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Samundra Singh
स्वतंत्र वही हों सकता है जो अपना काम खुद कर लेता हो ©Samundra Singh ?*(#४५८_+३(७३-)~∆®•}``×%$✓÷¶×|`^^×€{√{^ππ¶$^}°$
Rakesh Barupal
जिंदगी में कुछ हादसे ऐसे होता है इंसान जीदा तो रहता है लेकिन अंदर से मर जाता है ©Rakesh Barupal वी #Nofear
vimlesh Gautam https://youtube.com/@jindgikafasana6684
जब दो लोग अपने गंतव्य से पहले ही मिल जायें और उनकी समस्याएं एक दूसरे की मदद की जरूरत बन जायें तो क्यों न हम भी उन में से एक मददगार बन जायें। चलो हम भी जब भी मैट बन जायें। ©Vimlesh Gautam #जब वी मैट
RV Chittrangad Mishra
अपने शब्द को सीधे रूह तक पहुँचाने का दम रखता हूँ मैं वो लेखक हूँ जो सीधे दिल में कदम रखता हूँ आर वी चित्रांगद
आर वी चित्रांगद
read moreAnjan Rabha
Is Bhagdad Bhaari Jindagi Me Kiske Pass Samay Hai Jo Pariwar Ke Sath Dopal Ki Jindagi Bitai ©Anjan Rabha वी जी लाइव
वी जी लाइव #विचार
read moreVickram
यूं ही गाता रहा में हमेशा तुम्हारे लिए। और गुजरते वक्त का मुझे पता ना रहा। ये ही चलता रहा हमेशा से ही। तुम सुनति रही में सुनाता रहा। समुन्दर का प्यारा किनारा था वो। हर एक स्याम वो गाना बजाना रहा हर बात पे तेरी जिद्व करना मुझे अक्सर से ही हमको गवारा रहा। ©Vickram जब वी मेट#####
RV Chittrangad Mishra
किसी के प्यार में पड़कर भुलाऊं ये जहां कैसे मेरी माँ से भी बेहतर इस जहां में कौन है कैसे मुझे ना चाह उनकी है सदा जो स्वार्थ पर जीते पला हूँ जिन हवाओं में भुला दूं मैं भला कैसे आर वी चित्रांगद
आर वी चित्रांगद
read moreKishore Nallanchakravartula
एक घटना ये तब की बात है जब मैं दिल्ली में कार्यरत था। अपनी घरवाली और बच्चे को ससुराल से लेकर आ रहा था। हम दिल्ली सेंट्रल स्टेशन पहुंचने वाले थे। मेरी पत्नी फ्रेश होने बाथरूम गई थी और अचानक मेरा छोटा सा हीरो मेरे करीब आया और उसने पूछा "केला खाओगे"। मैने कहा "अभी नहीं बेटा घर जाने के बाद खाऊंगा"! वो चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगा । थोड़ी देर के बाद वो फिर मेरे करीब आया और बोला "केला खाओगे"। मैने कहा नहीं बेटा अभी नहीं घर जाके खाऊंगा। इस तरह तीन चार बार उसने यही सवाल किया और मैंने भी वही जवाब दिया। अंत में उसने दो उंगलियां अपने मुंह की तरफ दिखाई और बोला "केला खाओगे"। और मेरी समझ में आया कि केला उसको खाना था। भूख लगी थी और उसे केला खाओगे ही बोलना आता था। ©Kishore Nallanchakravartula ,#घटना
Parasram Arora
काम का अर्थ है कामना डिज़ायर इच्छा ज़ब भी हम कोई कामना करते है तो हमेँ बाहर की तरफ बहना पड़ता है क्योंकि इच्छा कही बाहर तृप्ति की अभीप्सा बन जाती है कुछ पाने कों है बाहर तो हमेँ बाहर की तरफ बहना पड़ता है हम सब बाहर बहते हुए लोग है हम सब कामनाये है "वी आर डिजायर " ©Parasram Arora वी आर डिजायर.....
वी आर डिजायर..... #कविता
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