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Pooja Rai
न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरजू थी मुलाकात की। © Pooja Rai मुलाकात
Ramnik
White ऐसे तो नही खत्म होती कहानी हमारी, अफसाने और भी है बनने के लिए... तू ले इम्तिहान जिंदगी जितने लेने चाहे हर वक्त तुझे अवल ही मिलेंगे समझ नहीं आते तेरे खेल खुदा शुरू करता क्यों है अफसाने अधूरे रखने के लिए। रह रह कर दिल में बवाल उठ रहे है हम क्यों जो रहे तुझे , क्या बिखरने के लिए। दिल में एक खालिश सी उठ रही है हमने मोहब्बत फिर तो न की थी अंगारों पे चलने के लिए। यूं ना जुदा होने देगे तुझे बिछड़ने के लिए। एक मुलाकात तो जरूर करेंगे दिल को राहत के लिए.... ©Ramnik #मुलाकात
Miss Rk.
लौटा हुं मैं फिर अपने शहर में तूं चाहे तो एक मुलाकात हो जाए। ©Miss Rk. मुलाकात
सत्यमेव जयते
बना गुलाब तो काँटे चुभा गया इक शख़्स हुआ चराग़ तो घर ही जला गया इक शख़्स तमाम रंग मिरे और सारे ख़्वाब मिरे फ़साना थे कि फ़साना बना गया इक शख़्स मैं किस हवा में उड़ूँ किस फ़ज़ा में लहराऊँ दुखों के जाल हर इक सू बिछा गया इक शख़्स पलट सकूँ ही न आगे ही बढ़ सकूँ जिस पर मुझे ये कौन से रस्ते लगा गया इक शख़्स मोहब्बतें भी अजब उस की नफ़रतें भी कमाल मिरी ही तरह का मुझ में समा गया इक शख़्स मोहब्बतों ने किसी की भुला रखा था उसे मिले वो ज़ख़्म कि फिर याद आ गया इक शख़्स खुला ये राज़ कि आईना-ख़ाना है दुनिया और उस में मुझ को तमाशा बना गया इक शख़्स ©सत्यमेव जयते #इक शख़्स
Raxx
क्या क्या सोच लिया था पहली मुलाकात में, सच कहूं तो कुछ भी नही हो पाया बाद में... ©Raxx #Yaari मुलाकात
Rajnish Shrivastava
निकला था इस आस में कि शायद आज बात बन जाए । मुद्दत के बाद उसके शहर में हूं अनायास मुलाकात हो जाए। ©Rajnish Shrivastava # मुलाकात
Rajesh Khanna
हकीकत में प्यार करतीं मुझसे तो रोज़ मुलाकात होती अब मैं जब भी मुलाकात की कहता हूं तभी ना ना होती है ©Rajesh Khanna #Reindeer मुलाकात
author lucky
एक बार फिर से मिलना है तुमसे बिल्कुल पहली बार की तरह ©author lucky #RoadTrip #first #मुलाकात #लव
Satvshila Sayali Mane
अजीब सा प्यार था उसकी उदास आखों मैं , महसुस तक नहीं हुआ कि मुलाकात आखरी हैं .. ©Satvshila Sayali Mane #आखरी मुलाकात
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** मौजुदगी *** " यूं होने को बात ये भी हैं , किसी ऐवज में कभी तेरे , कभी मेरे पले में आयेगा , वजूद फिर किस में किस की तलाश की जाये , जो जिस्म से तेरी खुशबू आयेगा , ख्वाब मेरा महज़ मेरा ख्वाब ना हो , इसमें तेरी मौजूदगी की तलाश तो मुकम्बल हो , तसव्वुर के ख्यालों के नुमाइश में , किस किस को चेहरा और तेरा नाम देता फिरे , फिर कहीं ऐसा हो तेरी मौजूदगी हो और , मेरी - तेरी जुस्तजू की तलब कोई मुकाम ले ले , यूं होने को मुस़ाफिर हम भी हैं , फिर किसी बात पे राजी तुम भी हो , बस्ल हो ऐसा की हमारे रफ़ाक़त पे यकीन आये , क्यों ना तेरा ख्वाब मुसलसल कर लें , मैं चाहे जिस जद में रहूं क्यों ना , फिर भी तुझसे इक मुलाकात कर लें , हम तेरा एहतराम यूं ही करेंगे , मुहब्बत ना भी हो तो मुहब्बत का भ्रम रखेंगे , मिल जा बिछड़ जा फिर कहीं मुख्तलिफ बात की अदावत ठहरी , यूं तेरा ज़िक्र बामुश्किल भी नहीं , करते हैं जो एहतराम ऐसे में . " --- रबिन्द्र राम #मौजुदगी #वस्ल #रफ़ाक़त #मुहब्बत #मुख्तलिफ #अदावत #ज़िक्र #एहतराम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** मौजुदगी *** " यूं होने को बात ये भी हैं , किसी ऐवज में कभी तेरे , कभी मेरे पले में आयेगा , वजूद फिर किस में किस की तलाश