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Bharti Vibhuti
Pooja Nishad
उम्मीद हमारा 'पालना' है, जिज्ञासा हमारी जननी ; हम पुनः शिशु होते हैं स्वयं के पुनर्निर्माण में ! — % & ᵁᵐᵉᵉᵈ ʰᵃᵐᵃʳᵃ ᵖᵃᵃˡⁿᵃ ʰᵃⁱ ᴶⁱᵍʸᵃˢᵃ ʰᵃᵐᵃʳⁱ ʲᵃⁿ'ⁿⁱ ʰᵘᵐ ᵖᵘⁿᵃʰ ˢʰⁱˢʰᵘ ʰᵒᵗᵉ ʰᵃⁱⁿ ˢʷᵃʸᵃᵐ ᵏᵉ
Maywar Masto
मेरे प्यारे शिव हमेशा मुझसे कहते हैं: हाय, मेवार डरो मत मैं तुम्हारा पुनर्निर्माण करूंगा अपने खंडहरों पर..!! © मेवाड़
पूजा निषाद
उम्मीद हमारा 'पालना' है, जिज्ञासा हमारी जननी ; हम पुनः शिशु होते हैं स्वयं के पुनर्निर्माण में ! — % & ᵁᵐᵉᵉᵈ ʰᵃᵐᵃʳᵃ ᵖᵃᵃˡⁿᵃ ʰᵃⁱ ᴶⁱᵍʸᵃˢᵃ ʰᵃᵐᵃʳⁱ ʲᵃⁿ'ⁿⁱ ʰᵘᵐ ᵖᵘⁿᵃʰ ˢʰⁱˢʰᵘ ʰᵒᵗᵉ ʰᵃⁱⁿ ˢʷᵃʸᵃᵐ ᵏᵉ
Abhay Bhadouriya
एक ऐसी दुनिया / कविता जब प्रलय के बाद समग्र सृष्टि का होगा पुनर्निर्माण तब मैं चाहता हूँ एक ऐसी दुनिया जहाँ सपनों को उड़ने
Vedantika
रह गई कुछ ख़्वाईशात अधूरी दिल को यह मलाल आज भी है चुप रह गए हम ग़म सहते हुए छाई रही खामोशी उनकी वहाँ सोच कर दिल मलूल आज भी हैं कटते नहीं रास्ते तन्हाई के अब वापसी के रास्ते पर निगाहें मेरी करती इंतज़ार तेरा आज भी हैं कोशिश करती रही दुनिया हमें समझाने की हज़ार बार क़भी नकार कर उसकी रवायत मैं चली आई थी तेरे पीछे तुझ तक ले जाने वाले एक रास्ते की तलाश आज भी है प्रिय Raag की एक अत्यंत सुंदर कविता का पुनर्निर्माण... जो की थी क़भी तुमसे वो मोहब्बत आज भी हैं तुझे देख के बस तुझे ही देखे निगाहों में वो
Sita Prasad
हमसफर- साथ तेरा कहते हैं परिंदे अपने साथी के बिना, जी नहीं सकते, न ही खुश रहते हैं। बिन कुछ और कहे, मैं कुबूल करती हूँ, साथ निभाने का मज़ा व नशा ही कुछ और है। जब ठान लिया जीने का तुम्हारे साथ, हर पल में एक नई स्फूर्ति आ जाती है, जब-जब रूठते हो सनम, कसम है! ख्यालों की नदिया थम सी जाती है। प्यार ने न सिर्फ जीना सिखाया है हमें, किसी के प्यार को स्वीकारना भी बता दिया, हम तो आबाद थे ही आज़ाद खयालों से, तुमने सोने पर सुहागा का काम कर दिया। #rztask342 #restzone #rzलेखकसमूह #पुनर्निर्माण I picked dear friend Poonam Suyal ji's poem- यदी हम साथ हों -- which is on love and toget
Sangeeta Patidar
हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में, उसे मनाना हो, रूठकर उससे मनवाना हो, उसे रिझाना हो, जब मीठी बातें सुनाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... उसके ख़्वाबों-ख़यालों में निशाँ छोड़ना हो, दिलों दिमाग़ का सब, जब नाम कराना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... बारिश की बूँदों में 'हम' एहसास ढूँढ़ना हो, बसंती हवा में इश्क़ की मिठास भेजना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... बाँट के उसका दर्द, लम्हा हसीं बिताना हो, भुला के अपना दर्द, उसको ही हँसाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... हक़ीक़त से करा रूबरू, सब्र सिखाना हो, नसीब की ज़िद में, खुदी कब्र दिखाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... नींद से दुश्मनी की असल वजह बताना हो, छोड़ ज़ख़्म,उसके दिल में जगह बनाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... -संगीता पाटीदार 'धुन' Rest Zone 'काव्योगिता', कविता पुनर्निर्माण, चौथा पड़ाव 'हमेशा देर कर देता हूँ'- मुनीर नियाज़ी जी हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने म
MANJEET SINGH THAKRAL
खालसा एड से जुड़े युवा इंद्रजीत सिंह की एक कार दुर्घटना में मौत हो गई। पीड़ित व्यक्तियों के लिए समर्पित इंद्रजीत सिंह ने दिल्ली दंगा पीड़ितो
Dr Upama Singh
कविता पुनर्निर्माण “तुम्हारा पैगाम” अनुशीर्षक में Anita Thakur की कविता “तुम्हारा संदेशा” से पुनर्निर्माण सुनो! कुछ तो मेरे नाम लिख दो एक पाती एक संदेशा मेरे नाम लिख दो मेरे हर सांँस पर अपना नाम लिख दो कुछ तो एहसास मेरे नाम कर दो कुछ तो जज़्बात