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naresh.singh
वह कर्ज था तन के जिसे मैं चुका रहा हूं ! प्यासी थी धरती जिससे मैं लहू पिला रहा हूं !! दुख भरी शायरी
दुख भरी शायरी
read moreAmit Singhal "Aseemit"
जीवन में कभी दुख भरी सांझ आए तो न घबराना, याद रहे कि वह सांझ कितनी भी लंबी क्यूं न हो। उस सांझ के बाद खुशियों भरा सवेरा भी है आना, बस तू हँसते हुए जिए जा, उदास कभी तू न हो। ©Amit Singhal "Aseemit" #जीवन #में #कभी #दुख #भरी
naresh.singh
आंखों पर आकर रुक जाते हैं आंसू पलकों पर आकर थम जाते हैं आंसू जी करता है इन आंसुओं को वह जाने दूं पर तुम्हें खुश देखकर आंखों में ही सूख जाते हैं आंसू ? दिल टूटने की दुख भरी शायरी #Freedom
दिल टूटने की दुख भरी शायरी #Freedom
read moreDilip Bhawsar
हमें प्यार ही करते हैं जो सबसे करीब होते हैं आपने माता-पिता से बढ़कर और कोई नहीं प्यार कर सकता है मैं सही कहा अपने माता पिता को देखना कुछ लोग होते हैं जॉब अलर्ट पढ़ ले जाने की की कोशिश करते हैं अपने पिताजी सही राह दिखाती है उस समय सच बात कड़वी लगती है गुस्सा शांत होने के बाद संजय को कड़वी बात सच होती है माता पिता को प्रणाम कोटी को दिखाओ माता पिता के बारे में इंग्लिश में शायरी
माता पिता के बारे में इंग्लिश में शायरी
read moreOfficial Andaaz-e-Bayaan
💔 कुछ तो खोया होगा उसने भी मेरी तरह मैंने चाहत खो दी... तो उसने बेहद चाहने वाला... ©Official Andaaz-e-Bayaan दर्द भरी शायरी: #दुख #आँसू #अल्फाज #ग़ज़ल" #addiction
दर्द भरी शायरी: #दुख #आँसू #अल्फाज #ग़ज़ल" #addiction
read moreBrijesh Ahirwar
बात है साल 2020की जब भारत में पहली बार सम्पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया । क्योंकि उस समय भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कोरोना जैसी महामारी बहुत तेजी से अपने पैर पसार रही थी। वहीं इस लॉकडाउन का सबसे ज्यादा प्रभाव गरीब लोगो पर पड़ा था। क्योंकि गरीब लोग रोज मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते थे , लॉक्डाउन लगने की वजह से सभी लोगों के काम बंद हो गए थे । ऐसे में गरीब लोग भूख से दम तोड़ रहे थे । वहीं गांव की बहुत बड़ी आबादी पैसा कमाने के लिए शहर गई हुई थी तथा लॉकडाउन लगने से सभी परिवहन के साधन बंद हो गए थे जिससे उन मजदूर भाईयो को पैदल ही अपने गांव को जाने के लिए विवश होना पड़ा था। किसी के पैर में चप्पल थी तो किसी के पैरों को चप्पल भी नसीब नहीं थी । ये मंजर देखकर आंखों में आंसू आ जाते थे । भूख प्यास से तड़पते मजदूर भाईयो के बच्चे रास्ते में कहीं कोई छायादार पेड़ ढूढते थे कि कोई छायादार पेड़ मिल जाए तो कहीं किसी तरह दोपहरी का गुजारा हो जाए । उन मजदूर भाई बहनों की ये यात्रा उनके जीवन की सबसे दुखद यात्रा थी। जिसे देखकर ऐसा लगता था मानो जैसे कोई हमारे देश पर कोई दुखो का पहाड़ टूट पड़ा हो । इस यात्रा में कई मजदूर भाई बहनों तथा उनके बच्चो ने भूख प्यास से रास्ते में ही अपने प्राण त्याग दिए थे। अंत में मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि ऐसी यात्रा कभी भी किसी को ना करनी पड़े।। ©Brijesh Ahirwar दुख भरी कहानी #Thoughts
दुख भरी कहानी Thoughts #प्रेरक
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