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मुसाफिर
पहाड़ों से मैंने पूछ क्या तुम्हें यात्राएं पसंद नहीं हैं। उन्होंने जवाब दिया, तू यात्राएं किसे मानते हो, जो सिर्फ़ चलते रहते है उसे। मैं कई सदियों से यहां रूका हुआ हूं। यह जीवन के यात्रा से कम है। ©मुसाफिर #यात्रा
Sunil Kumar Maurya Bekhud
वही शाम वही रात वही तारे हैं मगर मायूस दिल वही नजारे हैं लगा था कल जंग जीत कर आए आज बैठे हैं जैसे जिंदगी से हारे हैं मेरी जहां से खफा हो चांद गया गम मैं डूबे मिलते नहीं किनारे हैं गुल खिले खुशबू से घुट रहा है दम आज बेखुद हमें तड़पा रही बहारें हैं ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #गजल
Sunil Kumar Maurya Bekhud
गजल करवट बदल बदल कर क्यूं रात बितातें हैं इक नाम क्यों जमीं पर लिखतें हैं मिटाते हैं मालूम है डगर में लुट जातें हैं मुसाफिर गर लुट गए तो फिर क्यों अब शोर मचाते हैं कट कर पतंग कोई आती न लौट करके धागे में बांध फिर क्यूं खुशियों को उड़ाते हैं ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #गजल
Anand Ji Mayura Ji
ना कर ईशारे तबीयत मचल जाएगी । सूरत ए यिर पूतलियो में ढल जाएगी । -------------------------------------- अगर तू ने चाहा और पूजोगी मुझको , मेरी चाहत की नीयत बदल जाएगी । -------------------------------------,- माना कि तुम हो करिश्मा खुदा का , पाक ए खुदा ईबादत बदल जाएगी । --------------------------------------- खंजर निगाहो के जो मारोगी मुझको , रोज मरने की मौत भी टल जाएगी । ---------'ल-----------'---- बनके बदरिया जो बरसोगी मुझ पर , मयूरा अब कि बारिश बदल जाएगी। बनके बदरिया जो बरसोगी मुझ पर , ©Anand Ji Mayura Ji गजल
Dr. Alpana suhasini
न जाने क्या ज़माना चाहता है, मेरी ख़ुशियां मिटाना चाहता है। मेरी मासूमियत को छीन कर क्यों, मुझे शातिर बनाना चाहता है. अभी कोई कमी बाक़ी है शायद, जो फिर से आज़माना चाहता है। मिटाकर तीरगी अब ज़िन्दगी से, उजाले में वो आना चाहता है। निगाहों से लगे सीधा जिगर पर, वो इक ऐसा निशाना चाहता है । परिंदे की है बस इतनी सी ख़्वाहिश, नशेमन फिर बसाना चाहता है। अल्पना सुहासिनी ©Dr. Alpana suhasini #गजल#गजल_सृजन #
Arora PR
White फासला लम्बा हैँ यात्रा भी बडी हैँr राह भी इतनी आसान नहीं हैँ फिर चढ़ाई भी हैँ और ये चढ़ाई भी कितनी कठिन हैँ पहुंच पाए न पहुंच पाए यहाँ कुछ भी निश्चित नहीं हैँ ©Arora PR यात्रा लम्बी हैँ
Rajesh vyas kavi
हम सब जानते है _ विपत्ति में यदि कोई साथ देता है तो वह है _ अलौकिक परमात्मा, तो क्यों न हम जीवन भर के लिए _ उनका ही चुनाव करके रखे । © Rajesh vyas kavi जीवन यात्रा #thought #christmascelebration
Arora PR
Blue Moon जो सांस थोड़ी देर पहले तक़ चल रही थींअब रुक गई है. जो धड़कन थोड़ी देर पहली धक धक कर रही थीं वो भी खामोश हो चुकी है. वातावर्णन मे अभी भी फुकी गई. बीड़ी का धुँवा हवाओ मे है लगता है यात्री उस धुवे पर सवार होकर अंन्नत की यात्रा पर निकल गया है ©Arora PR अनंत की यात्रा पशर