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Sangeeta Patidar
उजली सुबह के बाद अँधेरी रात गई, जीतने के बाद, हराने वाली मात गई। सूखे फूल पे कब मधुबन शोर मचाता, न रहें दुखी, जो बीत गई सो बात गई। आँधियों के बाद पंछी बुनेंगे घौंसला, टूटने के बाद, हम भी रखेंगे हौसला। ज़िन्दगी में कुछ भी नहीं अजर-अमर, जन्म में थी जो वो मौत के साथ गई। सब देके भी नहीं ख़रीद सकते ख़ुशी, बाँटकर दर्द किसी को दे सकते हँसी। पाने से ज़्यादा सुख, देने का होता है, ज़मी पे आसमानी बूँदों की ज़ात गई। ज़िन्दगी अपनी जैसे चाहो वैसे जियो, अपने पल उसमें जैसे चाहे वैसे सियो। मन की आँखें पहचाने अच्छाई-बुराई, सीख के सुधरने के बाद हर धात गई। ज़ात- Personality धात- लत, आदत Rest Zone 'काव्य सृजन' #restzone #rztask346 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #feelings #
Sangeeta Patidar
किसी अनजान आशीर्वाद में डूबकर मिलती है राहत बड़ी, बाँध देती तुम्हारा-मेरा मन, प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी। सबकी सलामती के लिए बाँधे तुमने मन्नतों के कितने धागे, बदले में कुछ माँगा नहीं कभी, बढ़ते गये चाहे कितने आगे। जीवन की छोटी-छोटी ख़ुशी में ढूँढ़ी सदा ही बड़ी ख़ुशियाँ, भूलकर अपनी चोट संभाली हैं रिश्तों की उखड़ी कलियाँ। सुबह की उजली किरणों में पाई हमेशा उम्मीद की रौशनी, घोल दी प्रसाद में जैसे सबके सुख के कामना की चाशनी। अनदेखी, अनजानी दुआओं की ख़ुशबू यहाँ तक आती है, गिरने के बाद उठकर चलने को अपना हाथ थमा जाती है। Rest Zone 'काव्य-सृजन' किसी अनजान आशीर्वाद में डूबकर मिलती है राहत बड़ी... -धर्मवीर भारती #restzone #rztask206 #rzलेखकसमूह #sangeetapat
Sangeeta Patidar
दोस्ती से तजरबा ये हो गया दुश्मनों से प्यार करना चाहिए, बहुत लुटा के देख लिया दिल, अब जला के देखना चाहिए। दोनों लेते हैं जाँ, मगर ख़ुश कोई भी होता नहीं है आजकल, मरना छोड़ अदाओं पे, अब उनके दर पे जा मरना चाहिए। कोई इम्तिहान नहीं आख़िरी, हर कोशिश में निकलेगी कमी, छोड़कर उनकी परवाह, अब लापरवाही का सोचना चाहिए। बाँट ख़ुशियाँ, लेके दर्द, कर ली उनकी कितनी भीड़ इकठ्ठी, ज़माने के आगे कुछ ज़ख़्म अपने भी अब ढाँकना चाहिए। लगता है मज़ाक, कितना मनाए एक बात का मातम 'धुन', बेहिसाब कर ली बकर-चकर, अब ख़ामोश रहना चाहिए। Rest Zone 'काव्य सृजन' दोस्ती से तजरबा ये हो गया, दुश्मनों से प्यार करना चाहिए। -अंजुम रहबर #restzone #rztask213 #rzलेखकसमूह #sangeeta
Sangeeta Patidar
ज़रूरी सी हो गई है अब शोर मचाती शब्दों की धूप, कहीं से तो मिले अब मन के अँधेरे को रौशनी-भूप। मंज़िल के लिए काफ़ी नहीं ख़ामोशी ओढ़े ख़यालात, कुछ पाने के ख़ातिर कोशिश का बदलना होगा रूप। ज़िंदगी के बाकी कितने पल, है सब इससे अनजान, दिन-ब-दिन गहराता अँधियारा, जैसे कोई अंध-कूप। रिश्ते और दुनियादारी की ख़ातिर बदले कितने चोले, समझ वक़्त की चाल, बंद करनी होगी यह दौड़-धूप। सीख देने से पहले ख़ुद भी तो कुछ सीख जाएँ 'धुन', हर रूप और मन में वही है बसा, जो स्वयं है निरूप। Rest Zone 'काव्य सृजन' "ज़रूरी सी हो गई है अब शोर मचाती शब्दों की धूप" -कमलेश यादव #restzone #rztask304 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsa
Sangeeta Patidar
