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MohiTRocK F44
रुसबाई से वो थोड़ा थोड़ा डरती हैं चाहत का दम फिर भी लेकिन भरती है मैं उस नागिन को मोका नही देता माना फिर भी वो मुझे डसने की कोशिश करती हैं ©MohiTRocK F44 रुसबाई से वो थोड़ा थोड़ा डरती हैं चाहत का दम फिर भी लेकिन भरती है मैं उस नागिन को मोका नही देता माना फिर भी वो मुझे डसने की कोशिश करती ह
Shivkumar
बैल पर सवार होकर , माँ शैलपुत्री आ गई l शिव शंकर की प्यारी भवानी , दिल पर देखो वो छा गई ll घी का सुंदर दीप जलाएँ , नारियल का भोग हम सब लगाएँ l श्रद्धा भाव से शीश झुकाकर, माँ के सुंदर भजन को चलो गाएँ ll मनोकामना को पूरी करती , ख़ुशियों से झोली को है भरती l आशाएँ ये पूर्ण करती , ये रिद्धि- सिद्धी कि परवान है करती l भाग्य सबका ये सँवारती , भक्ति की राह पे हमें चलाती l ठिकाना हमको दर पर देती, विनती न किसी की वो ठुकराती ll जय-जय माँ शैलपुत्री , तू नारायणी तू कल्याणी l नवरात्रि का शुभारंभ करती , तू महारानी इस जग की है ll ©Shivkumar #navratri #नवरात्रि #navratri2024 #navratri2025 बैल पर सवार होकर , माँ #शैलपुत्री आ गई l
Poet Maddy
तुम्हें नज़र भर कर देखने के बावजूद, कमबख़्त हमारी नज़र भरती क्यों नहीं........... सोचते हैं कि तुम्हें याद न करें हम अब, न जाने हमारी याददाश्त मरती क्यों नहीं......... ©Poet Maddy तुम्हें नज़र भर कर देखने के बावजूद, कमबख़्त हमारी नज़र भरती क्यों नहीं........... #Look#Damn#Think#Remember#Memory#Die...........
Shivkumar
// दिल की बात कविता से // मेरे अधरों पर वो बारिश की एक बूँद टपकती है दिलों में तेरी यादों का सिलसिला यु मचलती है ।। तेरी वो धड़कनों की आवाज तो मेरे इन जज्बातों में संवरती है मेरी इन निगाहों में एक तस्वीर खामोश सी उभरती है ।। लम्हों की वो पुरानी बातें तो निःशब्द सिंदूरी शाम में अंजाने सफर की चाहत, वादों से लवरेज रातें ।। निश्चल प्रेम की सौगातें ,एक दूजे की आहट में गुलशन की घनी छाया, ये मुलाकातें तो अभी अधूरे ही रहे ।। फरहाद एक कसक सी भरी ,मन में एक आह सी भरती है तन में वो एहसास कंपित सा मेरा रोम-रोम पुलकित हुआ तेरे इंतजार की बातें को भूल कर , मेरे जीवन में एक ख्वाहिश सा गिरिराज के सावन में एक अमर- प्रेम की दास्तान सा ।। ©Shivkumar #raindrops #rain #raindrops #Nojoto // दिल की बात #कविता से //
love is worlds
Harishchandra King
मां भरती झोली खाली! मां अम्बे वैष्णो वाली! मां संकट हरने वाली! मां विपदा मिटाने वाली! मां के सभी भक्तों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ©Harishchandra King #navratri मां भरती झोली खाली! मां अम्बे वैष्णो वाली! मां संकट हरने वाली! मां विपदा मिटाने वाली! मां के सभी भक्तों को नवरात्रि की हार्दिक
Anjali Singhal
R K YADAV
तुम्हारा नाम लेता हूं तो सांसे आहें भरती हैं, सुबह_ शाम लेता हूं तो सांसे आहें भरती हैं। कहती है मेरी आंखे, तेरा दीदार हो हर पल, मै बाते यार करता हूं तो सांसे आहें भरती हैं। दिल की मेरी ये धड़कन धड़कती है तेरे दम से, हदें अगर पार करता हूं तो सांसे आहें भरती हैं। बला की खूबसूरत हो,खुदा ने है नवाजा हुस्न, ये चर्चा आम करता हूं तो सांसे आहें भरती हैं। कभी दरिया और सागर का मिलन हो ये बेहतर, मै कश्ती पार करता हूं तो सांसे आहें भरती हैं। R K YADAV ©R K YADAV सांसे आहें भरती हैं
Nisheeth pandey
तन्हाईयो से जुदा वो अब, गैर को अपना बना मचलती है ... मेरी यादों को किसी और के बाहों में भरकर सोती है.. अब तन्हां वो नहीं इस बात पर मचलती है... वो अब मुझसे नींद में मिलती हैं मगर अपने होठों पर किसी और का निशानी ले कर .... खुली आँखों से तन्हां मिलती नहीं अब , वो हर बात पर मचलती फिरती है अब... उसकी खामोशी ने कर दी, हम दोनो में पैदा दूरीयाँ... .. उसकी कसम ने रोक दी मेरे कदम दीवारें खड़ी की कैसी जो तोड़ न सके मेरे कदम उसके प्यार बिना कर्वी जिन्दगी बना ली हमने प्यार का सफर टूटा फूटा कर ली हमेंने.... इश्क का रेला है कैसा उबर पाए हम नहीं तन्हा अब वो नहीं मेरी नींद में भी मेरी नहीं...... एक एक पल क्या ख़ूब मचलती है गैरों को अपना कह क्या ख़ूब इतराती है मगर... फिक्र रहा नहीं अब उसे मेरा सुना है गैर के घर हो अपना कह नाचती फिरती है प्यार इश्क कसमें वादें इरादें सपनें सब मेरे गैर की अब अमानतें एक दूसरे को अपना बनाना जाने वो भी नहीं मैं भी नहीं... अब गैर की बाहों को अपना कह भरती हमारी आहें हमारी तन्हाई के आंसू खुशियों के बीच चुपके से कभी तो टपकते होंगे ....... तन्हाईयो से जुदा वो अब, गैर को अपना बना मचलती है ... मेरी यादों को किसी और के बाहों में भरकर सोती है.. #निशीथ ©Nisheeth pandey तन्हाईयो से जुदा वो अब, गैर को अपना बना मचलती है ... मेरी यादों को किसी और के बाहों में भरकर सोती है.. अब तन्हां वो नहीं इस बात पर मचलती
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा कुण्ड़लिया विषय शृंगार भरती रहती माँग में , गोरी है सिंदूर । फिर करती है कामना , दमके मेरा नूर ।। दमके मेरा नूर , प्रीत में पिय की हरदम । जो उनसे हो दूर, सुनो हो जाए दिन कम ।। उनकी यह मुस्कान , देख कर मैं हूँ मरती । खनके कंगन हाथ , बाँह जो उनको भरती ।। २१/०७/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा कुण्ड़लिया विषय शृंगार भरती रहती माँग में , गोरी है सिंदूर । फिर करती है कामना , दमके मेरा नूर ।। दमके मेरा नूर , प्रीत में पिय की ह