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ABRAR
सभी दोस्तों को ©ABRAR सभी दोस्तों को माह ए रमजान मुबारक #ramjan #रमजान
Vivek
ये जो नज़र है गहरी सी काजल इसका कहता है समुंदर के दिल में भी कोई नूर- ए - समुंदर रहता है...!!! ©Vivek # नूर- ए - समुंदर
# नूर- ए - समुंदर #कविता
read moreDeepak "New Fly of Life"
लक्ष्य से जो जाओ भटक!! थक जाए जो हिम्मत कभी!! तो कर लेना याद पिता के बोझ तले झुके मग़र मजबूत काँधे!! माँ की बेबस मग़र नूर भरी आँखे!! जो काफ़ी हैं तुझे फिर से झिंझोड़ने के लिए!! ©Deepak Bisht #नूर-ए-हिम्मत
Sanskruti Patel
बुर्खे मे लिपटकर रहती है ,उसकी आंखे बहोत कुछ कहेती है । करीब से देखा नही अभी तक , मगर हाँ,कुछ सहमी सहमी सी रहती है ।। बात करने का दिल तो बहोत बार हुआ , शुरुआत केसे करु ? येह सवाल हुआ । दोस्ती का ही अर्ज करके हाथ आगे बढ़ाया, थोडा डर के ही सही पलकें जुकाये अपना लिया ।। सलाम वालिकुम से शुरु खुदा हाफिज़ से बात खतम कर देती थी , वो लबो से कम आँखो से ज्यादा कहती थी ।। ईद-ए-मिलाद पे सुरत उसकी देखी थी , नजर ना लगे इसलिए काजल लगाये गुम रही थी।। इश्क़ -ए-नूर का सिलसिला शुरु हो गया था , तसरिफ़ जब से रखी थी उसने सुकू मिल गया था।। मोहरम को निकाह तैह हो गया था , खुदा ने हमारा रिश्ता क़ुबूल कर दिया था ।। # इश्क़-ए-नूर
# इश्क़-ए-नूर
read moreMurtaza Ali
तू इक़रार कर 'अली' का अधूरा क़लमा खुदा को पसंद नहीं 'अली' का नूर है खुदा का नूर इसमें कोई शक़ नहीं। ✍️✍️मुर्तज़ा #नूर ए खुदा
#नूर ए खुदा
read moreNazeer muhamad
बिगडे मुकदर बन जाते है जो तेरे दर पे आते है आहट से पहचाने जाते है जो तेरी रहिमत पाते है नूर ए इल्लही
नूर ए इल्लही
read moreAnkit Paliwal
Tum se ek shikayat hai ए हसीन तू इस जहाँ में नूर-ए-आफ़ताब है। मैं हूँ दीवाना तेरे हुश्न का, तू मेरे इश्क़ की किताब है। है रोशन जिससे तेरी ये अदाएं भी, न जाने कौन सा चिराग है। तू चाहे आज़मा जितना, तुझ पर इश्क़ मेरा बेहिसाब है। पर जाने क्यूँ दिखती नहीं, तुझे मोहब्बत बेपनाह मेरी। तेरी नज़र-ए-दिल पे पड़ा, कैसा ये हिज़ाब है। ए हसीन तू इस जहाँ में नूर-ए-आफ़ताब है। नूर-ए-आफ़ताब है। Written by - Ankit Paliwal नूर-ए-आफ़ताब
नूर-ए-आफ़ताब
read moreAnkit Paliwal
Tum se ek shikayat hai ए हसीन तू इस जहाँ में नूर-ए-आफ़ताब है। मैं हूँ दीवाना तेरे हुश्न का, तू मेरे इश्क़ की किताब है। है रोशन जिससे तेरी ये अदाएं भी, न जाने कौन सा चिराग है। तू चाहे आज़मा जितना, तुझ पर इश्क़ मेरा बेहिसाब है। पर जाने क्यूँ दिखती नहीं, तुझे मोहब्बत बेपनाह मेरी। तेरी नज़र-ए-दिल पे पड़ा, कैसा ये हिज़ाब है। ए हसीन तू इस जहाँ में नूर-ए-आफ़ताब है। नूर-ए-आफ़ताब है। Written by - Ankit Paliwal नूर-ए-आफ़ताब
नूर-ए-आफ़ताब
read moremeena
मांग लो खुदा से उसकी सलामती की दुआ की माह-ए-रमजान चल रहा है। सच्चे दिल की दुआ होगी कबूल की माह-ए-रमजान चल रहा है। महफूज रखना ए खुदा हर उस शख्स को जिसकी सलामती की दुआ उसका अपना कितनी दफा कर रहा है। कबूल कर लो मेरी दुआ की माह-ए-रमजान चल रहा है। ©meena #माह-ए-रमजान चल रहा है। #RAMADAAN