लोगों की भीड़ में पल-² अकेले थे, टूटे ख़्वाब, साथ ज़ख़्मों के मेले थे। हर कोई दुनियादारी में यूँ मस्त था, कि हम-दर्द पाकर भी दर्द झेले थे। ख़ुदकुशी क्या ग़मों का हल बनती, मौत के अपने भी तो सौ झमेले थे। थाम के हाथ छोड़ना रीत है दोस्तों, दहले से आगे सदा उनके नहले थे। बुरे वक़्त में ख़ास भी आम है 'धुन', निशाँ वही मिटाते संग जो टहले थे। Rest Zone 'काव्य सृजन' "ख़ुदकुशी क्या ग़मों का हल बनती, मौत के अपने भी सौ झमेले थे।" -जावेद अख्तर #restzone #rztask381 #rzलेखकसमूह #sang
Sangeeta Patidar
अपने हालात का मुझे ज़िम्मेदार कर दिया, तुमने बेवजह रिश्तों को सरकार कर दिया। तुम ही तुम हो मेरे इन किस्से-कहानियों में, तुमने मुझे कैसे अदना किरदार कर दिया। तुम्हारी ख़ुशियों की ही माँगी दुआएँ हमेशा, तुमने सरेआम दे इल्ज़ाम बेज़ार कर दिया। रुक-रुक कर लोग भी देख रहे मेरी तरफ़, तुमने ज़रा सी बात को अख़बार कर दिया। कभी तो देखो 'धुन' दिल की क़ाबिलियत, तुमने तो ज़ख़्मों से और सिंगार कर दिया। Rest Zone 'काव्य सृजन' रुक-रुक के लोग देख रहे मेरी तरफ़, तुमने ज़रा सी बात को अख़बार कर दिया। -राहत इंदौरी #restzone #rztask116 #rzलेखकस
Sangeeta Patidar
शर्तों से रिश्ते निभाकर, क्या मेरे बिना रह पाओगे? रह लोगे मुझसे तो दूर, यादों से दूर कहाँ जाओगे? सारे रंग तुम अपने रखना आँख का रंग तो मेरा हो, डूब के खो जाऊँ तुममें, एहसास ज़रा तो गहरा हो। अपने से अजनबी बनने में आजकल लगती ना देर, कैसे रहते एक-दूजे बिन जिनकी होती थी न सवेर। छोड़ देना तन्हा मगर कुछ हिस्सा लेकर जाना साथ, इन्हीं से पाना सुकून, अगर कोई ना थामे जो हाथ। काश! आसान होता बातों से ही दिल को बहलाना, होता न ग़म, पड़ता न फिर ऐसे ख़ुद को झुठलाना। Rest Zone 'काव्य सृजन' सारे रंग तुम अपने रखना, आँख का रंग तो मेरा हो। - गुलज़ार #restzone #rztask152 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsa
Sangeeta Patidar
शब्दों के बाण चल पड़े, दुश्मन का सीना छोल दे। हौसले का उड़ के रंग, हरेक मन में उम्मीद घोल दे। विश्वास की डोर थाम, कर लें नाम सारा आसमान, कर हिसाब बराबर, फिर ख़ुशियाँ दामन में तोल दे। हार-जीत का फ़ैसला कर लेंगी अपनी ये कोशिशें, अँधेरों में ढूँढ़कर उजाला बढ़ने का रास्ता खोल दे। उँगली उठाने के सिवा... ये लोग-ज़माने कहीं दिखते नहीं, रोकने को हैं उनके चोंचले, ये सच ख़ुद से बोल दे। "शब्दों के बाण चल पड़े, दुश्मन का सीना छोल दे।" -नीरज गौतम Rest Zone 'काव्य सृजन' #restzone #rztask89 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaa
Sangeeta Patidar
काश! कभी हमें भी मिलता हमारे ख़तों का जवाब, मुँह फुला खड़े ना होते सवाल, होता जो पूरा ख़्वाब। आँसुओं में बूड़-बूड़, साँसों में उड़-उड़ कर लिखते हैं, दिल भी खिलखिलाता, अगर कोई समझता नायाब। क्या उन्हें भाते नहीं अल्फ़ाज़ और उसमें छुपा प्यार? दोगुना-चौगुना हो जाता, कहता कोई जब लाजवाब। चाँद-सितारे नहीं चाहिए, साथ कुछ लम्हे भी काफ़ी, छोड़ के ज़माना बातें करते, खोल दिल की किताब। किसी की फ़िक्र किए बिना दो लफ़्ज़ ही लिखे 'धुन', ख़ुशी-ख़ुशी बैठे-बिठाए दे देते जाने कितने ख़िताब। Rest Zone 'काव्य सृजन' आँसुओं में बूड़-बूड़, साँसों में उड़-उड़ कर लिखते हैं... -त्रिलोचन #restzone #rztask227 #rzलेखकसमूह #sangeetapati