा होता है उतना ही मजबूत अंधविश्वास होता है फर्क इंसान क्या करे भला रिश्तों की जंजीरों से बंधा जो होता है हमारे एक मित्र कहते हैं कि रोज़ आसमान से उतर कर कोई उनसे मिलने आता है, तो हमारे अन्य मित्र उसको अंधविश्वासी कहते हैं। जो उसे अंधविश्वासी कहते
Poetry with Avdhesh Kanojia
अवधेश कनौजिया #truth #politics #left #nationalist #राजनीति #life #lifequotes वामपन्थ को चरस के नशे में रहने वाले बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सह
Divyanshu Pathak
शोर मचा बिन सोचे समझे, अक्रांत हृदय करते हो। क्यों?आख़िर किसलिए? दिलों में तुम नफ़रत भरते हो। कटुता के बिरवा बो कर, सौहार्द राष्ट्र का खण्डित कर! मानवता के दुश्मन बन तुम, क्यों धर्म द्वेष से धोते हो। पिछली 70 सालों का अध्ययन किया जाए तो हम समझ सकते है कि देश को यहाँ तक पहुँचाने में किसका हाथ है। जी अधिकतर लोग कांग्रेस या नेताओं को गरियाते
Narendra Yogi
लोग कुछ तो कहेंगे चलो कुछ तो किया होगा। #yoginarendra अगर किए होंगे नए प्रयास कुछ सार्थक सामाजिक करने के, तो लाजमी है तेरे बाद कुछ चाहनेवाले होंगे। कुछ गरियाने वाले भी होंगे। दोनों
Sachin Ratnaparkhe
शिकायत किससे करें..... (कैप्शन में पढ़े....) गाने को गीत आज राही शिकायत के गीत गारा है खाना नसीब न होरा है फिर भी कुछ तो खा रा है पीने को पानी खारा है मगर फिर पीना दोबारा है कुछ समझ
Anamika Nautiyal
हद प्यार/हद पार हमारी जान से भी ज्यादा प्यारे और फोन में सोशल साइट्स के नाम पर इकलौते कुंडली जमाए हुए योरकोट( आपका कोट) नामक एप्लीकेशन जिस पर हम अपना बहुत अ
*SARVOTTAM* *CHOUDHARY*
Poetry with Avdhesh Kanojia
वामपन्थ की चरस में मदमत्त बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी, जो अपने घरों में बैठे बैठे प्रवासी मजदूरों के प्रति फेसबुक पर सहानुभूति दिखा कर व वर्तमान केंद्र सरकार को गरियाकर स्वयं को उनका हितैषी बना कर प्रस्तुत कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी मोदीजी जैसे नेता ने कुछ देशहित में कार्य करना चाहा तब बने बने काम पर उस्तरा फेरने के लिए #अर्बन_नक्सल गिरोह सक्रिय हो उठता है। वह यदि राज्य सत्ता में है तो उसने मजदूरों को राज्य छोड़ने पर विवश किया, ताकी बाद में जो समस्याएं जन्म लें उनका दोष सीधा मोदी सरकार पर मढ़ दिया जाए। शुरुआत दिल्ली व महाराष्ट्र से हुई जहाँ सत्ता में क्रमशः केजरीवाल और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं। उनमें एक वामपन्थ के उपासक व दूसरे वर्तमान में वामपन्थ के दास अर्थात कांग्रेस व एनसीपी के बंधुवा मजदूर हैं। और दूसरे वाले महाशय उद्धव व उनके भाई राज ठाकरे तो वैसे भी उत्तर भारतीयों और बिहारियों के कट्टर विरोधी रहे हैं अतः ये बंधुवा मजदूरी उद्धव जी के लिए वरदान सिद्ध हुई। एक और गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली या महाराष्ट्र से एक भी बांग्लादेशी व रोहिंग्या ने पलायन नहीं किया। कारण उनकी सेवा में दोनों राज्यों की सरकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी और बाकी प्रवासी मजदूरों को भूखे रहने की नौबत आ गई। भूख से व्याकुल होकर ही वे अपने अपने गाँव चल दिये। यदि उनके भोजनादि की व्यवस्था राज्य सरकारों द्वारा की गई होती तो कदाचित वे पलायन करने को विवश न होते। उत्तर प्रदेश जहाँ से मैं भी हूँ, बराबर वहाँ के हाल चाल लेता रहता हूँ। अभी तक सुनने में नहीं आया कि कोई भी गरीब वहाँ भूख से पीड़ित है। सबके लिए भोजन की व्यवस्था है। किन्तु अखण्ड विरोधियों को विरोध के लिये कोई न कोई मुद्दा तो चाहिए होता है, कुछ उन्हें स्वयं मिल जाते हैं और कुछ को वे षड्यंत्रबद्ध तरीके से जन्म देते हैं। हमने और हमारे मित्रों ने एक सर्वेक्षण किया और जो मजदूर महाराष्ट्र से लौट रहे थे उनसे पलायन का कारण (मेरे परम मित्र ने) पूछा तो एक ने बताया कि उनकी बस्ती में एनसीपी नेता द्वारा कहा गया था कि 20 लाख करोड़ का लाभ अपने मूल निवास अर्थात उनके पैतृक गाँव जाने पर ही मिलेगा। दूसरे प्रवासी ने बताया कि उन्हें बताया गया कि अब तुम्हे पूरे साल तुम्हारे गाँव मे ही रोजगार दिया जाएगा अतः यहाँ परिवार से दूर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है। खैर ये बातवीर लोग केवल फेसबुक पर विरोध जी बातें ही लिख सकते हैं, ज़रूरत मन्दों के लिए कुछ नहीं कर सकते। जिन जेएनयू के वामपंथी छात्रों के समर्थन में वे अपनी कलमें घिसा करते हैं, वे प्रवासी मजदूरों के लिये कुछ नहीं करते दिख रहे और जिन्हें ये संघी, भगवा आतंकी, निक्करधारी आदि कह कह गरियाते रहते हैं वे अपने जीवन को संकट में डालकर उनकी सहायता कर रहे हैं, वह भी किसी की जाति या धर्म पूछे बिना, साथ ही जब से लॉक डाउन हुआ है तब से अभी तक जो गरीब, मजदूर आदि जहाँ कहीं भी हैं, उन्हें भोजन, दवा व रहने आदि की भी व्यवस्था कर हैं। हमारे जिले सहजिला कायर्वाह श्रीमान संजय जी ने तो जब 4 मजदूरों को एक स्थान और बेघर व भूखा देखा व उन्हें अश्रु देखे तो उन्हें अपने दूसरे मकान में रहने को स्थान दिया व भोजनादि की व्यवस्था की। जय माँ भारती ✍️अवधेश कनौजिया© वामपन्थ की चरस में मदमत्त बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी