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King of Darkness Storyteller
हिमपुत्री किरन पुरोहित
बृजराजकुंवर की लीला (दोहे) निकले बृज की वीथि में, ज्यों सांवल बृजराज । रीझ गईं बृज गोपियां , देख मधुर सब साज ।। कोई कह मम लाल री , कोई वचन पुनीत । कोई सकुचाती कहे , पूर्व जन्म को मीत ।। पूर्व जन्म की योगिनीं , धर गोपी का वेश। चूम चूम कर नाथ को , देत प्रेम संदेश ।। करो ब्याह हमसे कहें , गोपी करें विहास । रूठे तब गोपाल जी , दौड़े मां के पास ।। मां बृज की सब गोपियां , हमको रहीं सताय। कहती हम उनके पिया , तुमको सास बताय ।। हंसकर मात बोलती , देती पूत उठाय । हाय बावरी गोपियां , उन्हें कौन समझाय ।। कहे किरन ये मोहनी , मोहन रहे बिछाय । हाय नंद के लाल को , कोय न नजर लगाय।। ......................... किरन पुरोहित "हिमपुत्री" mohan ki leela madhuri .................................. विषय....बृजराजकुंवर की लीला विधा....... दोहा बृजराजकुंवर की लीला
Vivek
पूर्व जन्म की किसी प्यारी कहानी जैसा प्यार...!!! ©Vivek # पूर्व जन्म
jitendra sharma
BANDHETIYA OFFICIAL
याद आता है रामानंद सागर के श्री कृष्ण धारावाहिक का महर्षि उत्तंग और कृष्ण की भेंट का दृश्य- दोषी कृष्ण उत्तंग की दृष्टि में महाभारत न रोक पाने के और शाप देने को उद्यत उत्तंग ,तब कहा कृष्ण ने सीधे-सीधे और सटीक- मुझसे,मेरी इच्छा से शाप फलित होता , मैं तो सबसे परे । क्यूं व्यर्थ तुम नष्ट करते तपोबल , हो जाएगा शून्य पुण्य वह, हो जायेगी क्षीण वो शक्ति । मैं तो बस हूंगा, हूं,निष्प्रभाव । रही गांधारी की बात तो, शाप फलित होगा- मैं चाहूं, जानूं कल क्या होना और हमारे परिजन कैसे और क्या पायें परिणाम ! निष्कर्ष :--- बस गांधी को कोसते जन से है कहना- मत उत्तंग बनो, कृष्ण-चिरंतन हैं गांधी होते जाते सनातन और बधिक का नाम भुलेगा पूर्व जन्म का बाली वानर ! ©BANDHETIYA OFFICIAL कृष्ण-बधिक ! अधिक से अधिक पूर्व जन्म का बाली-वानर! #BookLife
BANDHETIYA OFFICIAL
पूर्व संध्या गणतंत्र की पूर्व संध्या हो न वंध्या, घोषणा है, हो चुका है, हो रहेगा, देश यह गणतंत्र, जो हुआ है स्वतंत्र, बिन घोषणा ही- सांध्य की इक रीत बिन, रस्म कायम कर लाया दिन, पूर्व संध्या बस वही, तभी तो यह निज तंत्र, है, रहेगा गणतंत्र, हो रहेगा गणतंत्र, घोषणा है, पूर्व संध्या। ©BANDHETIYA OFFICIAL पूर्व संध्या की रस्म ! #together
Pushpendra Pankaj
इतिहास के पन्नों से सीखो ,कुछ भी था ,सरल नही यारो, आनबान बचाने हेतु ,कई बार विष-गरल पिया यारो। तब की छोटी-छोटी नादानी ,दुश्मन को बलवान बना गई कालांतर मे इनकी करी धरी,आजाद ,शिवा,राणा पर आ गई। भाग्यशाली है भारत अपना,वीरों की खेती हरी भरी है, पुनरावृत्ति ना हो पूर्व की,इस बात से चिंतित-डरी हुई है , पूर्व मे भी हम क्षमाशील थे,इस लिये बहुत कुछ खोया है। आज प्रवृत्ति बढ रही वही,जिस कारण सब कुछ खोया है ।। पुष्पेन्द्र पंकज- ©Pushpendra Pankaj #theatreday पूर्व की गलती से डर
Ek villain
ईश्वर की संरचना में सर्वाधिक श्रेष्ठ स्थिति मनुष्य की है मानव शरीर पाने के लिए देवता भी तरसते हैं देखा जाए तो सबसे उच्च पायदान पर माना है जानवर से नीचे है लेकिन जो जितनी ऊंचाई पर रहता है वह जब गिरता है तो किसी नियम स्तर पर गिरकर कहा नहीं जा सकता सबसे ऊंचा शिखर पर बैठना मनुष्य कभी-कभी जानवर से भी नीचे चला जाता है किसी मनुष्य पर रोज उतारने के लिए जानवरों से तुलना कर दी जाती है लेकिन जानवर भी अपनी पेट पालने के लिए हमेशा एक ही काम करते हैं जंगल का राजा शेर होता है लेकिन उससे कभी अपना सिद्धांत है एक तो मैं अपने आहार के लिए शिकार खुद करता है और झूठे वासी मांस का भक्षण नहीं करता इसके अलावा जब का पेट भर जाता है तो बचा हुआ इससे को बांधकर संग्रह नहीं करता उसे छोड़कर चल देता है जब बच्चे हुए हिस्से का भी क्षण में दूसरे ऐसा है जानवर करते हैं इस कारण पर्यावरण वादी शेर को जंगल का रक्षक बताते हैं गांव से लेकर महानगरों तक धोखाधड़ी तिगड़म नारी अस्मिता शरीर नंद जैसी घटनाएं स्थित तक हो रही है वह जानवरों से नीचे स्तर का है बड़े धनिष्ठा से देखने वाले दोस्त ही नहीं खुद घर के खूनी ही रिश्ते से बांधे लोग क्या-क्या नहीं कर रहे सक्षम होते ही माता-पिता को वृद्धाश्रम का रास्ता दिखाना क्या यह अच्छा संस्कार है सार्वजनिक जीवन में आदर्श सत्य संस्कार धर्म का प्रचलन देने वालों तक का ही करनी आई दिनों लोगों के सामान है यही कारण सब करते हैं कि राजा सिद्धार्थ को मानव जीवन की नफरत हो गई है गोस्वामी तुलसीदास की आत्मा ने उन्हें जो कर दिया है उनके जीवन यही सीख मिलती है कि घटिया स्तर की सोच जब मनुष्य छोड़ देगा उसी समय उसका के रूप में जन्म सार्थक होगा यदि ऐसा नहीं करता तो उसका अलग जन्म क्या होगा वह तो फिलहाल स्पष्ट नहीं है लेकिन को संस्कार उसके परिवार में घुस गए हो तो उसकी अगली पीढ़ी गलत स्तर पर प्रेस चली जाएगी क्योंकि घर के बच्चे बड़ों की नकल करते हैं ©Ek villain # जन्म की सार्थकता #safar