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अजय 'निलय'
...किसी के सपनों की दुनियाँ में,आग लगाई जाती है क्या... ...सदियों से जो चली आ रही,प्रीत भुलाई जाती है क्या... ...प्रीत भुलाई जाती है क्या...
हर्ष चौधरी
बस कह देने से दूरियां हो जाती है क्या दिलों की हसरतें कही सो जाती है क्या, रोज़ की गुफ़्तगू बन्द कमरो में दफ़न हो तूँ अब के तन्हा किधर खो जाती है क्या, शज़र से जो टूट कर कल बिखरा कोई तूँ अब चेन की नीद से सो जाती है क्या, ख्वाइशों की कब्र पर सिसकते हुए देखा तूँ मुझ से छिप के तन्हा रो जाती है क्या जख्मों की तासीर पे अब बात न करती अब ग़ैरों के ख्यालों में खो जाती है क्या ©khyalon ka Safar बस कह देने से दूरियां हो जाती है क्या दिलों की हसरतें कही सो जाती है क्या, रोज़ की गुफ़्तगू बन्द कमरो में दफ़न हो तूँ अब के तन्हा किधर खो जा
HYDRA_ZIG__ZAG_QUOTES
خدا किसी और तरीके से भी मिल जाती है क्या मोहब्बत, मुझे तो.. दुआओं के आगे कुछ भी नही आता। किसी और तरीके से भी मिल जाती है क्या मोहब्बत, मुझे तो.. दुआओं के आगे कुछ भो नही आता।
brijesh mehta
.. वो खुशबू की तरह मुझ में समाई रहती है आगोश में लेने के लिए जब मैं तड़पता हूं न जाने कहां ओझल हो जाती है, क्या मेरा ब्रह्मांड प्यासा ही रहेगा? #मंमाधन ©brijesh mehta वो खुशबू की तरह मुझ में समाई रहती है आगोश में लेने के लिए जब मैं तड़पता हूं न जाने कहां ओझल हो जाती है, क्या मेरा ब्रह्मांड प्यासा ही रहेगा
vishwadeepak
याद कभी जो तेरी आती है, पूरी रात यूहीं गुज़र जाती है, क्या कसूर था हमारा जो छोड़कर चल दिए यूं, लौट आओ ना, क्यूँ, तुम्हें हमारी याद नहीं आती है...... ©Deepak Chaurasia #याद कभी जो तेरी आती है, पूरी रात यूहीं गुज़र जाती है, क्या कसूर था हमारा जो छोड़कर चल दिए यूं, लौट आओ ना, क्यूँ, तुम्हें हमारी याद नहीं आती
Rajeev Upadhyay
ठहरता है कहाँ कुछ सजर के बिखर जाने से हवाओं में नमी थोड़ी सी बस बढ़ जाती है क्यारियाँ फूलों की एकटक ताकती रहती हैं कि उस मोड़ से फिर कोई लौट आएगा। सादर नमन💐। ©Rajeev Upadhyay ठहरता है कहाँ कुछ सजर के बिखर जाने से हवाओं में नमी थोड़ी सी बस बढ़ जाती है क्यारियाँ फूलों की एकटक ताकती रहती हैं कि उस मोड़ से फिर कोई लौट आए
vishal kuduk
बहोत पेहले हि ऊण गलियो मे जाणा छोड दिया था कि तू अब हमारा नही तो फिर क्यू तेरी यादे हर बार मुझे रूला जाती है क्या करू इन यादो का
vishwadeepak
vishwadeepak
ѕнoвнa ranι cнaυdнary
खनकती हैं जब भी चुडियाँ इन हाँथों में....,,, तुम्हारी यादों की कसक सी उठ जाती है....!! क्या कहूँ की कितनी कशिश है... इन हरी काँच की चुडियों में.....!! इनमें भी तेरा ही अक्श नजर आता है.....!! सावन को भी रुमानियत दे जाती है ये चुडियाँ...,,, मेरे सुखे बंजर दिल पर बरखा की बौछार सा एहसास दिला जाती है ...!! खनकती हैं जब भी चुडियाँ इन हाँथों में....,,, तुम्हारी यादों की कसक सी उठ जाती है....!! क्या कहूँ की कितनी कशिश है... इन हरी काँच की चुडियों