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Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 हमारी संतानें बुध्दिमान , साहसी , बने । इसके लिए स्त्रियों का जीवन विलासिता की सामग्री से नहीं " गुण " और कष्ट " की सहिष्णुता से ओतप्रोत होना चाहिए !.i. j ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 हमारी संतानें बुध्दिमान , साहसी , बने । इसके लिए स्त्रियों का जीवन विलासिता की सामग्री से नहीं " गुण " और कष्ट " की सहिष्णुता
MANJEET SINGH THAKRAL
जहां आज के नेता विलासिता में लगे रहते हों और राष्ट्र को अपनी बपौती समझकर उसका दोहन करने में लगे हो ऐसे समय मे बरबस ही देश के सादगी और सुचिता
Anil Kumar
एसबीआई क्रेडिट कार्ड के साथ प्रीमियम लाभ और विलासिता का आनंद लें: ✔️प्रत्येक खरीदारी पर पुरस्कार अंक अर्जित करें ✔️खरीदारी, भोजन, यात्रा और अन्य श्रेणियों पर आकर्षक छूट ✔️बड़े खर्च के लिए ईएमआई में भुगतान करें ✔️भारत भर में किसी भी एटीएम से नकद निकासी ✔️ऑनलाइन कैटलॉग के बदले रिवार्ड पॉइंट्स रिडीम करें और अधिक खरीदारी करें ✔️अपने परिवार के सदस्यों के लिए ऐड-ऑन कार्ड प्राप्त करें अपना क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने के लिए अभी आवेदन करें: https://leads.banksathi.com/?h=WkpxSzgxZGVlcmI4R2lOdmticFRxZz09 ©Anil Kumar एसबीआई क्रेडिट कार्ड के साथ प्रीमियम लाभ और विलासिता का आनंद लें: ✔️प्रत्येक खरीदारी पर पुरस्कार अंक अर्जित करें ✔️खरीदारी, भोजन, यात्रा
Sanket Bharti
विरक्ति का है भाव, पर न व्यक्ति मैं विशेष हूं । साधता हूँ , स्वयं को मैं , क्योकि स्वयं का मैं निवेश हूँ,. ॥ कर से करके कर्म को, बढ़ रहा हूँ पथ पर मैं । विलासिता से दूर खड़ा हूँ, इस विजय रथ पर मै ॥ सशक्त रख सोच अपनी, मैं इस विश्व में रहता हूँ | बहाव से विमुख होकर, स्वतरंगो में बहता हूँ ॥ श्रेष्ठ हो चुका हूँ मै , उन्नति विनाश से | तम हृदय का दूर किया, चिंतन के प्रकाश से ॥ लेकर भीख लोगों की , न बनता कोई महान है । मृत है वो व्यक्ति , जिसका खोया स्वभिमान है ॥ आघात स्वभिमान पर, मैं तनिक न सहता हूँ । बहाव से विमुख होकर, स्वतरंगो में बहता हूँ ॥ © संकेत भारती विरक्ति का है भाव, पर न व्यक्ति मैं विशेष हूं । साधता हूँ , स्वयं को मैं , क्योकि स्वयं का मैं निवेश हूँ,. ॥ कर से करके कर्म को, बढ़ रहा
Umesh Rathore
परिवर्तन की ओर जीवन शैली (अनुशीर्षक 👇) Please give your precious comments and suggestions आवश्यकताओं से लेकर विलासिता में लिपटी जीवन शैली यथार्थ ही परिवर्तन प्रकृतिक संसाधनों का नियम रहा है इसमें मनुष्य की संस्कृति व जीवनशैली आधार
R.S. Meena
कदर पंचतत्वों से निर्मित प्राणी, भांति-भांति की बोले बोली। जहाँ मिले उसे छाँव स्नेह की, भर जाएं खुशियों से झोली।। कदर नहीं की जिन तत्वों की, दूर उन्हीं से होता जाएं, वायु को खुद दुषित करके, कृत्रिम हवा में सोता पाएं। अग्नि से जब मिले है शक्ति, लेने कभी बाहर ना आता, अनदेखी करके तत्वों की, व्याधियों को पास बुलाता। प्रकृति से तोड़ते नाता, सुबह-शाम खाते जाएं गोली। पंचतत्वों से निर्मित प्राणी, भांति-भांति की बोले बोली। जहाँ मिले उसे छाँव स्नेह की, भर जाएं खुशियों से झोली।। पला-बढ़ा जिस मिट्टी में और शिक्षा उसी धरा पर पाई, छोड़ उसे फिर चला है उड़ने, नभ तक अपनी पहुँच बनाई। आकाश जीतने की हसरत में, पंछियों की बलि चढ़ाई, विलासिता के क्षण पाने को, व्योम-धरा की बोली लगाई। आकाश कभी ना मिला धरा से, तहकीकात को आई टोली। पंचतत्वों से निर्मित प्राणी, भांति-भांति की बोले बोली। जहाँ मिले उसे छाँव स्नेह की, भर जाएं खुशियों से झोली।। जल,जीवन का नारा देकर, पानी व्यर्थ कभी ना बहाएं। इसके बिना नहीं है जीवन, कदर बिना ना लौट के आएं।। #rsmalwar #yqdidi #yqbaba #yqquotes #कदर **** कदर **** पंचतत्वों से निर्मित प्राणी, भांति-भांति की बोले बोली। जहाँ मिले
