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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White *जम्हूरियत में फसादे चिंगारी नहीं चलती *अवाम में ऐसी सरकारे नहीं चलती१ सुलतान सल्तनत में *उल्फत का पैगाम दीजिए, इसमें बांटके नफरते *दरकारें नहीं चलती//२ *तास्सुब न कर,गर इक सुखनवर बेबाक कहदे के हक बात में हुजूर फटकारें नहीं चलती//३ बेबस चश्म में अश्को के बेशुमार अंबार लिए, ऐसी *आहफुगा की हुकूमत हमारे नही चलती//४ "शमा"ये तख्ते हिंदुस्तान है,इसपे किसी एकतरफा *नाअदल नवाब की दरबारे नही चलती//५ #shsmawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #ramnavmi *जम्हूरियत में फसादे चिंगारी नहीं चलती *अवाम में ऐसी सरकारे नहीं चलती१ *जनतंत्र*जनता सुलतान सल्तनत में *उल्फत का पैगाम दीजिए, इसम
Parasram Arora
अब हर छोटी मोटी बात पर बो रौता नहीं पहले जी तरह लेकिन मेरी हंसी मे भी वो कभी साथ देता नहीं उसकी फटकार मे भी मुझे प्यार दिखता है कितना डांटता भी है लेकिन मुझे कभी दर्द होता नहीं ©Parasram Arora फटकार y
N S Yadav GoldMine
श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व द्वादश अध्याय: श्लोक 1-17 :- श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना. 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं -राजन्! तदनन्तर सेवक-गण शौच-सम्बन्धी कार्य सम्पन्न कराने के लिय राजा धृतराष्ट्र-की सेवा में उपस्थित हुए। जब वे शौच कृत्य पूर्ण कर चुके, तब भगवान मधुसुदन ने फिर उनसे कहा-राजन! आपने वेदों और नाना प्रकार के शास्त्रों का अध्ययन किया है। सभी पुराणों और केवल राजधर्मों का भी श्रवण किया है। 📙 ऐसे विद्वान, परम बुद्धिमान् और बलाबल का निर्णय करने में समर्थ होकर भी अपने ही अपराध से होने वाले इस विनाश को देखकर आप ऐसा क्रोध क्यों कर रहे हैं ? भरतनन्दन! मैंने तो उसी समय आपसे यह बात कह दी थी, भीष्म, द्रोणाचार्य, विदुर और संजय ने भी आपको समझाया था। राजन्! परंतु आपने किसी की बात नहीं मानी। 📙 कुरुनन्दन! हम लोगों ने आपको बहुत रोका; परंतु आपने बल और शौर्य में पाण्डवोंको बढा-चढ़ा जानकर भी हमारा कहना नहीं माना। जिसकी बुद्धि स्थिर है, ऐसा जो राजा स्वयं दोषों को देखता और देश-काल के विभाग को समझता है, वह परम कल्याण का भागी होता है। 📙 जो हित की बात बताने पर भी हिता हित की बातको नहीं समझ पाता, वह अन्याय का आश्रय ले बड़ी भारी विपत्तिbमें पड़कर शोक करता है। भरत नन्दन! आप अपनी ओर तो देखिये। आपका बर्ताव सदा ही न्याय के विपरीत रहा है। राजन्! आप अपने मन को वश में न करके सदा दुर्योधन के अधीन रहे हैं। अपने ही अपराध से विपत्ती में पड़कर आप भीमसेन को क्यों मार डालना चाहते हैं? 📙 इसलिये क्रोधको रोकिये और अपने दुष्कर्मोंको याद कीजिये। जिस नीच दुर्योधन ने मनमें जलन रखनेके कारण पात्र्चाल राजकुमारी कृष्णाको भरी सभामें बुलाकर अपमानित किया, उसे वैरका बदला लेनेकी इच्छासे भीमसेनने मार डाला। आप अपने और दुरात्मा पुत्र दुर्योधनके उस अत्याचारपर तो दृष्टि डालिये, जब कि बिना किसी अपराधके ही आपने पाण्डवों का परित्याग कर दिया था। 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पाचनजी कहते हैं – नरेश्वर! जब इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण ने सब सच्ची-सच्ची बातें कह डालीं, तब पृथ्वी पति धृतराष्ट्र ने देवकी नन्दन श्रीकृष्ण से कहा- महाबाहु! माधव! आप जैसा कह रहे हैं, ठीक ऐसी ही बात है; परतु पुत्र का स्नेह प्रबल होता है, जिसने मुझे धैर्य से विचलित कर दिया था। 