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yogesh atmaram ambawale
जमतंय का बघा, हरित वृक्ष बनून राहणे, सर्वांना मायेची छाया देने. जमतंय का बघा, माणुसकीचा वृक्ष बनून राहणे, प्रत्येकास मदतीचा हात देने. सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों आजचा विषय आहे जमतंय का बघा... #जमतंयका चला तर मग लिहुया. #collab #yqtaai तुमचे विषय कमेंट करा.
yogesh atmaram ambawale
जमतंय का बघा,असं बोलणं बस्स झालं, आता जमवूनच घ्या, कोरोना संकट वाढत चाललंय घरातच राहा. कर्तव्य आहे आपले शासनास मदत करणे, इतके करून तर पाहा, जमतंय का बघा नाही आता जमवूनच घ्या. नक्कीच हारणार कोरोना,जीत आपली होणार, नियम पाळून तर पाहा, घरातच राहा सुरक्षित राहा, जिंकण्या कोरोना लढाई इतकं करून तर पाहा. सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों आजचा विषय आहे जमतंय का बघा... #जमतंयका चला तर मग लिहुया. #collab #yqtaai तुमचे विषय कमेंट करा.
yogesh atmaram ambawale
तुझं माझं जमतंय पाहून लोकांच जळतंय, काही कारण नसता उगाच आडवं येतंय. सुप्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणीनों कसे आहात? आजचा विषय आहे तुझ माझं जमतयं... #तुझमाझंजमतयं चला तर मग लिहुया. #collab #yqtaai #YourQuoteAnd
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
yogesh atmaram ambawale
तुझं माझं जमतंय सारखं असं वाटतंय. लिहिलेल्या बहुतेक लेखनात दोघांचा लिहिणं काहीसं सेम असतंय. सुप्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणीनों कसे आहात? आजचा विषय आहे तुझ माझं जमतयं... #तुझमाझंजमतयं चला तर मग लिहुया. #collab #yqtaai #YourQuoteAnd
Anuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"
Nitish Aarya
प्यार दुनिया का एक फासाना है इसका अपनाही एक ताराना है सब जानते है की मिलेंगे सिर्फ आँसू पर न जाने दुनिया में हर कोई इसका दिवाना है ©Nitish Aarya सायरी की की दायरी