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Prakhar Tiwari
कन्या दान कन्या कोई वस्तु नहीं जो दान कर दिया जाए , कन्या तो संस्कृति ओर संस्कार का रूप है जिसमें मातृ मुरत झलकती है. कन्या
कन्या
read moreSunita Bishnolia
#कन्या आज कविता बहुत ही खुश हैं सुबह पाँच बजे ही उठ गई।आज नवमी जो है आज कन्याओं को खाना खिलाना है।वो जल्दी-जल्दी सारे निपटाने की कोशिश कर रही थी। अपार्टमेंट में रहने वाले सभी लोग आज कन्याओं को भोजन करवाएंगे इसलिए उसने सोचा मैं सबसे पहले कन्याओं को भोजन करवा देती हूँ नहीं तो पिछली बार की तरह कन्याएँ इधर-उधर चली जाएंगी और ढूंढे ही नहीं मिलेंगी वैसे भी आस-पास में रहने वाली औऱ कामवालियों की लड़कियों को मिलाकर कुल 8-10 लड़कियाँ ही याद आ रही थीं उसे। कविता लड़कियों को बुलाने के लिए नीचे उतर कर आई तो रास्ते मे चार पाँच लड़कियाँ मिली। उन सबको साथ मे लेकर वो सामने ही काम करने वाली सावित्री के कमरे पर गई।और कहा '"सावित्री आज तुम्हारी बिटिया नहीं दिखाई दे रही।" सावित्री की आँखों से आँसू बह निकले तभी उसकी पाँच साल की बड़ी बेटी बाहर आ गई और बोली " वो शिखा आंटी मेरी छोटी बहन को नहीं ले जा रही थी न इसलिए मम्मी ने मुझे भी नहीं भेजा।" कविता ने सावित्री को चुप करवाकर छोटी बेटी को न ले जाने का कारण पूछा तो सावित्री के सारे जख्म हरे हो गए वो फूट पड़ी और बोली "मेडम जी वो कहती हैं कि मेरी छोटी बिटिया अब कन्या नहीं रही।" कविता ने अपने हाथों से उसके आँसू पौंछे और उसकी तीन साल की छोटी बेटी को गोदी में लेकर बड़ी बेटी का हाथ पकड़ कर उसे भी जबदस्ती साथ चलने को कहा और बोली "पागल है वो लोग जो ऐसा सोचते हैं,आज इस कन्या को एक कोर भोजन करवा कर मैं ऐसे दोहरे चरित्र वाले लोगों के खिलाफ अभियान छेड़ती हूँ जो एक तरफ तो पीड़ितों के लिए इंसाफ मांगते हैं दूसरी तरफ इनके जख्म कुरेदते हैं उफ्फ्फ.." #सुनीता बिश्नोलिया© कन्या
कन्या #सुनीता
read moreHaleema Ali
#दुविधा अब बारात कौन लाएगा,,??😂 धारा#377,, कन्या vs कन्या #वाह#रे#सरकार
अज़नबी किताब
नाटक.. रंगमंच... कलाकार... कला... दर्शक.. कुछ ऐसा हुआ, में रंगमंच पे खड़ी थी, और मेरी कला मेरा हाथ थामे | दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. क्या खूब कला थी, खुदा की देख हुआ करती थी | एक बार बोली बात, में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, कला थी.. वचन निभाने की, नाटक बन गयी.. रंगमंच पे उस खुदा के, में आज एक कटपुतली बन गयी... वचन निभाती नहीं, ऐसा सुना है मेने, दर्शकों से | क्या कहु, कला खो गयी, पर ये कला उनके लिए कायम है, जो सही में आज भी वचन को समझते है | कला खुदा की देन होती है, खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. -अज़नबी किताब नाटक..
नाटक..
read moreArora PR
स्वप्नलोको के प्रलोबन मुझे कभी सममोहित नहीं कर सकते क्योकि मैं हर स्वप्न कोबन्द आँखों का नाटक ही समझता हूँ ©Arora PR नाटक
नाटक #कविता
read moreVrishali G
जीवनाच्या नाटकात सहभाग सगळ्यांचा असतो पण आपली भुमिका नाही वठली तर सारा तमाशा होऊन जातो नाटक
नाटक
read moreBabli BhatiBaisla
झूठे और ओछे मक्कार महात्मा को कोई नहीं पूछता काले पड़ गए मैले मनको को कोई नहीं पूजता आर्यो की धरती पर शास्त्रों का ऊंचा स्थान है भारत मां के शास्त्रियों की विश्व में अलग पहचान है लाल बहादुर शास्त्री हो या धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री दोनों ने साबित कर दिखाया गरीबी नहीं पिछाड़ती महानता में पिछड़ जाते हैं धनाढ्य भी नीयत से बहुत मूर्ख लगते हैं भूख हड़ताल का नाटक करते हष्ट-पुष्ट काटा है लम्बा सफ़र आंखें मूंद कर अनपढ बहुत थे पढ़ कर समझ गए सभी जयचंद और शकुनि कौन थे बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla नाटक
नाटक #शायरी
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