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Pooja Nishad
पायलें ज़रिया रही हैं चंचलता से लिपटी गाती हुई बहार का ! प्रेम मयी होती हुई कोई स्त्री और प्रेमी का दिल पग-पग पर सृजन करता नव- संसार का उचित होगा अगर कहूं पायलें रही हैं भव्य पथ श्रृंगार का और मेरे लिए ये बेड़ियां कभी न होंगी... -तुम्हारी प्रेयसी पायलें ज़रिया रही हैं चंचलता से लिपटी गाती हुई बहार का ! प्रेम मयी होती हुई कोई स्त्री और प्रेमी का दिल
पायलें ज़रिया रही हैं चंचलता से लिपटी गाती हुई बहार का ! प्रेम मयी होती हुई कोई स्त्री और प्रेमी का दिल
read moreपूजा निषाद
पायलें ज़रिया रही हैं चंचलता से लिपटी गाती हुई बहार का ! प्रेम मयी होती हुई कोई स्त्री और प्रेमी का दिल पग-पग पर सृजन करता नव- संसार का उचित होगा अगर कहूं पायलें रही हैं भव्य पथ श्रृंगार का और मेरे लिए ये बेड़ियां कभी न होंगी... -तुम्हारी प्रेयसी पायलें ज़रिया रही हैं चंचलता से लिपटी गाती हुई बहार का ! प्रेम मयी होती हुई कोई स्त्री और प्रेमी का दिल
पायलें ज़रिया रही हैं चंचलता से लिपटी गाती हुई बहार का ! प्रेम मयी होती हुई कोई स्त्री और प्रेमी का दिल
read moreसुसि ग़ाफ़िल
नदियाँ, नाले और पहाड़ ... पुरुष, स्त्रियाँ, नदी, नाले और पहाड़ नाले गंदे है यहां पर बाकी सब पवित्र है पुरुष पहाड़ होते हैं स्त्रियां नदी होती है | अच्छे पुरुष के स
पुरुष, स्त्रियाँ, नदी, नाले और पहाड़ नाले गंदे है यहां पर बाकी सब पवित्र है पुरुष पहाड़ होते हैं स्त्रियां नदी होती है | अच्छे पुरुष के स
read moreAjaz ul Haq Shihab
ग़ज़ल इठलाती, झूमती हुई, गाती हुई पतंग, ऊंचाइयों के ख़्वाब दिखाती हुई पतंग। कुछ उंगलियों की थाप पे करते हुए ये रक़्स, नाज़ ओ अदा से बाम पे छाती हुई पतंग, इसके तुफ़ैल लड़ते हैं नज़रों के पेच भी, यानी के दर्स ए इश्क़ पढ़ाती हुई पतंग। नुक़सान क्या हैं लड़ने झगड़ने के ज़ीस्त में, कट कर के दूर डोर से जाती हुई पतंग। मुश्किल को कैसे चीर के बढ़ना है दोस्तों, उन हौसलो का राग सुनाती हुई पतंग। करते हैं रश्क हुस्न पे जिसके तमाम शख़्स, देखी वो हूर ज़ात उड़ाती हुई पतंग। मासूम पेट के लिए इक माँ यहाँ शिहाब, बच्चों को पालती है बनाती हुई पतंग। ©️✍️एजाज़ उल हक़ "शिहाब" तमाम अहले वतन भाइयों को मकर संक्रांति की ढेरों मुबारकबाद।।। ग़ज़ल इठलाती, झूमती हुई, गाती हुई पतंग, ऊंचाइयों के ख़्वाब दिखाती हुई पतंग। कुछ उंगलियों की थाप पे करते हुए ये रक़्स, नाज़ ओ अदा से बाम पे छाती
ग़ज़ल इठलाती, झूमती हुई, गाती हुई पतंग, ऊंचाइयों के ख़्वाब दिखाती हुई पतंग। कुछ उंगलियों की थाप पे करते हुए ये रक़्स, नाज़ ओ अदा से बाम पे छाती #Shayari #rekhta #urdushayri #kitefestival #Ajazshihab
read moreNitish Sagar
सामा चकेवा मिथिलांचल का एक पर्व Read in caption सामा चकेवा मिथिलांचल क्षेत्र में प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है। जिस तरह रक्षाबंधन, भाईदूज भाई-बह
सामा चकेवा मिथिलांचल क्षेत्र में प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है। जिस तरह रक्षाबंधन, भाईदूज भाई-बह #Brother #story #Festival #nojotohindi #kalakaksh #Sisters #sama_chakeva
read moreShukla
“भावनाओं ने बताया और सिखाया, छेडो सारे मन के तार बना डालो एक तराना ऐसा, जो छुए सभी के मन को बार बार इसी तरह तुम भी गाना जो सुने तो कहे यही तो है वो श्रेया घोषाल”। shukla ~~ "भावनाएं गाती हैं"।
"भावनाएं गाती हैं"।
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