R.S. Meena
शत्रु इंसान का शत्रु ओर कोई नहीं होता, खुद इंसान होता है। दिखावे की राह पर चलके, खुद का ही सम्मान खोता है।। कुदरत ने जो बनाई, सबसे सुन्दर रचना इंसान के रूप में, अपनो की ही सांसे बंद कर रहे है वो हैवान के रूप में। बनता है पेड़ उसी का, जिसका बीज, इंसान बोता है। इंसान का शत्रु ओर कोई नहीं.............. जमीन और आसमान के बीच समायी हुई है सारी दुनिया, सागर से मिलने को बेचैन रहती है छोटी-बड़ी सब नदिया। जल स्रोतो को दुषित होने से रोकने वाला ही महान होता है। इंसान का शत्रु ओर कोई नहीं.............. जीवों में सबसे बुद्धिमान, प्रकृति ने बना़या है इंसान को, जानवर भी है लजाते, देख इंसानो की तुच्छ मचान को । हृदय से हृदय ना मिले जहाँ, वो घर नहीं, मकान होता है। इंसान का शत्रु ओर कोई नहीं.............. गर्व और घमण्ड में अंतर ना कर पाएँ, कुछ अज्ञानी लोग, बात-बात पर विलासिता का राग सुनाते, वो अहंकारी लोग। भावों से भाव जुड़ने से ही, खुशियाें भरा जहान होता है। इंसान का शत्रु ओर कोई नहीं.............. आओ बनाएँ इक ऐसा जहाँ, वहाँ ना हो घृणा का साया, मन रहे काबु में, भ्रमित ना कर पाएँ, इंसान को मोह-माया। मानवता बनी रहे जग में, हर दिल का यहीं अरमान होता है। इंसान का शत्रु ओर कोई नहीं.............. शत्रु इंसान का शत्रु ओर कोई नहीं होता, खुद इंसान होता है। दिखावे की राह पर चलके, खुद का ही सम्मान खोता है।। कुदरत ने जो बनाई, सबसे सुन्दर र
Insprational Qoute
.... विषय:-#जिंदगी क्या है????? ********************** कीजिये प्रत्यास्मरण उस बालक का जिसने त्यागे जीवन के मोह, अल्पायु में निकले जानने जिंदगी क
gudiya
मनु कह रहे हैं कि जल प्रलय के पूर्व दिन-रात आँधियों और बिजलियों का भयंकर नृत्य होता रहा परंतु देवतागण भोग-विलास में ही लीन रहे। जब वे सचेत न हुए तब प्रकृति ने अपना भीषणतम रूप धारण कर उन्हें सर्वथा नष्ट कर दिया। जिस देव जाति को अपनी तक इस बात का अहंकार था कि उसका विनाश कोई भी नहीं कर सकता वही अब इस जल प्रलय के कारण नष्ट हो गई। जिस प्रकार घोर अंधकार में रखा हुआ मणि का एक दीपक केवल अपने आसपास ही थोड़ा सा प्रकाश कर पाता है और अपने चारों और व्याप्त तिमिर-राशि को सर्वथा नष्ट कर देने की शक्ति उसमें नहीं रहती उसी प्रकार आज वह स्वयं भी अपने भविष्य के विषय में कुछ भी सोचने-विचारने में असमर्थ हैआज तक जिन देवताओं का जयघोष चारों ओर गूँजा करता था, अब देव जाति का पतन हो जाने पर वे ही जय-ध्वनियाँ दीनता और दुःखपूर्ण स्वरों में प्रतिध्वनित हो रही है। मनु कह रहे हैं कि अंत में प्रकृति की ही विजय हुई और घमंड में फूले देवताओं को पराजय स्वीकार करनी पड़ी देवता यह भूल गए थे कि विलासिता की अधिकता से उनका नाश हो जाएगा। अज्ञानतावश वे हमेशा भोग-विलास की नदी में ही डूबे रहे। मनु का कहना है कि न केवल वे सभी देवगण जो कि हमेशा भोग-विलास में ही लीन रहते थे, सब डूब गए जल-प्लावन के कारण जो उमड़ता हुआ समुद्र ऐसा प्रतीत होता है मानो देवताओं का वैभव ही पानी बनकर इस अगाध सागर के रूप में चारों ओर फैला हुआ है और वह उनके समस्त सुखों को अपने में लीन कर दुःख को ध्वनित कर रहा है। -= - "कामायानी" चिंता सर्ग ©gudiya #Travel मनु कह रहे हैं कि जल प्रलय के पूर्व दिन-रात आँधियों और बिजलियों का भयंकर नृत्य होता रहा परंतु देवतागण भोग-विलास में ही लीन रहे। जब
नेहा उदय भान गुप्ता
उदय दुलारी नेह कर प्रणाम इन्हें, बतायेगी इनकी सारी गाथा अपनी जुबानी। इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल में जन्म हुआ, था वो नेपाल ग्राम लुम्बिनी।। शेष अनुशीर्षक में पढ़े..👇🙏 उदय दुलारी नेह कर प्रणाम इन्हें, बतायेगी इनकी सारी गाथा अपनी जुबानी। इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल में जन्म हुआ, था वो नेपाल ग्राम लुम्