📙 श्रीकृष्ण! सौभग्य की बात है कि आपसे सुरक्षित होकर बलवान् सत्य पराक्रमी पुरुष सिंह भीमसेन मेरी दोनों भुजाओं- के बीच में नही आये। माधव! अब इस समय मैं शान्त हूँ। मेरा क्रोध उतर गया है, और चिन्ता भी दूर हो गयी है अत: मैं मध्यम पाण्डव वीर अर्जुन को देखना चाहता हूँ। समस्त राजाओं तथा अपने पुत्रों के मारे जाने पर अब मेरा प्रेम और हित चिन्तन पाण्डु के इन पुत्रों पर ही आश्रित है। 📙 तदनन्तर रोते हुए धृतराष्ट्र ने सुन्दर शरीर वाले भीमसेन, अर्जुन तथा माद्री के दोनों पुत्र नरवीर नकुल-सहदेव को अपने अगों से लगाया और उन्हें सान्तवना देकर कहा – तुम्हारा कल्याण हो। 📙 इस प्रकार श्रीमहाभारत स्त्रीपर्व के अन्तर्गत जल प्रदानिक पर्व में धृतराष्ट्र का क्रोध छोड़कर पाण्डवों को हृदयसे लगाना नामक तेरहवॉं अध्याय पूरा हुआ। N S Yadav .... ©N S Yadav GoldMine #gururavidas श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝
Rakesh frnds4ever
बात बात पे अपनी ही बात कहता है,, मेरे अंदर बातों का समंदर बहता है,,, बातें कुछ अनकही सी मन में उथल पुथल करने वाले द्वंद युद्ध सी बातें कुछ अनबुझी सी समस्याओं के बिना समाधान और पहेलियों के मायाजाल सी बातें कुछ अनसुनी सी दुत्कार फटकार लगाती बेगाने से व्यवहार सी बातें कुछ बचकानी सी बातो के मतलब से दूर भागती सी बातें कुछ बेमानी सी दूसरो की भली करने पर,,बदले मे मिली नफरतऔर ग्लानि सी बातें कुछ रूहानी सी मन व आत्मा के साथ नैतिक सामंजस्य स्थापित करने वाली सी बातें कुछ मनचली सी जूठे सुख की चाह में लोगों से बच्चों की तरह बहकने वाली सी ,,,,,,,,,....... ©Rakesh frnds4ever #बातें बात बात पे अपनी ही बात कहता है,, मेरे अंदर बातों का समंदर बहता है,,, #बातें_अनकही सी मन में उथल पुथल करने वाले #द्वंद्व युद्ध
Mamta Singh
सारा कुसूर तुम्हारा क्यूं की औरत का जन्म तुम्हारा.. कहानी -तीसरा भाग अनुशीर्षक में पढ़े ©Mamta Singh दो चार लोगों ने जल्दी से विसुनदेव महतो को फगुनी से अलग किया और उसे जम कर फटकार लगाई। पंचायत में से एक बुजुर्ग ने विसुनदेव पर ताना कसते हुए क
||स्वयं लेखन||
एक पिता जो अपने बच्चों की खुशी के लिए अपनी खुशी को भूल जाता है, एक पिता जो अपने बच्चों की परेशानी को अपने ऊपर ले लेता है, एक पिता जो अंदर से कोमल है मगर ऊपर से कठोर बनकर अपने बच्चों को नियम सिखाता है, कभी डांट से, कभी फटकार से, तो कभी प्यार से सही और गलत का फ़र्क समझाता है। ©Gunjan Rajput एक पिता जो अपने बच्चों की खुशी के लिए अपनी खुशी को भूल जाता है, एक पिता जो अपने बच्चों की परेशानी को अपने ऊपर ले लेता है, एक पिता जो अंदर
Ravendra
Anita Saini
मस्तक पर स्नेह का सागर उड़ेल सुलाती है कभी मारती है तो कभी पुचकारती है माँ! कभी अंग लगाती कभी फटकारती है कभी डाँटती है प्रेम से है कभी दुलारती है माँ! यदाकदा ग्रहण कह देती क्रोध में और कभी सौ तरह से नज़र उतारती है माँ ख़ुद फटा पहन कर भी ख़ुश रहती है किन्तु मुझे राजकुमारी सा सजाती है माँ! ख़ुद काँटों में जीवन बिता लेती है मगर, मेरा पथ आँचल से बुहारती है माँ! क्या कहूँ और मैं मेरी माँ के लिए...निःशब्द हूँ वो सर्वस्व निछावर कर चुकी है मुझपे सब सुख त्याग कर जीवन सँवारती है माँ! ♥️ मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ! 😊🥰❤️ ©Anita Saini #MothersDay #कविता #ज़िन्दगी #विचार #माँ #बात #मैं #हम #शायरी #समाज मस्तक पर स्नेह का सागर उड़ेल सुलाती है कभी मारती है तो कभी पुचकारती है मा